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नोटबंदी से बिलकुल प्रभावित नहीं है ये छोटा सा गाँव –जानिये कैसे!

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पांच सौ और हज़ार रूपये के नोटों को बंद हुए एक हफ्ता गुज़र चूका है पर लोग अभी भी अपने पुराने नोट न बदले जाने से परेशान है। काले धन पर लगाम कसने की प्रधानमंत्री की इस मुहीम का लोग जमकर साथ तो दे रहे है पर कहीं न कहीं इस कदम से पनपी असुविधाओं से अब हताश भी हो चले है। पर ऐसे में एक गाँव ऐसा है जो नोटबंदी के इन दुष्परिणामो से बिलकुल अछुता है। ये गाँव है हमारे देश का पहला डिजिटल गाँव, अकोदरा!

गुजरात के अहमदाबाद शहर से 90 किमी दूर साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर उप जिले में स्थित अकोदरा गाँव, देश का ऐसा पहला गाँव है जहाँ के हर परिवार के पास इ-बैंकिंग की सुविधा है। इस गाँव के लिए बिना नगद के कई-कई दिन निकालना कोई नयी बात नहीं है। यहाँ महिलाओं को दूध या सब्जी खरीदने के लिए साथ में पर्स नहीं ले जाना पड़ता है। डेरी में दूध जमा करना हो या फिर किसानों को अपनी पैदावार बेचनी हो, पैसे के लेन-देन के लिए उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ता है। तुरंत ही अकाउंट से अमाउंट ट्रांसफर हो जाता है। पान की दुकान पर भी मोबाइल बैंकिंग और वाई-फाई नेटवर्क की सुविधा है।

करीब 220 परिवार और 1200 की जनसँख्या वाले इस गाँव में लोगो का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है। इस गांव को पहले से ही देश के पहले ऐनिमल हॉस्टल का दर्जा मिल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी इसका लोकार्पण किया गया था।

इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल भारत अभियान के तहत इस बैंक को ICICI बैंक द्वारा गोद लिया गया।  गांव के हर एक परिवार को एटीएम कार्ड और मोबाइल बैंकिंग से जोड़ा गया है।

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photo source – facebook

गाँव के और लोगो की ही तरह केबल ऑपरेटर मणिलाल प्रजापति भी अपना काम पूरी तरह डिजिटल तरिके से करते है। वे अपने केबल का मासिक किराया इन्टरनेट बैंकिंग के ज़रिये लेते है। ग्राहकों को बस अपने फ़ोन से क्रमांक 3 के बाद मणिलाल का मोबाइल नंबर, अपने अकाउंट के आखरी 6 अंक और भुगतान की रकम लिखकर बैंक को एक SMS भेजना होता है और किराया अपने आप मणिलाल के अकाउंट में जमा हो जाता है।

“बाकी भारतियों की तरह हम लोग नोटबंदी को लेकर बिलकुल परेशान नहीं है। यहाँ हर किसी का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे यहाँ सब्जी बेचने वाले से लेकर दूध के कारोबारी तक हर कोई बिना नगद के ही लेन देन करता है। और इसीलिए हमे नगद की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। हम नगद तभी निकालते है जब हमे गाँव से बाहर जाना होता है,” किसान जे.एस. पटेल ने हिन्तुस्तान टाइम्स को बताया।

गाँव के सभी दुकानदार 10 रूपये से ऊपर के किसी भी बिल का भुगतान इ-बैंकिंग के ज़रिये ले लेते है। पिछले एक साल से स्थानीय दूध के कारोबारी भी किसानो का पैसा सीधे उनके अकाउंट में डलवा देते है। हर गांववाले का अकाउंट उसके आधार नंबर से जुड़ा होने की वजह से सभी सरकारी मुनाफे भी सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो जाते है।

इस विडिओ में देखिये इस अनोखे और खुशहाल गाँव की एक झलक –

हमे उम्मीद है कि आप अकोदरा के गांववालों से सीख लेकर पुरे देश को डिजिटल बनाने में अपना योगदान देंगे!

 

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