पुणे में रहने वाली सुज़ैन फर्नानडीस को पेड़-पौधों से खास लगाव है। वह इन दिनों टेरेस गार्डनिंग में ढ़ेर सारे नए प्रयोग कर रही हैं।
“पुणे बदल गया है। पहले यहां हरियाली ही हरियाली थी लेकिन अब हर जगह आपको ‘कंक्रीट जंगल’ दिखेगा। सच कहूँ तो पढ़ाई और जॉब वगैरह के चलते मैं खुद भी प्रकृति से दूर हो गई थी। लेकिन साल 2015 में जीवन में एक ठहराव आया और मुझे फिर से मौका मिला प्रकृति से जुड़ने का,” द बेटर इंडिया से बात करते हुए सुज़ैन ने बताया।
सुज़ैन कहती हैं कि वह जिस बिल्डिंग में रहती हैं, उसी की छत पर उन्होंने टेरेस गार्डनिंग की शुरूआत की। इस बिल्डिंग में छह फ्लोर हैं और लिफ्ट भी नहीं है। लिफ्ट न होने के कारण छत तक मिट्टी, गमले और पौधे आदि ले जाना आसान नहीं था।

शुरू में, सुज़ैन ने कुछ हर्ब्स और फूलों से शुरुआत की। उन्होंने ठान लिया था कि वह प्राकृतिक तरीके से ही गार्डनिंग करेंगी। जैसे-जैसे उन्हें गार्डनिंग में सफलता मिलने लगी, उन्होंने सब्ज़ियाँ उगाना शुरू किया। वह कहती हैं कि उन्हें एक्सपेरिमेंट करना बहुत पसंद है। इसलिए उन्होंने देसी साग-सब्जियों की प्रजातियों के साथ-साथ कुछ एग्जोटिक वैरायटी उगाने की भी शुरुआत की।
“मेरे गार्डन में आपको देसी और विदेशी, दोनों तरह की वैरायटी मिलेंगी। मुझे लगा कि जो हमारे यहाँ नहीं मिलता है, उसे भी उगाकर देखना चाहिए और इसमें मुझे सफलता भी मिली। आज मैं बहुत से एग्जोटिक फूल और सब्जी उगाती हूँ, जिनमें जापानी मॉर्निंग ग्लोरी फूल और कुछ टमाटर की वैरायटी मेरी पसंदीदा हैं,” उन्होंने आगे कहा।
सुज़ैन अलग-अलग मौसम के हिसाब से पेड़-पौधे लगाती हैं। टमाटर की देसी और एग्जोटिक वैरायटी को मिलाकर अब तक वह 80 किस्म के टमाटर उगा चुकी हैं, जिनमें चेरी टमाटर, खट्टे टमाटर, लाल टमाटर, छोटे टमाटर, काले टमाटर और पीच टमाटर जैसी वैरायटी शामिल हैं।

टमाटर के अलावा, वह बीन्स, करी पत्ता, चिली पैपर, बंदगोभी, बैंगन, एगप्लांट, और बहुत-सी पत्तेदार सब्ज़ियाँ उगातीं हैं। हार्वेस्टिंग के सीजन में शायद ही कुछ उनके घर में बाहर से ख़रीदा जाए क्योंकि तब उनके गार्डन से ही उन्हें हर रोज़ कुछ न कुछ मिल जाता है।
टमाटर की तरह-तरह की वैरायटी उगाने के अलावा वह दूसरे एक्सपेरिमेंट भी करतीं हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी छत पर ग्लास जेम कॉर्न यानी कि रंग-बिरंगी मक्का भी उगाई है। वह भी उन्होंने एक ही गमले में चार फसल एक साथ लीं, एक मक्का, दूसरी टमाटर, तीसरा खीरा और चौथा बीन्स।

वह कहतीं हैं कि अक्सर टमाटर और मक्का के लिए समझा जाता है कि ये अच्छे साथी पौधे नहीं हो सकते हैं। लेकिन उनका एक्सपेरिमेंट सफल रहा। उन्होंने एक ही गमले में चार फसल लीं।
सबसे पहले सुज़ैन ने गमले में पॉटिंग मिक्स डालकर मक्का के बीज बोए। उन्होंने नवंबर में बेज बोए थे और लगभग दो महीने बाद पौधे में मक्का लगना शुरू हुआ। मक्के के बीजों के बाद उन्होंने बीन्स के बीज लगाए और बीन्स के बाद टमाटर का। अंत में उन्होंने खीरा की बेल लगाई। मिट्टी में घर पर बनी खाद के साथ -साथ उन्होंने गमले में मल्चिंग भी की।
सुज़ैन कहती हैं कि किसी भी पौधे के लिए अच्छा पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए आप लाल मिट्टी, खाद, कोकोपीट और रेत/बजरी मिला सकते हैं। इसके अलावा, वह खुद ही अपने घर में खाद और अन्य पोषक तत्व भी बनाती हैं जैसे नीम और सरसों की खली, बोनमील, फिश इमल्शन आदि। वह जो भी उगाती हैं उसमें से एक तिहाई हार्वेस्ट को वह बीज बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
“चाहे फूल हो या सब्जी, मैं लगभग 40% उपज से बीज तैयार करती हूँ। मैंने देशी और विदेशी, दोनों तरह की किस्मों के बीज इकट्ठा करके अपना बीज बैंक बनाया है। पिछले 8 महीनों से मैंने इसमें से लोगों को बीज बेचना भी शुरू किया है,” उन्होंने आगे कहा।

फिलहाल, सुज़ैन से लगभग 200 ग्राहक बीज खरीद रहे हैं। वह कहती हैं कि सोशल मीडिया पर गार्डनिंग ग्रुप्स में उनकी पोस्ट्स देखने के बाद लोगों ने बीज के लिए सम्पर्क किया। धीरे-धीरे उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है। बीज देने के साथ-साथ वह लोगों को मुफ्त में गार्डनिंग कंसल्टेशन भी देती हैं। उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है।
सुज़ैन के कुछ टिप्स:
*अक्सर लोग अपने पेड़-पौधों पर पेस्ट्स को देखकर घबरा जाते हैं और तुरंत इसका कोई समाधान करना चाहते हैं। लेकिन सुज़ैन का सुझाव है कि अपने गार्डन को प्राकृतिक तरीकों से पनपने दीजिए। अगर प्रकृति ने ये कीट दिए हैं तो इनका निवारण भी प्रकृति के पास है। कोई भी कीट प्रतिरोधक छिड़कने से पहले थोड़ा रुकें और इस बारे में सोचें।
*अपने घर में खाद ज़रूर बनाएं। आप यह छोटे-से कंटेनर से भी शुरू कर सकते हैं।
*अगर आप खाद भी नहीं बनाते तब भी अपने गीले कचरे को सूखे कचरे से अलग रखें। फल-सब्ज़ियों के छिलकों को आप मिट्टी में मिला सकते हैं। सूखे पत्तों से मल्चिंग कर सकते हैं।
*लोगों को अपने किचन गार्डन में थोड़े-बहुत फूल भी लगाने चाहिएं। पहली बात, ये कीटों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं और सब्जियां बीमारी से बच जातीं हैं। दूसरा फायदा है कि इनसे रसपान करने आने वाले जीव आपके किचन गार्डन के लिए पॉलीनेटर का काम करते हैं।
*अगर आप गार्डनिंग कर रहे हैं तो आपका उद्देश्य सस्टेनेबल होना चाहिए।
*हमेशा 5 R फॉलो करें: रिड्यूज, रीसायकल, रियूज, रिफ्यूज और रिजेक्ट- अगर हम इन 5 सिद्धांतों को अच्छे से समझेंगे तो हम गार्डनिंग के साथ-साथ अपना कार्बन फुटप्रिंट भी कम कर सकते हैं।
जल्द ही, सुज़ैन अपना एक छोटा-सा वेंचर ‘स्यु ऑर्गनिक्स’ शुरू करने वाली हैं। जिसके ज़रिए वह लोगों को गार्डनिंग से सबंधित सर्विसेज उपलब्ध कराएंगी। आप सुज़ैन से उनके इंस्टाग्राम अकाउंट के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं!
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