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लॉकडाउन की कैद के बाद कुछ इस तरह निराले सफर पर निकल पड़े घुमक्‍कड़

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अनलॉक के साथ ही घर कैद से मुक्ति पर्व की शुरुआत हो चुकी है। सरकारी प्रतिबंधों का उठना जारी है, प्रशासनिक पेंच भी ढीले पड़ रहे हैं और बाहर की दुनिया आपके इंतज़ार में है।

होमस्टेज़ ऑफ इंडिया की को-फाउंडर शैलजा सूद दासगुप्ता जब ऐसा कहती हैं, ”मैं लॉकडाउन खुलने के बाद दो बार राजस्थान और एक दफा उत्तराखंड का सफर कर चुकी हूँ। मैंने सरकारी निर्देशों का पालन किया, रास्ते के लिए घर से खाना पकाकर ले गई, मास्क का साथ नहीं छोड़ा और भीड़-भाड़ से दूरी बनाकर रखी। यकीन मानिए, ऐसी कोई वजह नहीं है कि अब आप दोबारा ट्रैवल नहीं शुरू कर सकते। सच तो यह है कि अनिश्चितता के इस दौर में तनाव और निराशा के कुचक्र से बाहर आने, खुद को मानसिक तौर पर स्वस्थ और तनावरहित बनाए रखने की खुराक हमें ट्रैवल से मिलेगी।”

तो देरी कैसी? वैकेशन को जिंदगी में वापस ले आइये। लेकिन घर छोड़ने से पहले एडवांस में तैयारियाँ करना मत भूलना।

Is it safe travel uttarakhand

कैसे शुरू करें सफर घर-कैद के बाद

डिजिटल मीडिया जर्नलिस्‍ट उपमिता कहती हैं, ”सफरी जिंदगी की दोबारा शुरुआत ठीक उसी अंदाज़ में की जा सकती है जैसे सरकार ने खोली हैं सड़कें, और खोले हैं हवाईअड्डे या रेलवे स्‍टेशन। धीरे-धीरे और हालात को देखकर अपना कदम उठाएँ। बेशक, छोटे बच्‍चों और बुजुर्गों के साथ फिलहाल ट्रैवल कुछ और दिनों के लिए टाला जा सकता है, लेकिन यंग कपल्‍स, सिंगल्‍स, ऑफिस कलीग्‍स अपने यार-दोस्‍तों संग घूमने निकला जा सकता है। ऐसा करना रिफ्रेशिंग होगा और आपकी इमोशनल हैल्‍थ के लिए फायदेमंद भी।”

“शुरू में छोटी दूरियाँ नापें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचने के लिए अपनी कार में रोड ट्रिप्‍स पर निकलें, स्‍टे के लिए ऐसे ठिकाने चुनें जो सैनीटाइज़ेशन के मापदंडों का सख्‍ती से पालन कर रहे हैं। मैंने खुद हाल में अपने तीन साल के बच्‍चे को लेकर भोपाल से पातालपानी का सफर किया। हम अपनी कार से गए और घर से खाना-पानी-चाय-स्‍नैक्‍स वगैरह ले गए। इतने सालों बाद सैर-सपाटे के लिए पिकनिक बास्‍केट पैक करना भी नया अनुभव था। उस दिन पहली बार महसूस हुआ कि बीते महीनों में जो जिंदगी न जाने कहाँ खो गई थी, उसे वापस पा लिया। रिफ्रेशिंग थी वह छोटी-सी आउटिंग। लेकिन फिलहाल बच्‍चे का साथ है, लिहाज़ा हम भी सफर के लिहाज से बेबी स्‍टैप्‍स ही उठा रहे हैं।”

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source- Shailza Sood Dasgupta

माना कि अनिश्चित हैं सफर और सफर की मंजिलों से जुड़े एसओपी, मसलन, फलाँ जगह जाने पर क्‍या मुझे क्वारंटाइन में रहना होगा, क्‍या घर लौटने पर क्वारंटाइन के नियम लागू होंगे और क्‍या लंबे सफर के लिए नए हालातों में ट्रैवल इंश्‍योरेंस उपलब्‍ध हैं?

दिल्‍ली में अपना लाइफस्‍टाइल स्‍टोर चलाने वाली अनाया जोशी ने बताया, ”ऐसे सवालों से उलझने से बेहतर है नज़दीकी मंजिलों का सफर, आउटडोर गतिविधियाँ चुन लेना जैसे कि हाइकिंग, ट्रैकिंग या आसपास किसी समुद्रतट/हिल स्‍टेशन पर लंबे समय के लिए अड्डा जमा लेना। मैंने यही चुना और आज मैं अपने परिवार के संग तीन हफ्ते के लिए शीतलाखेत में हूँ। हम हर दिन आसपास किसी ट्रैकिंग ट्रेल पर निकल जाते हैं, सुबह से शाम पहाड़ों की सोहबत में गुजार देते हैं। अच्‍छा खाना-पीना, अनुशासित जिंदगी, पहाड़ी हवा-पानी … और जीने को क्‍या चाहिए।”

2020 में हॉलीडे, बेशक मुमकिन है

अगर होम या इंस्‍टीट्यूशनल क्वारंटाइन का ख्‍याल आपको वैकेशन पर निकलने से रोक रहा है तो उन मंजिलों के हो जाएँ जहाँ न कोविड टेस्ट ज़रूरी है और न क्वारंटाइन। अलबत्‍ता, कुछेक औपचारिकताएँ आवश्‍यक हैं, उन्‍हें निभा लीजिए। जैसे चंडीगढ़ 72 घंटे से कम समय के लिए जा रहे हैं तो थर्मल स्‍क्रीनिंग से गुजरना होगा और एक घोषणा-पत्र भरना है कि यहाँ आने से 15 दिन पहले तक आप परदेस में नहीं थे। वेबसाइट पर रजिस्‍टर कराइये और शान से घूमिये।
जिस भी मंजिल को चुनें उस जगह के ट्रैवल के नियमों को पहले जान लें ताकि बाद में असुविधा या निराशा से बचा जा सके। उत्‍तर भारत के जिन दो पहाड़ी राज्‍यों – हिमाचल और उत्‍तराखंड ने लॉकडाउन में कड़ाई से नियमों को लागू कर अपने यहाँ पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी थी, उन्‍होंने भी अब सारी पाबंदियाँ हटा ली हैं। इसका मतलब आपको यहाँ जाने से पहले कोविड टैस्‍ट कराना जरूरी नहीं है लेकिन उत्‍तराखंड में सरकारी वेबसाइट पर रजिस्‍ट्रेशन की अनिवार्यता अभी बनी हुई है।

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इसी महीने रणथंबोर अभयारण्‍य में सफारी और आसपास के देहातों में घुमक्‍कड़ी का लुत्‍फ लेकर लौटीं फूड एंड ट्रैवल राइटर अयं‍द्रलि दत्‍ता ने राजस्‍थान चुना क्‍योंकि राज्‍य सरकार ने पर्यटन पर से हर तरह की रोक-टोक हटा ली है। अयंद्रलि कहती हैं,”मैं अपनी माँ और बहन के साथ अपनी कार में गई, हमने रास्‍ते के लिए जरूरी सामान पैक किया और मिडवे पर चाय-पानी के लिए रुके। नोएडा से रणथंभोर के इस रोड ट्रिप में रास्‍ते में न किसी ने रोका, न टोका। सफारी खुल चुकी है और टूरिस्‍ट कम होने की वजह से कोई अफरातफरी नहीं है। सच तो यह है कि इस मौके का फायदा उठाने के लिए कई वाइल्‍डलाइफ फोटोग्राफर इस नेशनल पार्क में इन दिनों डेरा डाले हुए हैं और बाघ की अच्‍छी ‘साइटिंग’ भी हो रही है। होटलों में ऑफ-सीज़न डिस्‍काउंट है, सो अलग।”

छुट्टियाँ मनाना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक पाया गया है। तमाम अध्‍ययनों से ज़ाहिर हुआ है कि वैकेशन आपके दिल की सेहत के अलावा प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और ड्रिपेशन, स्‍ट्रैस जैसी मुसीबतों से बचाने में कारगर है। तो इस बार छुट्टियों से छुट्टी कैसी?

अपनी छुट्टियों के हर पल का मज़ा लें, खुद को अनप्लग और रिलैक्स करें। क्योंकि ऐसा करने का वाजिब हक है आपको!

संपादन- पार्थ निगम 

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