ओडिशा के अंगुल जिला स्थित बलरामप्रसाद गाँव के रहने वाले 39 वर्षीय इनोवेटर जितेंद्र साहू हमेशा से कुछ नया करना चाहते थे, स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था, उन्हें अगर कुछ पसंद था तो वह था किसी समस्या का हल निकालना, कोई मशीन बनाना।
जितेंद्र जब आठवीं कक्षा में थे तब एक प्रोजेक्ट एग्जीबिशन में भाग लिया था और बस वहीं से उन्होंने ठान लिया कि वह इनोवेशन के क्षेत्र में कुछ काम करेंगे।
रोजगार के लिए जितेंद्र NALCO की अंगुल यूनिट में कांट्रेक्टर वर्कर के तौर पर काम करते हैं और साथ ही, तरह-तरह के आइडियाज पर काम करते हुए हमेशा कुछ नया बनाते रहते हैं। जितेंद्र का सबसे पहला आविष्कार, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला, वह था सेंसर वाला हेलमेट।
क्या है सेंसर हेलमेट:
जितेंद्र ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारे यहाँ सड़क दुर्घटना में ज़्यादातर मौत हेलमेट नहीं पहनने की वजह से होती है। इसलिए मुझे लगा कि इस बारे में मुझे कुछ करना चाहिए। मैंने सोचा कि क्यों न ऐसा हेलमेट बनाया जाए जिसे पहने बिना आप बाइक स्टार्ट ही नहीं कर पाएं।”

लगातार प्रयोग करने के बाद जितेंद्र ने कुछ मॉडिफिकेशन करके ऐसा हेलमेट तैयार किया, जिसे सेंसर की मदद से बाइक से कनेक्ट किया जा सके। अगर आपका हेलमेट और बाइक कनेक्ट है तो आप तब तक बाइक चालू नहीं कर पाएंगे जब तक कि आपने हेलमेट न पहना हो। जितेंद्र ने इस डिवाइस को बनाने के लिए टीवी और उसके रिमोट की तकनीक को समझा। उन्होंने पहले यह जाना कि कैसे सेनोर के माध्यम से चीजों को रिमोट द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है।
उनके इस काम को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली और उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा सम्मानित भी किया गया।
जितेंद्र कहते हैं, “कोई भी आविष्कार तब तक सफल नहीं है जब तक वह लोगों की परेशानी को उनके हिसाब से हल नहीं कर रहा। मेरे पास इतने साधन नहीं हैं कि बड़े स्तर पर काम कर सकूं लेकिन तकनीक है और अगर कोई कंपनी मेरी तकनीक को अपनाकर हेलमेट बनाती है तो इससे ज़्यादा अच्छा और क्या होगा।”

भारी गमला उठाने के लिए बनाया मशीन:
उनके पास बहुत से किसान भी अपनी परेशानियाँ लेकर आते हैं और वह उनके लिए तरह-तरह के उपकरण बनाकर देते हैं। हाल ही में उन्होंने एक छोटा-सा आविष्कार अपनी पत्नी के कहने पर किया। इस बारे में वह कहते हैं, “हाल ही में, एक दिन मेरी पत्नी एक भारी गमला उठाकर रख रही थी, जो उससे गिरकर टूट गया और उसे चोट भी आई।”
जितेंद्र ने पहले सोचा कि ऐसा क्या किया जाये जिससे कि यह समस्या हल हो। फिर उन्हें साइकिल का ख्याल आया। वह एक कबाड़ी के पास गए और अपनी ज़रूरत के हिसाब से लोहे की रोड आदि लेकर आये। उन्होंने साइकिल के सिर्फ अगले हिस्से को इस काम के लिए इस्तेमाल में लिया। अगले हिस्से में ही उन्होंने लोहे की दो-तीन रोड को ऐसे लगाया जिससे कि गमला उठाने में आसानी हो।
“यह पूरा साइकिल बेस्ड यंत्र लगभग 500 रूपये में तैयार हुआ क्योंकि मैंने पुरानी चीज़ें इस्तेमाल की हैं। लेकिन इसे मैंने ऐसे बनाया है कि इससे आप लगभग 100 किलो तक का भारी गमला भी उठा सकते हैं। बस फर्क इस बात से है कि गमला उठा कौन रहा है। क्योंकि इस यंत्र को चलाने में थोड़ी मेहनत तो आपको करनी ही पड़ेगी,” उन्होंने कहा।
जितेंद्र ने भले ही यह यंत्र अपनी पत्नी के काम को आसान करने के लिए बनाया है, लेकिन उनका यह यंत्र सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह की नर्सरी में काम आ सकता है। इससे वहां के कर्मचारियों को काफी राहत मिलेगी। क्योंकि भारी गमले को उठाने में कम से कम दो लोगों की ज़रूरत तो पड़ती ही है।
अभी बहुत कुछ करना है:
जितेंद्र कहते हैं कि वह तरह-तरह के और भी कई इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, जिसमें एक महत्वपूर्ण इनोवेशन उनके लिए है जो सुन नहीं सकते। उनका दवा है कि उन्होंने एक ऐसा यंत्र ईजाद किया है, जिसे दांतो के बीच में रखने के बाद कोई भी बहरा व्यक्ति सुन सकता है। उनका यह यंत्र अभी ट्रायल में है।

वह कहते हैं, “मैं आम लोगों के लिए काम करना चाहता हूँ। बहुत ज़्यादा साधन नहीं हैं तो जो कर सकता हूँ करता रहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि मैं इस दुनिया में रहूँ या ना रहूँ लेकिन कम से कम मेरे आइडियाज लोगों के काम आते रहें।”
अगर आपको जितेंद्र साहू के आविष्कारों के बारे में अधिक जानना है या फिर आप उनकी मदद करना चाहते हैं तो उन्हें 9861555700 पर कॉल कर सकते हैं!
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