जिन्हें बागवानी का शौक होता है, वह पेड़-पौधों के साथ खूब प्रयोग करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे शौकिन गार्डनर से मिलवाने जा रहे हैं, जो पेशे से तो सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं लेकिन उन्होंने अपने टैरेस को फल, फूल और हरी सब्जियों से सजाकर रखा है और सबसे खास बात यह है कि उनका टैरेस गार्डन स्वायल फ्री है, मतलब वह मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वह एक खास तरह का पॉटिंग मिक्स तैयार करते हैं, जिसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है।
भोपाल के 41 वर्षीय तरुण उपाध्याय अपना स्टार्टअप चला रहे हैं और इसके साथ ही, वह गार्डनिंग भी करते हैं। 12 सालों से भी ज्यादा समय तक उन्होंने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंडस्ट्री में काम किया। वह अमेरिका में अच्छी कंपनी के साथ ऊँचे पद पर काम कर रहे थे लेकिन फिर उन्हें लगने लगा कि इस चकाचौंध में उनकी क्रिएटिविटी कहीं खो गई है।
फिर एक दिन उन्होंने जॉब से इस्तीफ़ा दे दिया और लौट आए अपने देश अपनी असल ख़ुशी को तलाशने। तरुण कहते हैं, “देश लौटने के बाद मैंने दो साल तक कोई जॉब नहीं किया। मैंने खुद को वक्त दिया और अपनी क्रिएटिविटी पर काम किया। आज मेरा खुद का एक स्टार्टअप है और दूसरे पर काम कर रहा हूँ। इसके अलावा एक इंटरनेशनल प्लेटफार्म Autodesk’s instructables पर फीचर्ड ऑथर हूँ।”

तरुण आगे बताते हैं, “मैं एक ऑनलाइन हेल्थ रिच प्रोग्राम, FitBanda.com का को-फाउंडर हूँ और एक और स्टार्टअप ReBalance लॉन्च करने वाला हूँ। लेकिन इसके साथ ही मैं एक फुलटाइम गार्डनर भी हूँ। मैं अपने घर में हर तरह के पेड़-पौधे उगा रहा हूँ- ओरनामेंटल, फूलों के साथ फल और साग-सब्जी उगाता हूँ।”
तरुण को हमेशा से गार्डनिंग में दिलचस्पी रही है। लेकिन वह ज़िंदगी की भाग-दौड़ में कभी भी अपने मन-मुताबिक गार्डनिंग नहीं कर पाए। इसलिए साल 2014 में जब उन्हें वक़्त और साधन मिला तो उन्होंने अपने इस शौक को पूरा करने की ठानी। उन्होंने अपनी गार्डनिंग के शौक के लिए घर को रेनोवेट कराया और पहले जहाँ उनके घर की एक छत थी, अब उनके 5 छत हैं, जिन पर उन्होंने टैरेस गार्डन लगाया है।
तरुण कहते हैं कि आज वह 300 से भी ज्यादा पेड़-पौधे अपने टैरेस गार्डन में उगा रहे हैं। वह 30 से भी ज्यादा किस्म के फल और सब्ज़ियाँ उगाते हैं जिनमें अंजीर, अमरुद (थाई और लाल वैरायटी), थाई एप्पल बेर, मलबरी (लाल और हरी वैरायटी), स्टार फ्रूट, चीकू, आम्रपाली आम, पपीता, लाल बैल पैपर, स्ट्रॉबेरी, पालक, मैक्सिकन पुदीना, पुदीना, लेमन ग्रास, करोंदा, सीताफल (शरीफा), टमाटर, तुलसी, करी पत्ता और ऐवोकैड़ो आदि।

तरुण बताते हैं, “मेरे गार्डन की दो खासियत है। पहला कि यह पूरी तरह से ऑर्गनिक है। गार्डन में किसी भी तरह के रसायन या पेस्टिसाइड इस्तेमाल नहीं करता हूँ। दूसरी और सबसे ख़ास बात यह है कि मेरा गार्डन स्वायल लैस है।गार्डन में मिट्टी का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है।”
“क्या आप विश्वास करेंगे कि एक स्क्वायर मिट्टी बनने में 200 साल लगते हैं? बढ़ते रसायनों के प्रयोग, शहरीकरण और प्रदुषण ने मिट्टी को की उर्वरा शक्ति को खत्म कर दिया है। इसलिए मैंने अपनी खुद की पॉटिंग मिक्स तैयार की, जिसमें मिट्टी बिल्कुल भी नहीं है। इस सफर में मुझे बहुत बार असफलताएं भी मिली हैं लेकिन मैं सिर्फ कोशिश पर ध्यान देता हूँ और आज मेरा यह पॉटिंग मिक्स हर तरह के पेड़-पौधे उगाने के लिए बेस्ट मीडियम है,” उन्होंने आगे कहा।
कैसे बनाते हैं तरुण पॉटिंग मिक्स:
- वर्मीकंपोस्ट 30%
- गोबर की खाद 30%
- कोकोपीट 20%
- पर्लाइट 10%
- एडिटिव जैसे नीमखली, सरसोंखली 10%
- इसके अलावा कभी कभी बोनमील आदि भी मिला सकते हैं।
इस मिट्टी-फ्री पॉटिंग मिक्स हैं कई फायदे:
तरुण पॉटिंग मिक्स बनाने की विधि के साथ-साथ यह भी बता रहे हैं कि इसके क्या-क्या फायदे हैं।
- सबसे पहला फायदा है कि यह आपके गमलों और प्लांटर्स के वजन को मिट्टी से 50% तक कम रखता है। छत पर इससे ज्यादा वजन भी नहीं होता है और प्लांटर्स को मैनेज करना भी आसान रहता है।
- यह पॉटिंग मिक्स पेड़-पौधे के विकास के लिये भी उत्तम है।
- जड़ें अच्छे से विकसित होती है क्योंकि यह मीडियम हल्का है और इस वजह से जड़ें अच्छे से सांस लेती हैं।
- इस मीडियम में ड्रेनेज अच्छे से होता है और नमी भी बनी रहती है और हवा का आवागमन भी अच्छा होता है।
- जैविक एडिटिव जैसे बोनमील, फिश्मील मिलाना आसान रहता है।
- सामान्य मिट्टी से ज्यादा समय तक इस पॉटिंग मिक्स में पोषण रहता है।
- पौधों को ट्रांसप्लांट या फिर रिपॉट करना आसान रहता है।
इस पॉटिंग मिक्स के साथ-साथ तरुण नियमित रूप से नीम का तेल या फिर करंज का तेल भी पेस्टिसाइड के तौर पर पेड़-पौधों पर स्प्रे करते हैं। वह कहते हैं कि अगले साल तक वह अपने घर की लगभग सभी ज़रूरतें अपने गार्डन से पूरी करने लगेंगे।
“गार्डनिंग ने मुझे एक बेहतर इंसान बनने में काफी मदद की है। हर दिन सुबह उठाकर मैं अपने बेडरूम के सामने फ्रंट टैरेस पर खिले खूबसूरत फूलों को देखता हूँ। मेरे पौधे मुझे हमेशा सकारात्मक स्वभाव बनाए रखने में मदद करते हैं,” तरुण ने आगे कहा।
तरुण अलग-अलग गार्डनिंग ग्रुप्स से भी जुड़े हैं। वह कहते हैं, “गार्डनिंग करना किसी बच्चे को पालने जैसा ही है। अगर आप बच्चे का ध्यान रखते हैं तो बच्चे भी आपको बहुत प्यार करते हैं। ऐसा ही गार्डनिंग के साथ है। आज हम अपने बच्चों को रसायनयुक्त खाना खिला रहे हैं और यह खाना ही बहुत-सी समस्यायों की जड़ है। कहते हैं ना जैसा खाओ अन्न, वैसा हो मन। इसलिए बहुत ही ज़रूरी है कि हम अपने खाने पर ख़ास ध्यान दें। इसके लिए सबसे आसान तरीका है कि हम साग-सब्जी खुद उपजाएं।”
यक़ीनन, तरुण उपाध्याय की कहानी प्रेरणादायक है और उम्मीद है कि बहुत से लोगों को इस कहानी से कुछ अच्छा सीखने में मदद मिलेगी!
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