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विदेश से लौटकर नहीं मिली नौकरी तो उगाने लगे कमल, हर महीने कमाते हैं 30, 000 रुपये

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यह कहानी केरल के एक ऐसे शख्स की है, जिसने लगातार 10 साल तक कतर में स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर काम किया और फिर वहाँ नौकरी छोड़कर देश इस उम्मीद से लौट आया कि यहाँ भी इसी सेक्टर में नौकरी मिल जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसे में यह शख्स निराश नहीं हुआ और उस काम की शुरूआत की, जिसका शौक उसे बचपन से था। उसने बागवानी शुरू की और कमल के पौधे उगाकर बेचने लगा।

केरल के एर्नाकुलम जिला के 34 वर्षीय एलधूस पी. राजू अपनी छत पर कमल के पौधे उगा रहे हैं। साथ ही वह कमल के पौधे और ट्यूबर ऑनलाइन बेचते भी हैं। कतर से नौकरी छोड़ जब वह अपने घर लौटे तो उन्हें यही उम्मीद थी कि उन्हें यहाँ भी इसी क्षेत्र में अच्छी नौकरी मिल जाएगी। लेकिन उन्होंने जो सोचा वैसा हुआ नहीं। काफी प्रयासों के बाद भी उन्हें कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिली। इस वजह से अक्सर वह परेशान भी रहने लगे थे और तब उनकी ज़िंदगी में कमल का आना हुआ। बचपन से गार्डनिंग के शौक़ीन रहे राजू एक बार फिर पेड़-पौधों से जुड़ने लगें।

उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, ” मैंने गार्डनिंग की शुरूआत कमल से ही की। कमल मेरा पसंदीदा फूल है। मैंने छत पर कमल के फूल उगाना उगाना शुरू किया। इसके लिए मैंने बाहर से ट्यूबर मंगवाए। जब फूल खिलने लगे तो सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट की और इसके बाद ही मुझे कमल के पौधों के लिए ऑर्डर मिलने लगे।”

Kerala Nurse Growing Lotus
Eldhose P Raju

राजू ने बताया कि उन्होंने कमल की खेती यूट्यूब पर वीडियो देखकर सीखी है। उन्होंने थाईलैंड और अमेरिका से भी कमल के पौधे मंगवाएं हैं।

राजू ने अपनी छत पर गमलों और प्लास्टिक के कंटेनर में कमल उगाए हुए हैं। इनकी तस्वीरें वह नियमित तौर पर अपनी सोशल मीडिया फीड पर शेयर करते हैं। उनके फेसबुक पेज पर लोगों ने जब तस्वीरे देखीं तो उन्हें संपर्क करना शुरू किया।

उन्होंने कहा, “ज़्यादातर उत्तर-भारत से लोगों ने मुझे पौधों के लिए सम्पर्क किया। इसके बाद मैंने कमल के ट्यूबर लोगों को सप्लाई किए। मेरे ज़्यादातर ग्राहक नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और पुणे से हैं। इसके अलावा केरल के पलक्कड़ और तिरुवनंतपुरम के लोगों ने भी घर पर आकर पौधे और गमले खरीदे हैं।”

राजू कहते हैं कि ट्यूबर से ज्यादा मांग पौधों की है। इसके लिए वह गमले से मिट्टी और पानी निकालकर, इसे अच्छी तरह से पैक करके भेजते हैं। वह बताते हैं कि कमल के पौधे 12 दिन तक जीवित रहते हैं और ट्यूबर इससे भी ज्यादा दिनों तक। ग्राहकों को पौधे मिलने बाद बस इन्हें फिर से गमलों में लगाना होता है।

Kerala Nurse Growing Lotus
Lotus

“मैं अपने ग्राहकों को पौधों की देखभाल करने के लिए टिप्स भी देता हूँ। मैंने ऐसे लोगों को पौधे न खरीदने की सलाह देता हूँ जो सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए पौधे मंगवाते हैं,” उन्होंने कहा।

राजू कहते हैं कि उनके लिए बागवानी स्ट्रेस बस्टर है। उन्हें पौधों से शांति और मन को ख़ुशी मिलती है। वह कहते हैं कि पैसे आते-जाते रहते हैं लेकिन सबसे जरूरी है आत्मसंतोष।

वह लगभग 20 किस्मों के कमल उगा रहे हैं, जिनमें ज़िज़ुन कियानबान, मैग्निफिसेंट, चार्मिंग लिप्स, दा सजिन और फायर बाउल शामिल हैं। कमल की गार्डनिंग से वह हर महीने लगभग 30 हज़ार रुपये कमा लेते हैं। कमल के पौधों की कीमत 850 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक है।

अंत में वह अपने परिवार का धन्यवाद करते हैं क्योंकि उनके साथ के बिना वह इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते। उनके माता-पिता और पत्नी इस काम में उनका पूरा साथ देते हैं।

Kerala Nurse Growing Lotus

वह कहते हैं, “मैंने जिस चीज की पढ़ाई की थी, जिस क्षेत्र में काम का अनुभव था, उससे हटकर काम शुरू किया। इसके बावजूद परिवार के सभी सदस्यों ने मेरा विरोध नहीं किया बल्कि साथ दिया। यह मेरे लिए बड़ी बात है।”

अगर आप राजू से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 89439 11901 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा आप उनसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी जुड़ सकते हैं।

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

यह भी पढ़ें: Grow Lotus: जानें गमले में कैसे उगा सकते हैं कमल

स्त्रोत 

संपादन: जी. एन. झा


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

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