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किसानों की मदद और अपना स्टार्टअप, इनसे जानिए घर पर कैसे करें ‘कस्तूरी हल्दी’की प्रोसेसिंग!

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अगर आपसे कहा जाए कि हल्दी का रंग हल्का भूरा भी होता है तो आपको हैरानी ज़रूर होगी। बहुत से लोग तो यह मानेंगे ही नहीं कि हल्दी का रंग पीला नहीं है। लेकिन सच यही है कि हल्दी की एक किस्म, कस्तूरी मंजल, हल्के भूरे रंग की होती है। हल्दी की यह किस्म औषधीय गुणों वाली होती है, जिसका प्रयोग चिकित्सा व सौन्दर्य उत्पाद बनाने में होता है।

बहरहाल, कस्तूरी मंजल हल्दी की किस्म आज लुप्त होने की कगार पर है। इसकी जगह आज बाज़ारों में हल्दी की दूसरी किस्म, मंजाकुआ को इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन इसमें वह सभी गुण नहीं हैं जो कस्तूरी हल्दी में हैं। कस्तूरी हल्दी के बारे में लोगों को जागरूक करने और फिर से इसका उत्पादन शुरू करने के उद्देश्य से ही केरल के रहने वाले तीन दोस्तों ने अपने स्टार्टअप, होर्टिकोग्रीन की शुरूआत की है।

डॉ. बी. के. जयचंद्रन, डॉ. एम. अब्दुल वहाब और डॉ. के. आर. बालाचंद्रन ने मिलकर साल 2018 में होर्टिकोग्रीन की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह लोगों को कस्तूरी हल्दी उगाने के लिए बीज और इसका पाउडर उपलब्ध करा रहे हैं। इन तीनों दोस्तों ने हॉर्टिकल्चर में अपना स्पेशलाइजेशन किया है और अलग-अलग जगह पर कृषि विभाग में अपनी सेवाएं दीं। रिटायरमेंट के बाद, इन तीनों दोस्तों ने मिलकर कुछ करने की ठानी।

Kasthuri Turmeric Processing
Dr. BK Jayachandran, Dr. M. Abdul Vahab and Dr. KR Balachandran

कस्तूरी मंजल की कहानी डॉ. बी. के. जयचंद्रन के रिसर्च प्रोजेक्ट से शुरू होती है। केरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लांटेशन क्रॉप्स एंड स्पाइसेज में बतौर प्रोफेसर काम कर चुके डॉ. जयचंद्रन ने लगभग एक दशक कस्तूरी हल्दी पर रिसर्च की। वह बताते हैं, “रिसर्च के दौरान हमें पता चला कि बाज़ार में हल्दी की जो किस्म बेचीं जा रही है, वह ऑथेंटिक नहीं है। वह किस्म मंजाकुआ है, जिसे करकुम ज़ेडोरिया कहते हैं। जबकि कस्तूरी मंजल को कुरकुम एरोमेटिका कहते हैं। जिस हल्दी की किस्म का उत्पादों में इस्तेमाल होना चाहिए वह कस्तूरी है।”

नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड और केरल सरकार के सपोर्ट से डॉ. जयचंद्रन ने केरल के तिरुवनंतपुरम और कोल्लम जिला के किसानों को कस्तूरी हल्दी उगाने के लिए दी। एक वक़्त हुआ करता था जब कस्तूरी मंजल हल्दी काफी ज्यादा मात्रा में उगाई जाती थी लेकिन धीरे-धीरे यह किस्म जगह-जगह से लुप्त होने लगी। डॉ. जयचंद्रन के प्रोजेक्ट ने इसे बहुत हद तक सहेजने में मदद की लेकिन उनकी रिटायरमेंट के बाद, फिर वही हाल होने लगा।

कैसे रखी गई होर्टिकोग्रीन की नींव:

“रिटायरमेंट के बाद अक्सर लोग आराम करने की सोचते हैं। लेकिन हम अपनी रिटायरमेंट को किसी अच्छे काम के लिए उपयोग में लेना चाहते थे। सिर्फ खाली बैठकर आराम करने से बेहतर हम समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे,” डॉ. बालाचंद्रन ने बताया।

Kasthuri Manjal Turmeric

डॉ. बालाचंद्रन, डॉ. वहाब और डॉ. जयचंद्रन, एक-दूसरे को कॉलेज के दिनों से जानते हैं। इन तीनों ने लगभग 6 साल साथ रहकर पढ़ाई की और फिर अलग-अलग जगह पर नौकरी की। लेकिन तीनों दोस्त हमेशा ही एक-दूसरे के संपर्क में रहे और रिटायरमेंट के बाद, जब उन्हें साथ में वक़्त मिला तो उन्होंने कुछ करने की ठानी।

डॉ. बालाचंद्रन आगे कहते हैं कि उन्हें उनके दोस्त जयचंद्रन से कस्तूरी हल्दी के प्रोजेक्ट के बारे में पता चला। साथ ही, उन्होंने जाना कि किस तरह से बहुत-सी फसलों की अच्छी गुणवत्ता वाली किस्में लोगों की अनदेखी के कारण खोती जा रही हैं। इसके बाद, इन तीनों दोस्तों ने मिलकर तय किया कि क्यों न लोगों को कस्तूरी हल्दी और इसके गुणों के बारे में जागरूक किया जाए। अगर कस्तूरी हल्दी की मांग बढ़ेगी तो किसान भी इसे ज्यादा ससे ज्यादा उगाएंगे और उनके लिए अच्छी आय का साधन बनेगा।

“स्टार्टअप शुरू करने के पीछे हमारा उद्देश्य कमर्शियल फायदा नहीं था बल्कि हम कस्तूरी हल्दी को एक बार फिर लोगों के घरों में जगह दिलाना चाहते हैं। इसलिए हमें बहुत छोटे स्तर से शुरुआत की और अपनी जेब से थोड़े-थोड़े पैसे लगाए,” उन्होंने आगे कहा।

कस्तूरी हल्दी की विशेषताएं:

Kasthuri Turmeric is Cream in Colour

कस्तूरी हल्दी की पहचान करना बहुत ही आसान है। डॉ. जयचंद्रन कहते हैं कि सबसे पहले तो कस्तूरी हल्दी के पाउडर का रंग हल्का क्रीम/भूरा और गेंहुआ-सा होता है और इसमें से कपूर जैसी खुशबू आती है। वहीं हल्दी की अन्य किस्में पीली होतीं हैं और बहुतों में कोई गंध नहीं आती।

आप खेत में लगी हुई हल्दी की पहचान भी कर सकते हैं, कस्तूरी हल्दी के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और छूने पर ये बहुत ही मुलायम होते हैं। जबकि मंजाकुआ हल्दी के पत्ते हल्के हरे और मिडरिब का रंग जामुनी होता है। कस्तूरी हल्दी के ट्यूबर को काटने पर वह अंदर से अदरक की तरह दिखती है, तो वहीं मंजाकुआ अंदर से पीली ही होती है।

डॉ. जयचंद्रन के मुताबिक, अगर कोई कस्तूरी हल्दी की खेती करे तो वह आयुर्वेद इंडस्ट्री से जुड़कर अच्छा पैसा कमा सकता है। इसके अलावा, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी इस हल्दी की बहुत मांग है। आप इसे सीधा ट्यूबर के रूप में या फिर प्रोसेस करके पाउडर बनाकर भी बेच सकते हैं।

Curcuma Aromatica
Identification of Kasthuri Turmeric (Curcuma Aromatica)

“कस्तूरी हल्दी को नैनो लेवल से मैक्रो लेवल तक उगाया जा सकता है। मतलब आप इसे एक गमले में भी उगा सकते हैं और सैकड़ों एकड़ के खेतों में भी। घर पर अगर आप इसके 4-5 पौधे भी उगाएं तो भी आपको घरेलू इस्तेमाल के लिए इसका अच्छा उत्पादन मिल जाएगा। अगर किसी के पास कुछ बीघे ज़मीन ही है तो वह छोटे स्तर पर कस्तूरी हल्दी उगाकर इसकी प्रोसेसिंग भी कर सकते हैं,” डॉ. जयचंद्रन ने बताया।

कस्तूरी मंजल को उगाना बहुत ही आसान है और मात्र 7 से 8 महीनों में आप इसकी उपज ले सकते हैं। अप्रैल के महीने में इसे बोइए और नवंबर, दिसंबर और जनवरी में आप इसे हार्वेस्ट कर सकते हैं। डॉ. जयचंद्रन के मुताबिक, हल्दी की यह किस्म भारत के अलग-अलग इलाकों की जलवायु में भी बोई जा सकती है।

कैसे करें प्रोसेसिंग:

कस्तूरी हल्दी की प्रोसेसिंग बहुत ही आसान है। इसकी हार्वेस्टिंग के बाद सबसे पहले इसे अच्छे से धोएं। धोने के बाद इसे सुखाएं और फिर इसके छोटे-छोटे चिप्स के आकर के टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को कुछ दिन तक धूप में सुखाएं, जब ये एकदम सुख जाएं तो आप इन्हें ग्राइंड कर सकते हैं।

Kasthuri Turmeric Processing
Processing of Kasthuri turmeric

ग्राइंड करने बाद आप एक बार पाउडर को छान लें, इससे बड़े-बड़े टुकड़े अलग हो जाएंगे और आपको सिर्फ पाउडर मिलेगा। इस पाउडर को भी आप सीधा बेच सकते हैं। साथ ही, इसे अन्य कई औषधीय और सौन्दर्य उत्पादों में इस्तेमाल कर सकते हैं।

होर्टिको ग्रीन के ज़रिए उन्होंने अब तक 500 से भी ज्यादा लोगों को कस्तूरी हल्दी के बीज और पाउडर भेजे हैं। डॉ. बालाचंद्रन के मुताबिक आने वाले एक-डेढ़ साल में कस्तूरी हल्दी का उत्पादन केरल में काफी ज्यादा होने लगेगा। फ़िलहाल, वह सिर्फ उन किसानों से जुड़े हुए हैं, जिन्हें डॉ. जयचंद्रन ने अपने प्रोजेक्ट के दौरान कस्तूरी हल्दी के बारे में जागरूक किया था। लेकिन धीरे-धीरे हल्दी की इस किस्म की मांग बढ़ रही है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले सालों में वे ज्यादा मात्रा में भी इसके बीज सप्लाई कर पाएंगे।

“हमने जिन भी लोगों को अब तक पाउडर भेजा है, सभी से काफी अच्छा फीडबैक मिला है। भारत के बाहर से भी हमें लोग इस हल्दी के बारे में पूछ रहे हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य सिर्फ लोगों को इसे किस्म के बारे में जागरूक करना है और उम्मीद है कि लोग साग-सब्जियों और मसालों की अलग-अलग वैरायटी के बारे में जागरूक होकर, इन्हें सहेजने की कोशिश करेंगे,” उन्होंने कहा।

अगर आप कस्तूरी हल्दी के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उन्हें info@horticogreens.com पर ईमेल या फिर 94469 67041 या 94471 92989 पर कॉल कर सकते हैं!

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