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लॉकडाउन के दौरान मैंने छत पर ही उगाईं अपनी जरूरत की 90% सब्जियाँ! जानना चाहेंगे कैसे?

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तिरुचिरापल्ली की रहने वाली मुथु नागप्पन एक गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी छत पर एक सुंदर सा किचन गार्डन तैयार किया है, जहाँ की हरियाली किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। उनकी सुबह की शुरूआत अपने हरे भरे बगीचे को सींचने और लंच के लिए बैगन, भिंडी या पालक जैसी ताज़ी सब्जियों को तोड़ने से शुरू होती है। वह शाम को दोबारा अपने बगीचे में चक्कर लगाती हैं और पौधों की देखभाल करती हैं और उनमें घर पर बनी खाद डालती हैं।

Trichy woman organic veggeis
मुथु नागप्पन

मुथु ने अपनी मनचाही सब्जियाँ उगाकर न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया है बल्कि लॉकडाउन के दौरान उनके लिए यह एक वरदान भी साबित हुआ है। उनकी मेहनत की बदौलत उनका पूरा आज परिवार ऑर्गेनिक सब्जियों के स्वाद का आनंद ले रहा है। वह बताती हैं कि हर दूसरे दिन बगीचे से लगभग 250 ग्राम सब्जियाँ निकल आती हैं, जिससे उन्हें सब्जी खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता।

मुथु ने द बेटर इंडिया को बताया, “बगीचे से हमारे पूरे परिवार के लिए लगभग 90 प्रतिशत सब्जियाँ निकल आती हैं। हम शायद ही कभी सब्जी खरीदने के लिए बाहर जाते हों। इससे हम सभी को काफी सूकून मिला है।”

Trichy woman organic veggeis
घर में उगायीं सब्जियां

मुथु ने 500 वर्ग फुट के क्षेत्र में लगभग 25 किस्मों की सब्जियाँ उगाई हैं। उनके पास 100 से अधिक ग्रो बैग्स और 3-4 सब्जियों के टोकरे हैं। खास बात यह है कि पौधों के विकास और उन्हें कीड़े से बचाने के लिए वह किसी भी रसायन या हानिकारक कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करती हैं।

कैसे हुई शुरूआत 

Trichy woman organic veggeis
इस तरह से उगाती हैं सब्जियाँ

मुथु शादी के बाद चेन्नई से तिरुचिरापल्ली शिफ्ट हो गईं। उन्हें अपने मम्मी-पापा के घर के वेजिटेबल गार्डन की बहुत याद आती थी। उन्होंने छत पर ही कुछ सब्जियाँ उगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

घर में सब्जियाँ उगाना काफी चुनौतीपूर्ण था। उनकी जगह कोई और होता तो शायद अपने इस सपने को पीछे छोड़ देता। हालाँकि मुथु को थिरुवेरुम्बुर स्थित गंगा ऑर्गेनिक फार्म से अपनी समस्या का समाधान मिल गया। फार्म के लोगों ने उन्हें ट्रेनिंग और जरूरी मैटेरियल देकर वेजिटेबल गार्डन स्थापित करने में काफी मदद की।

“पिछले साल मैंने एक महीने की ट्रेनिंग ली और सीखा कि घर पर खेती करना सिर्फ़ बीज बोने जितना आसान नहीं है। इसके लिए सही मिट्टी, जैविक खाद और अच्छी गुणवत्ता के बीज आदि का होना जरूरी है। कुछ प्रयोग और गलती करने के बाद मैं इस प्रक्रिया को समझ गयी”, उन्होंने बताया।

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इस तरह के ग्रो बैग्स में उगाती हैं सब्जियाँ

गंगा ऑर्गेनिक फॉर्म्स के संस्थापक हरिहर कार्तिकेयन ने द बेटर इंडिया को बताया, “20 ग्रो बैग के लिए कम से कम 100 वर्ग फुट जगह की जरूरत होती है। हम ग्रो बैग की सलाह देते हैं क्योंकि इसका वजन हल्का होता है और इसमें लंबे समय तक नमी बनी रहती है। इसके अलावा हम मिट्टी, कोकोपीट और वर्मीकम्पोस्ट (1: 3: 5 अनुपात) का मिश्रण भी देते हैं, जो माइक्रोबियल एक्टिविटी को बढ़ाता है और पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करता है।”

जैविक विकास पर ध्यान देना

ज्यादातर गार्डनरों को पौधों के धीमे विकास और कीड़ों से बचाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए वे रसायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण उन्हें घर पर सब्जियाँ उगाने में कामयाबी नहीं मिलती है।

हालाँकि मुथु घर पर ही जैविक खाद बनाती हैं। वह अपने किचन के सभी कचरे को खाद में बदलती हैं।

मुथु कहती हैं, “मेरे पास दो छोटी कंपोस्टिंग यूनिट है जो रोटेशनल बेसिस पर काम करती हैं। मैंने 100 रुपए में एक माइक्रोब बैग खरीदा। मैं रोजाना किचन के कचरे पर माइक्रोब की एक परत डालती हूँ। यह गंध नहीं करता है और मैं खाद के डिब्बे के आसपास के क्षेत्र को साफ रखती हूँ।”

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मुथु कम्पोस्ट बिन से हर दूसरे दिन निकलने वाले लिक्विड को जमा करती हैं। इसे पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कती हैं। यह मिश्रण जैविक खाद का काम करता है।

इस तरीके से मुथु अपने बगीचे में मिर्च, (लंबी बीन्स), पालक, ड्रमस्टिक, लेमनग्रास और पपीता, अनार, अमरूद और टमाटर जैसे फल उगाती हैं।

मुथु के बगीचे में रंग-बिरंगे पौधे हैं। यहाँ बहुत सारे पक्षी और तितलियाँ आती हैं। वह कहती हैं, “मैं बेशक खुद को प्रकृति के करीब महसूस करती हूँ। किचन गार्डन न सिर्फ हमें मानसिक राहत देता है बल्कि हमारी डाइट में भी सुधार करता है।”

मूल लेख- Gopi Karelia

यह भी  पढ़ें- मेरे टेरेस गार्डन से मुझे हर दिन 5 किलो सब्जियाँ मिलती हैं! जानना चाहेंगे कैसे?

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