दिल्ली की सड़कों पर हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। लेकिन ये पेड़ या तो कागजों में ही लगते हैं या जो लगते हैं, वह देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं। दिल्ली में प्रशासनिक तंत्र द्वारा पार्कों और वीआईपी क्षेत्रों में लगवाए गए पेड़ों की तो फॉर भी देखभाल हो जाती है लेकिन लेकिन डिवाइडर पर लगाए गए पौधों की स्थिति सबसे अधिक खराब होती है। इन पौधों को या तो जानवर खा जाते हैं या डिवाइडर पर डाले जाने वाले कूड़े के कारण वह सूख जाते हैं। ऐसे ही पौधों की रक्षा करने का बीड़ा उठाया है मैंने। मैं हूँ दिल्ली का एक युवा कमल कश्यप।
मैंने पूर्वी दिल्ली के करावल नगर सड़क पर डिवाइडर पर लगाए गए पौधों की हालत देखकर एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है।

मैंने पिछले साल जून में दिल्ली की करावल नगर रोड पर करीब 30 पौधे लगाए थे और पौधों को पशु या इंसान नुकसान न पहुँचायें इसके लिए रस्सी से बैरिकेटिंग भी की थी। पौधों को भी रोज़ पानी देता था। कुछ दिन तक तो सब सही रहा, लेकिन दो दिन बाद अगली सुबह मैंने देखा कि पौधों के पत्ते पूरी तरह गायब हैं और कई पौधे टूटे हुए भी हैं। कुछ के ऊपर कूड़ा पड़ा हुआ है। रस्सी तोड़ दी गईं थीं और डंडे गायब हो चुके थे। ये सारा काम साप्ताहिक बाजार लगाने वालों का था और उन लोगों का था जो रोड को पार करने के लिए डिवाइडर का सहारा लेते थे।
डिवाइडर को हरा भरा रखने के लिए किया पक्का इन्तजाम

पेड़ों की दुर्दशा देखकर मैं बेहद निराश था। मैंने सोच लिया कि इस डिवाइडर पर हरियाली लाकर ही दम लूँगा। फिर मैंने बेजान और बंजर डिवाइडर पर पेड़ लगाने, पानी का स्थायी कनेक्शन और फेसिंग लगाने की योजना बनाई। मैंने पाया कि सड़क पर 120 फुट के डिवाइडर पर पेड़ लगाने, पानी का कनेक्शन और पेड़ों की सुरक्षा के लिए फेसिंग के लिए करीब 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आएगा। चूंकि चंदू नगर से लेकर शेरपुर चौक तक थोक मार्किट है, तो वहां बड़े दुकानदारों से सहयोग के लिए मैंने स्थानीय दुकानदारों से बात की। कुछ दुकानदारों ने मदद का भरोसा दिया, तो कुछ ने यह कहकर टाल दिया कि यह काम तो सरकार का है, हम क्यों मदद करें।
सबसे पहले पेड़ों की व्यवस्था करनी थी। मैंने दिल्ली सरकार की नर्सरी के बारे में पता किया, तो आईटीओ पर सरकारी नर्सरी के बारे में पता चला। वहाँ जाकर बात की तो पेड़ों के निःशुल्क मिलने की व्यवस्था हो गई। लोहे के जाल की फेसिंग के लिए बल्लियाँ और सिंचाई के लिए पानी का कनेक्शन अभी भी समस्या बना हुआ था। स्थानीय दुकानदारों की मदद से पांच हजार रुपये पहले ही मिल चुके थे। बाकी के काम के लिए कमल ने अपनी जेब से ही पैसा लगाने की ठानी और जून 2019 के अंतिम सप्ताह में पेड़ लगाने की योजना पर काम शुरू किया।

सिंचाई के लिए करावलनगर रोड पर ही गुप्ता बिल्डर्स के यहाँ से पानी की लाइन सड़क के नीचे खुदवाकर डिवाइडर तक ले आया और पौधारोपण शुरू किया। चूंकि डिवाइडर पर अकेले काम करना संभव नहीं था, इसलिए दो दिहाड़ी मजदूरों को अपने साथ लगाया और उचित दूरी पर पेड़ों के लिए गड्ढे खुदवाए, बल्लियाँ गड़वाईं और पौधे लगाकर उनके चारों ओर लोहे के जाल की फेसिंग करवा दी। चूँकि पानी की व्यवस्था हो गई थी, तो हर तीन दिन में पेड़ों की सिंचाई भी होने लगी। साप्ताहिक बाजार लगाने वाले लोगों को सख्त चेतावनी दी गई कि अगर यहाँ कूड़ा डाला तो पुलिस कार्रवाई की जाएगी। बरसात का मौसम था, तो कुछ ही दिनों में पेड़ लहलहाने लगे। यह मेरी पहली सफलता थी, तो इस सफलता से खुश होकर मैंने मन ही मन ठान लिया कि अब इस काम को नहीं रोंकेगे और इस अभियान को आगे भी बढ़ाया जाएगा।
और इस तरह बना ‘ट्री माय फ्रेंड ग्रुप’

एक दिन मैं डिवाइडर पर पेड़ों के लिए काम कर रहा था। एक परिचित अनूप मेरे पास आए और साथ जुट गए। पेड़ों की खुदाई, निराई-गुड़ाई करते हुए सुबह से शाम हो गई और दोनों मिलकर काम करते रहे। हमने पेड़ों के लिए काम करने को आगे बढ़ाने के विषय पर चर्चा की और अन्य साथियों को भी इसमें शामिल होने का आग्रह किया और इस तरह से एक अभियान अब एक ग्रुप का रूप लेने लगा और ग्रुप को नाम दिया गया ‘ट्री माय फ्रेंड ग्रुप।’
500 से अधिक पौधे सड़क पर लगा चुका है ग्रुप

ग्रुप ने 500 से अधिक पेड़ लगाए हैं। ग्रुप से जुड़े ज्यादातर लोग सरकारी विभागों में काम करते हैं। ग्रुप के सदस्य रमेश शिक्षक हैं, वहीं अनूप दिल्ली एनडीएमसी, सुशील तोपची संसद, अर्जुन रेलवे में और विक्रम राघव का स्टार्टअप है। इसके अलावा कमल श्रीवास्तव समाजसेवी हैं, वहीं नृपेंद्र सिंह बिजनेसमैन हैं। मयंक आईटी कंपनी से जुड़े हैं। पंकज प्राइवेट शिक्षक हैं और बाकी सदस्य भी कामकाजी हैं।
समूह से जुड़े लोगों का पेड़ लगाने का काम अनवरत जारी है।
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप मुझसे 9999264227 पर संपर्क कर सकते हैं।
लेखक- कमल कश्यप
यह भी पढ़ें- दिल्ली: पिछले पाँच सालों से नहीं फेंका घर का जैविक कचरा, खाद बनाकर करती हैं गार्डनिंग
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
The post डिवाइडर पर कचरा फेंकते थे लोग, फिर मैंने शुरू किया यह अभियान, अब हरी-भरी लगती है दिल्ली appeared first on The Better India - Hindi.