बात अगर बिरयानी की हो तो भारत में कई तरह की बिरयानी मशहूर हैं। कोई हैदराबादी बिरयानी का दीवाना है तो किसी को बंगाली तरीकों से बनी बिरयानी भाती है। इन सबके बीच नवाबों के शहर लखनऊ की अवधी बिरयानी का अपना अलग ही महत्व है। देश-विदेश के लोग अवधी व्यंजनों का लुत्फ उठाने लखनऊ आते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो पहाड़ों में अवधी खाने का स्वाद परोस रहा है। सबसे रोचक बात यह है कि इस शख्स को बनना था पायलट लेकिन जनाब बन जाते हैं शेफ!
हम बात कर रहे हैं देहरादून के होम-शेफ, समीर सेवक की, जिनके हाथ की बनी बिरयानी, यखनी पुलाव और क्रीमी चिकन कोरमा के दीवाने आम टूरिस्ट ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के सितारें भी हैं।
हर रविवार को, समीर सेवक सुबह 5 बजे उठकर कम से कम 60 कबाब, 20 किलो बिरयानी और 5 किलो बटर चिकन तैयार करते हैं। समीर का घर देहरादून के बाहर निकलते हुए मसूरी के रास्ते में पड़ता है और इसलिए अक्सर मसूरी घुमने आए लोग उनसे ऑर्डर करते हैं या फिर ऐसे लोग जिनके समर हाउस यहाँ पर हैं वह भी उन्हें ऑर्डर देते हैं। वह ज्यादा से ज्यादा 20 ऑर्डर लेते हैं और वीकेंड पर लगभग 20 हज़ार रुपये तक कमा लेते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि समीर ने शेफ बनने की योजना कभी नहीं बनाई थी। वह पायलट बनना चाहते थे। इसके बारे में समीर ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं आगरा में पला-बढ़ा। हम हवाई अड्डे के पास ही रहते थे। बचपन वहीं बीता। कुछ दिन नैनीताल में भी रहे। मेरे दादाजी वायु सेना में थे और उनका प्रभाव हमेशा से रहा।”
समीर कहते हैं कि उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद अपना पायलट प्रशिक्षण शुरू किया। तबतक शेफ बनने की कहानी उनके जीवन में नहीं आई थी।

समीर कहते हैं, “एयरलाइन इंडस्ट्री के लिए बहुत बुरा समय चल रहा है। किंगफिशर एयरलाइंस और जेट एयरवेज जैसी बड़ी एयरलाइनों का बंद होना और फिर लॉकडाउन, इस वजह से इंडस्ट्री में बहुत से लोग बेरोजगार हुए। इसी वजह से मुझे बतौर पायलट अपना करियर शुरू करने का मौका ही नहीं मिला।”
समीर ने 2008 से 2012 तक चार साल तक कनाडा के प्रेयरी स्कूल ऑफ मिशन एविएशन में पायलट ट्रेनिंग ली। अगले वर्ष भारत लौटने पर, वह अपने कनाडाई लाइसेंस को भारतीय लाइसेंस में बदल नहीं पाए क्योंकि उनके प्रशिक्षण के घंटे पूरे नहीं हुए थे।
“भारत में पायलट प्रशिक्षण की बात आती है तो नौकरशाही और लालफीताशाही बहुत है। यहाँ अपना लाइसेंस बदलने के लिए आपको कई परीक्षाओं को पास करना होगा। यदि आप एक विशेष एयरलाइन द्वारा नियोजित होना चाहते हैं, तो आपको विमान पर खुद की ट्रेनिंग के लिए पैसे भरने पड़ते हैं। ये दो महीने के कोर्स के लिए 15 लाख रुपये तक हो सकता है। एयरलाइन कंपनी के लोग मुझसे यह भी कहते रहे कि मुझे कनाडा में ही प्रशिक्षण पूरा करने की जरूरत है,” उन्होंने कहा।
इस दौरान समीर ने कुछ ब्रांड के लिए डिजिटल मार्केटिंग और शोध सहायक के रूप में भी काम किया। उन्हें इस साल कनाडा में अपनी ट्रेनिंग करनी थी लेकिन फिर कोविड-19 हो गया। वह कहते हैं, “शायद मेरी किस्मत यही थी और इसलिए अपने दूसरे पैशन, कुकिंग में अपना हुनर निखारने लगा। मैंने इस दौरान बहुत खाना पकाया, कनाडा में भी मैं खाना बनता था। मैंने गैस स्टेशन पर और मैक्सिकन ग्रिल में कुक के रूप में भी काम किया। यह तब शायद इसलिए था क्योंकि वहाँ भारतीय खाना नहीं मिलता था।”

खाने के लिए उनका पैशन, खासतौर पर लखनवी खानों के लिए, उन्हें अपनी दादी से मिला है। उनकी दादी एक बड़े से चूल्हे पर खाना पकातीं थीं। “परिवार में खास मौकों पर, मेरी दादी एक बड़े डेगची में चूल्हे पर खाना बनाती थीं। महामारी के कारण, जब हम बाहर नहीं निकल सकते थे, तब खाना बनाने में और मजा आता था,” समीर कहते हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर देहरादून की पहाड़ियों के लुभावने दृश्य के बीच खाना पकाने की तस्वीरें भी साझा की हुई हैं।
सिर्फ दो व्यंजनों – चिकन कोरमा और बिरयानी के साथ प्रयोग करने के बाद और अपने दोस्तों और परिवार से पर्याप्त प्रोत्साहन मिलने बाद, समीर ने सितंबर 2020 में वीकेंड पर अपने खानपान का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। अब, हर गुरुवार, वह अपने अवधी व्यंजनों का एक नया मेनू अपलोड करते है, जैसे मेथी मलाई पनीर, दाल बुखारा, बटर चिकन, मटन शमी कबाब, और बैंगन का भरता आदि।
चूल्हे पर खाना बनाने के लिए मशहूर समीर को न सिर्फ देहरादून बल्कि मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली से आने वाले लोगों से भी ऑर्डर मिलते हैं। हाल ही में, उन्होंने एक इन-फ़्लाइट क्रू के लिए कैटरिंग भी की।
Hey @ReallySwara I know this is a long shot but just incase you’re craving some chicken biryani & korma up in the mountains, I’m cooking this batch on Sunday & would love for you and your friends to try some. I’ll come up & deliver it to you
https://t.co/ZSaLt9f0yv
— Sameer S (@Naa_Cheese) September 25, 2020
उनका वेंचर न सिर्फ आम यात्रियों बल्कि अभिनेताओं के बीच भी मशहूर है। उनके सबसे दिलचस्प ग्राहक वीरे दी वेडिंग (2018) की अभिनेत्री स्वरा भास्कर रहीं। दरअसल स्वरा ने अपने ट्विटर पर मसूरी की एक तस्वीर शेयर की थी। समीर उस इलाके को जानते थे और उन्होंने स्वरा को ट्वीट किया कि क्या वह इन पहाड़ों के बीच बिरयानी का लुत्फ़ उठाना चाहेंगी। हालांकि, समीर को उम्मीद नहीं थी कि उन्हें जवाब मिलेगा लेकिन स्वरा ने उनसे ऑर्डर किया।
इसके बाद स्वरा ने समीर के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी शेयर की और उनके बारे में लिखा। इसके बाद, समीर को बाटला हाउस (2019) की अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने संपर्क किया, जो एक शूटिंग के लिए शहर में थीं। फिर पार्श्व गायक अंकुर तिवारी, जो देहरादून आए थे और लेखक स्निग्धा पूनम उनसे ऑर्डर करके यखनी पुलाव खासतौर पर अपने पति के लिए दिल्ली लेकर गईं। एक पुरस्कार विजेता कनाडाई ब्लॉगर मारीलेन वार्ड ने भी उनसे ऑर्डर किया है।
फ़िलहाल, समीर घर के आँगन में ही चूल्हे पर पहाड़ों के बीच रहते हुए लखनवी व्यंजन पकाते हैं। समीर कहते हैं कि उनकी यखनी पुलाव डिश उनकी दादी की रेसिपी से बनी होती है। उन्होंने यह रेसिपी अपनी माँ, स्वपना से बनानी सीखीं क्योंकि उनकी दादी अब इस दुनिया में नहीं है। स्वपना ने यह रेसिपी अपनी सास से सीखी थी। “मेरी दादी लखनऊ से थीं और यखनी पुलाव उनकी सिग्नेचर डिश थी। यह डिश मुस्लिम समुदाय में, और बरेली, इलाहाबाद और यहाँ तक कि पाकिस्तान में भी मशहूर है। अन्य व्यंजन मैं अवधी स्टाइल में बनाता हूँ,” उन्होंने कहा।
A #twitter short story with a yummy happy ending! @Naa_Cheese I cannot thank you enough for your generosity, effort & thoughtfulness. I deeply I appreciate ur gesture. It feels like there is hope in the world when strangers are so kind
thank u! And the Food was DELICIOUS pic.twitter.com/7SeCRTQ6Sf
— Swara Bhasker (@ReallySwara) September 28, 2020
चूल्हे पर खाना पकाने के बारे में वह कहते हैं कि यह स्टाइल भी उन्होंने दादी से सीखा। उनकी दादी खास मौकों पर ही ये डिश बनातीं थीं और पूरे पारंपरिक तरीकों से चूल्हे पर बनातीं थीं। क्योंकि कोयले की आंच खाने को अलग स्वाद देती है। चूल्हा बनाने के लिए मिट्टी या ईंट, लकड़ी, अंगारों और एक पंखे की आवश्यकता होती है। सभी डिश तेज आंच पर तैयार होतीं हैं और साथ ही, आंच की गर्मी को नियंत्रण में रखना होता है जिसके लिए उन्होंने बैटरी से चलने वाला पंखा लिया।
बटर चिकन, पनीर मखनी, चिकन कोरमा और शमी कबाब जैसे लजीज व्यंजनों को तैयार करने के लिए समीर ने 50 किलोग्राम के डेगची के साथ एक कमर्शियल फ्रिज भी लिया है।
“इस काम ने मेरे लिए एक बड़ा किचन सेटअप करने का रास्ता क्लियर किया। मैंने एक अच्छे बैकयार्ड के साथ जगह किराए पर ली है और फ़िलहाल, शेफ और रसोई कर्मचारियों की टीम तैयार कर रहा हूँ। केवल वीकेंड पर ऑर्डर लेने के बजाय मैं एक रेग्यूलर रसोई बनाने के लिए काम कर रहा हूँ। इस महीने के अंत तक इसे शुरू करने की योजना है। हालांकि लोगों को हायर करना एक बड़ा काम है। दरअसल मैं इस बात पर विशेष ध्यान रखता हूँ कि शेफ और कर्मचारियों में हुनर की कोई कमी न हो।”

समीर ने अपने वेंचर का नाम ‘ना चीज़’ रखने का फैसला किया है जो उनके ट्विटर अकाउंट का भी नाम है।
समीर कहते हैं, “फैमिली की मदद के बिना कुछ भी संभव नहीं था। माँ ने जहाँ खाना बनाने की तरकीब सीखने में मदद की, वहीं पापा ने चूल्हा बनाने का तरीका सिखाया। मेरी छोटी बहन रिया ने स्प्रेडशीट तैयार कर ऑर्डर्स लेने में मदद की।”
समीर के पिता को उन पर गर्व है कि वह उनके परिवार के खाना पकाने की परंपरा को इतने लोगों तक पहुँचा रहे हैं और लोग उन्हें पसंद भी कर रहे हैं।
अगर आप भी समीर के हाथ के बने लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो उनसे इंस्टाग्राम पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख: योशिता राव
संपादन – जी. एन झा
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