Quantcast
Channel: The Better India – Hindi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3559

शराब के लिए बदनाम महुआ से बनाये पौष्टिक लड्डू, विदेश पहुंचाकर किया बस्तर का नाम रौशन

$
0
0

स्तर का नाम सुनते ही लोग नक्सलवाद की बातें करने लगते हैं। लेकिन अब छतीसगढ़ के बस्तर जिले में जन-जीवन बदल रहा है। यहाँ के युवा नए-नए सफल प्रयोग कर रोजगार सृजन करने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही नया और बेहतर काम कर रहीं हैं बस्तर की रज़िया शेख।

रज़िया, महुआ लड्डू बनाकर लोगों तक पंहुचा रहीं हैं, जिसके कारण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। साथ ही, उन्होंने कुपोषण के खिलाफ एक पहल की शुरुआत की है। इस काम के लिए रज़िया का चयन नीति आयोग द्वारा जारी देश की तस्वीर बदलने वाली 30 महिलाओं की सूची में भी हुआ है। वर्तमान में 14 महिलाएँ रज़िया की इस मुहीम में कार्य कर रही हैं और देश- विदेश में महुआ लड्डू पहुंचाने का कार्य भी बखूबी कर रही हैं।

रज़िया शेख

क्या है ‘महुआ’ और क्या है इसके फायदे

महुआ छत्तीसगढ़ और विशेष रूप से बस्तर के ग्रामीण जीवन का सांस्कृतिक एवं आर्थिक आधार है। यह न केवल दैनिक जीवन में भोजन और पेय के लिए उपयोग में लाया जाता है बल्कि इसे बेचकर नकद पैसा भी प्राप्त किया जाता है। घर में रखा हुआ महुआ एक संपत्ति के समान होता है, जिसे कभी भी नकदी में बदला जा सकता है। वैसे महुआ से बनने वाली शराब पूरे बस्तर अंचल में प्रसिद्ध है लेकिन अब इसी महुआ से लड्डू बनाए जा रहें हैं। महुआ में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन पाए जातें हैं। इसके बने लड्‌डू बच्चों व किशोरियों में कुपोषण और महिलाओं में खून की कमी दूर करने में सहायक है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। बच्चों, बड़ों और यहाँ तक कि गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखने और उनमें प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति के लिए इसे खाया जाता है।

स्वादिष्ट महुआ लड्डू

ऐसे आया महुआ लड्डू पर काम करने का आईडिया

जगदलपुर में रहने वाली रज़िया शेख ने माइक्रोबायोलॉजी में M.Sc. की है। रज़िया सरकार के ‘सेफ मदरहुड‘ पहल में बतौर रिसर्चर कार्यरत थीं। रज़िया बतातीं हैं कि काम के दौरान उन्हें अंदरूनी क्षेत्रों में जाना पड़ता था और विभिन्न प्रकार के पौधों पर स्टडी करनी होती थी।

“एक बार फील्ड स्टडी के दौरान मैंने स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं से मुलाकात की और तब मैंने उन्हें महुआ लड्डू बनाते हुए देखा। इन महिलाओं से बात करके मुझे महुआ लड्डू के फायदे के बारे में पता चला और तभी दिमाग में आया कि क्यों न इसे गाँव के बाहर ले जाकर इन महिलाओं को एक बाज़ार उपलब्ध करवाया जाए और फिर 6 महीने तक मैंने इस पर काम किया और महिलाओं की एक टीम तैयार की।” – रज़िया

आसान नहीं थी राह

शुरुआत में राज़िया को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन लड्डू के फायदे तो पता थे लेकिन इसे और स्वादिष्ट बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। इस पर काफी रिसर्च करने के बाद उनकी टीम ने इसे टेस्टी और हेल्दी बनाने का तरीका ढूंढा। इसमें बिना किसी केमिकल का उपयोग कर कैसे इसे बस्तर से बाहर पैकेज्ड प्रोडक्ट के रूप में भेजा जा सकता है यह भी एक बड़ा सवाल था लेकिन बार बार प्रयास करने के बाद इसे एक पैकेज्ड प्रोडक्ट के रूप में तैयार कर लिया गया।  

शुरू में हुई आलोचना

शुरू में कोई इसे खरीदना नहीं चाहता था। महुआ को लगभग लोग शराब के रूप में जानते थे इसलिए बहुत से लोगों ने मना कर दिया। बहुतों ने समझाया कि यह व्यवसाय कभी सफल नहीं होगा। लेकिन रज़िया ने भी अपने आप से वादा कर रखा था कि जो सोचा है, और जैसा करना चाहती है, वो हर हाल में करके रहेगी। एक लड्डू का दाम पांच रुपये रखा जिसे अब धीरे धीरे लोग प्रयोग के तौर पर खरीदने लगे थे। रज़िया ने एक सरकारी भवन में 10 महिलाओं को लेकर एक स्वयं सहयता समूह बनाया और बस्तर फ़ूड कंसल्टेंसी सर्विसेज के नाम से एक फर्म की शुरुआत की। इन महिलाओं के साथ मिलकर नए-नए प्रयोग किये और नियमित रूप से वर्कशॉप का आयोजन कर सभी को प्रशिक्षण दिया और समय के साथ इनकी एक मजबूत टीम तैयार हो गई। 

अपनी टीम के साथ बस्तर फ़ूड की संस्थापक रज़िया शेख

चुनौती बनने लगी अवसर

इन महिलाओं को प्रशिक्षण देने के बाद रज़िया ने बड़े-बड़े आयोजन में स्टॉल लगाना शुरू किया ताकि महुआ लड्डू को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पंहुचाया जा सके। महानगरों में लोगों को इसके बारे में समझाया और फिर धीरे-धीरे इसकी मांग बढ़ने लगी। 2 रुपये में बनने वाले एक लड्डू को इन्होंने बाज़ार में 5 रुपये में बेचा जिससे समूह की महिलाओं को आर्थिक लाभ हो सके।   “एक दिन एक NRI सेन फ्रांसिस्को में लगे स्टॉल में आए और एक लड्डू को 450 रूपए में यह कहकर खरीद लिया कि लड्डू की महक से उसे भारत की याद आने लगी। इस तरह विभिन्न आयोजन के माध्यम से हमें आर्डर मिलते रहे और आज 10 महिलाओं के इस समूह में प्रत्येक महिला प्रतिदिन 70-80 रुपये कमा रहीं हैं। इन महिलाओं को एक बाज़ार उपलब्ध हुआ है। कुपोषण की इस लड़ाई में महुआ लड्डू का भी उपयोग होने लगा है और यह बात इन सभी महिलाओं को बेहद संतुष्टि देती है।” – रज़िया  

महिलाओं द्वारा निर्मित स्वादिष्ट महुआ लड्डू

युवा पीढ़ी को दे रहीं हैं प्रशिक्षण

महुआ लड्डू के बिज़नेस के साथ साथ रज़िया की संस्था बस्तर फ़ूड फर्म आदिवासी खानपान विश्लेषण, डेयरी टेक्नोलॉजी, पेय पदार्थ विश्लेषण, पैकेजिंग एंड लेबलिंग, खाद्य सुरक्षा, विभिन्न मसालों के उत्पादन विषयों पर ट्रेनिंग भी प्रदान करती है। इतना ही नहीं स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप के माध्यम से जोड़कर इस नवाचार को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। रज़िया का कहना है कि वह इन युवा साथियों के साथ मिलकर बस्तर में नवाचार के और आयाम तय करेंगी। वर्तमान में रज़िया और समूह की सभी महिलाएं महुआ लड्डू बनाने के लिए और भी लोगों को साथ जोड़ रहीं हैं। इसके साथ-साथ स्कूल, कॉलेज में भी युवाओं के बीच पहुंचकर इस आईडिया को साझा कर रहीं हैं।

रज़िया के नवाचार को सलाम! एक छोटे से आईडिया पर काम किया जाये तो सब कुछ संभव है यह रज़िया से बखूबी सीखा जा सकता है। कुपोषण को ख़त्म करती इस पहल से निश्चित ही बस्तर में एक सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

इन स्वादिष्ट और पौष्टिक महुआ लड्डूओं को आर्डर करने के लिए आप सीधा रज़िया से संपर्क कर सकते हैं- 7587876449

संपादन – अर्चना गुप्ता


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

The post शराब के लिए बदनाम महुआ से बनाये पौष्टिक लड्डू, विदेश पहुंचाकर किया बस्तर का नाम रौशन appeared first on The Better India - Hindi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3559

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>