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लखनऊ: नौकरी छोड़ शुरू की लेमन ग्रास की खेती, अब यूरोप में भी करते हैं एक्सपोर्ट

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देशभर में जहाँ कई किसान कृषि को घाटे का सौदा मानकर इसे छोड़ रहे हैं तो वहीं कुछ ऐसे युवा भी हैं, जो खेतीबाड़ी को ही अपना करियर बना रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं लखनऊ के रहने वाले समीर चड्ढा। समीर न सिर्फ खेतीबाड़ी करके कृषि के क्षेत्र में एक उम्मीद जगा रहे हैं बल्कि दूसरे युवा किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं और खेती के तौर तरीकों की फ्री में ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।

युवा किसान समीर ने खेती के ऐसे-ऐसे तौर तरीके ढूँढ निकाले हैं जिससे न सिर्फ वह बल्कि आसपास के लोग भी मुनाफा कमा कर रहे हैं। आखिर यह सब कैसे संभव हुआ, आइए जानते हैं यह पूरी कहानी।

समीर का परिवार शुरू से ही खेती कर रहा है और उन्हें भी बचपन से ही खेती-बाड़ी से काफी लगाव था। समीर खुद भी 12वीं पास करने के बाद ग्रेजुएशन के दौरान खेती में थोड़ा बहुत हाथ बँटाते थे। अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी होने के बाद उन्होंने पहले एजुकेशन सेक्टर में थोड़ा काम किया। लेकिन मन तो खेती उन्नत बनाने की ओर था, इसलिए उन्होंने साल 2014 से खुद को पूरी तरह से खेती के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने धान, गेहूँ और कई तरह की सब्जियाँ उगाईं। लेकिन बाद में एरोमेटिक फसलें उगाना शुरू कीं, जिनमें उन्हें सबसे ज्यादा अच्छा सौदा लेमन ग्रास और खस का लगा।

Young Farmer
लेमन ग्रास के खेत में समीर चड्ढा

समीर बताते हैं, ”लेमन ग्रास एक तरीके का एंश्योरेंस हो गया, एक बार लगाने पर इस फसल से 7 से 8 साल तक तेल का अच्छा प्रोडक्शन मिलता है। यह एक ऐसी फसल हो गई जो एक बार लगाने पर पैसे देती रहेगी। इसका ज्यादा रखरखाव भी नहीं करना पड़ता। इसके अलावा मैंने पैसे कमाने के लिए खस लगाया। इसकी डिमांड भारत की पान मसाला इंडस्ट्री, फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री और आर्युवेदिक मेडिसिन्स में खूब है। इसके अलावा न केवल भारत के इत्र व्यापार में बल्कि यह महंगे पर्फ्यूम बनाने के लिए यूरोपियन देशों में भी एक्सपोर्ट होता है।”

समीर ने लेमन ग्रास के भी काफी फायदे बताए। इससे निकलने वाले तेल को कई क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। वह बताते हैं कि इसका फ्रेग्रेन्स एंड फ्लेवर इंडस्ट्री, फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री, साबुन, डिटर्जेंट एंड क्लीनिंग प्रोडक्ट्स, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री और पेस्टीसाइड इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है। इसका एक बढ़िया इस्तेमाल हैंड सेनीटाइजर में भी हो रहा है। इसके अलावा एरोमा थेरेपी के लिए स्पा वगैरह में लेमन ग्रास का काफी फायदा है।

इसकी खेती से देशभर के किसानों को फायदा होगा। समीर कहते हैं, ”इसकी (लेमन ग्रास) सलाना खपत हमारे देश में 10 हजार टन है लेकिन अभी 5-6 हजार टन का ही प्रोडक्शन हो पाता है। इसलिए हमारे देश को काफी तेल इम्पोर्ट भी करना पड़ता है। क्योंकि कमी है इसलिए इसमें अवसर है।”

समीर ने इस तरह की खेती के पीछे एक फायदा यह भी बताया कि यह लाने ले जाने में आसान है। अब 75 हजार रुपये के माल को एक 50 लीटर के किसी भी कैन में भरकर ले जा सकते हैं और जहाँ फायदा हो उस जगह या पूरे राज्य में कहीं भी बेच सकते हैं।

Young Farmer

पूरे देश के किसानों के लिए खस और लेमन ग्रास कारगर

समीर ने बताया कि ये दोनों ऐसी फसलें हैं जिन्हें पूरे देश के किसी भी हिस्से में उगाया जा सकता है और इनकी पैदावार भी अच्छी होती है। ये देश के सूखे हिस्सों में और पानी और मिट्टी की समस्या वालो इलाकों में भी लग जाती हैं। हर राज्य में इसके 20 से 25 लेनदार भी हैं। अगर किसान यह फसल उगाते हैं तो उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए अपने राज्य में ही खरीदार मिल जाएँगे। समीर के मुताबिक दोनों ही फसलो में खर्चे काट कर एक से डेढ़ लाख प्रति एकड़ की आमदनी हो जाती है।

अगर किसान ये दो फसलें लगाना शुरू करना चाहते हैं तो समीर उनको सिर्फ एक बात के लिए सावधान करते हैं। वह बताते हैं, ”किसान को अपने इलाके में देख लेना चाहिए कि इन फसलों से तेल निकालने के लिए डिस्टीलेशन टैंक है या नहीं। अगर नहीं है तो इसमें 1 से 1.5 लाख का खर्चा आता है। अगर किसान यह खर्चा उठा लेता है तो इसमें भी फायदा है क्योंकि अगर आसपास के बाकी लोग भी लेमन ग्रास जैसी फसलें लगाना शुरू कर देते हैं तो वे आपके लगाए गए डिस्टीलेशन टैंक का इस्तेमाल कर सकते हैं और आपको किराया भी मिल सकता है। इससे आप अपने आसपास के लोगों को रोजगार में मदद भी कर सकते हैं।” इस डिस्टीलेशन टैंक के अंदर करीब 15 एरोमेटिक फसलों का तेल निकाला जा सकता है।

Young Farmer
डिस्टीलेशन टैंक में फसलों से तेल निकालने की प्रक्रिया

हर महीने फ्री में इस खेती की ट्रेनिंग देते हैं समीर

समीर को खेती में सफल होता देख, अब पूरे देश से किसानों ने उन्हें संपर्क करना शुरू कर दिया है।  पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र से कई किसान उनके पास ट्रेनिंग लेने आते हैं। समीर बताते हैं, ”मैं हर महीने 20 से 25 लोगों की ट्रेनिंग करता हूँ। मेरे पास करीब-करीब हर राज्य से लोग ट्रेनिंग लेने आ चुके हैं। लॉकडाउन में तो मैं ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दे रहा हूँ। इसके लिए मैं कोई चार्ज नहीं लेता, फ्री में ट्रेनिंग देता हूँ।” इतना ही नहीं किसानों को समीर उनकी फसलों की मार्केटिंग में भी सहयोग करते हैं।

Young Farmer
समीर के पास ट्रेनिंग के लिए आए किसान

समीर ने बताया कि एक बार सिर्फ शुरू करने की देर होती है और थोड़ा सब्र भी रखना होता है क्योंकि उन्हें भी पहले दो साल ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ था लेकिन खेती कम इन्वेस्टमेंट के साथ काम शुरू करने का अच्छा सौदा है। इसलिए वो खुद तो खेती को करियर बनाकर आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहते हैं।

अगर आपको भी समीर से खेती के तौर तरीके सीखकर आगे बढ़ना है तो उन्हें इस नंबर (9554180717) पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन- पार्थ निगम

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