जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारतीय रेलवे विश्व के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क्स में से एक है। भारतीय रेलवे 68 हज़ार किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बे ट्रैक्स के जरिए हर साल लगभग 8 बिलियन यात्रियों को सुविधा दे रहा है। आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा।
हर दिन लाखों की संख्या में यात्रियों को अपने गन्तव्य तक पहुँचाने वाले इस रेलवे नेटवर्क को चलने के लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है। भारतीय रेलवे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ़िलहाल, रेलवे की वार्षिक ऊर्जा जरूरत 20 अरब यूनिट की है। इस ऊर्जा की आपूर्ति के लिए रेलवे अनवीकरणीय स्रोतों पर निर्भर है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में लगभग 50% रेलवे को बिजली से जोड़ा गया है। आने वाले समय में बाकी रेलवे को भी बिजली से जोड़ा जाएगा।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव कहते हैं, “आर्थिक विकास और खपत में हुई बढ़ोतरी के चलते साधनों की मांग भी बढ़ी है। लेकिन सस्टेनेबिलिटी के लिए ज़रूरी है कि हम आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण के मुद्दों पर भी ध्यान दें।”
गौरतलब है कि कार्बन उत्सर्जन क्लाइमेट चेंज में अहम भूमिका निभाता है, जिसमें भारत के परिवहन क्षेत्र का लगभग 12% योगदान है। इस 12% में से 4% भाग सिर्फ भारतीय रेलवे का है और इसलिए ही, भारतीय रेलवे खुद को पूर्ण रूप से ग्रीन एनर्जी से चलाना चाहता है। इससे रेलवे पर्यावरण के लिए हानि का कारण नहीं होगी और साथ ही, आत्म-निर्भर बनेगी।
भारतीय रेलवे द्वारा जारी की गई एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक भारतीय रेलवे ने साल 2030 तक शुद्ध रूप से कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रेलवे ने अगले 10 वर्षों में 33 अरब यूनिट से अधिक की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में रेलवे की वार्षिक ऊर्जा जरूरत 20 अरब यूनिट की है।
अपनी इस योजना पर काम करते हुए भारतीय रेलवे ने सौर ऊर्जा की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय रेलवे ने अब तक 960 से अधिक स्टेशनों पर सौर पैनल लगाये हैं। साथ ही 550 स्टेशनों की छतों पर 198 मेगावाट सौर क्षमता वाले सौर पैनल लगाने के आर्डर दे दिये गए हैं जिसका क्रियान्वयन जारी है। रेलवे स्टेशनों को सौर ऊर्जा से लैस करने के साथ-साथ भारतीय रेलवे ने सोलर प्लांट लगाने का काम भी शुरू किया है।
इस काम के लिए रेलवे अपनी उस ज़मीन को इस्तेमाल कर रहा है जो अब तक खाली पड़ी है। इस ज़मीन पर लगभग 20 गीगावाट ऊर्जा की क्षमता वाले सोलर प्रोजेक्ट्स किए जाएंगे।
हाल ही में, मध्य प्रदेश के बीना में रेलवे ने अपनी खाली पड़ी जमीन पर 1.7 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का काम पूरा कर लिया है। इसे 25 किलोवाट के ओवरहेड लाइन से जोड़कर इससे ट्रेन चलाने की योजना है। पहली बार देश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से ट्रेनें चलाई जाएंगी।
Indian Railways Sets Global Standards:
In a one-of-a-kind instance, Railways sets up a Solar Power Plant in Bina, Madhya Pradesh to 1.7 Mega Watt to directly feed to 25kV Railway Overhead Line. pic.twitter.com/t12ovoBLXE
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) July 6, 2020
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से लगाये गये इस संयंत्र के परीक्षण का काम शुरू हो गया है और जल्द ही, बिजली उत्पादन शुरू हो जायेगा।
बीना स्थित संयंत्र में डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति की जा सकेगी। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट होगी जिससे रेलवे को 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।
विभिन्न स्टेशनों और रेलवे की इमारतों की छतों पर अब तक करीब 100 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री में तीन मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र चालू हो चुका है।
रेलवे छत्तीसगढ़ के भिलाई में 50 मेगावाट का एक और सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है जिसे केंद्र के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जाएगा। यहाँ मार्च 2021 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। हरियाणा के दीवाना में दो मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र पर भी काम हो रहा है। इससे राज्य के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जायेगा।
भारतीय रेलवे के जिन स्टेशनों को अब तक सोलर ऊर्जा से लैस किया गया है उनमें जयपुर, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, वाराणसी, सिकंदराबाद, और हैदराबाद आदि शामिल हैं। कई जगह रेलवे ने सोलर वाटर कूलर लगाएं हैं तो गुंतकल रेलवे स्टेशन पर उल्टा-छाता तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन दोनों हो सकते हैं। अपने इन छोटे-बड़े क़दमों के पीछे रेलवे का सिर्फ एक लक्ष्य है और वह है ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भर होना।
यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारतीय रेलवे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो भारतीय रेलवे हर साल लगभग 7.5 मिलियन कार्बन उत्सर्जन को रोक पाएगा। इसके साथ ही, रेलवे ने 100 से भी ज़्यादा वाटर ट्रीटमेंट और रीसाइक्लिंग यूनिट्स सेट-आप की हैं। उम्मीद है कि भारतीय रेलवे ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में इसी तरह आगे बढ़ेगा और सस्टेनेबल होने लक्ष्य को प्राप्त करेगा!
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