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क्या आपको पता है, ओलिंपिक में दो बार हिस्सा ले चुके हैं महाभारत के ‘भीम’

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दूरदर्शन का लोकप्रिय सीरियल महाभारत तो आपको याद ही होगा। हर घर में इस सीरियल को देखा जाता था क्योंकि उस दौर में मनोरंजन का एकमात्र साधन दूरदर्शन ही हुआ करता था। आज हम आपको उस सीरियल में भीम का किरदार निभाने वाले नायक की अनसुनी दास्तां सुनाने जा रहे हैं। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि गदाधारी भीम का किरदार निभाने वाले असल जिंदगी में स्पोर्टसमैन थे और उन्होंने ओलंपिक में दो बार भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था।

बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित महाभारत सीरियल हर कोई परिचित है और नई पीढ़ी के लोग जो परिचित नहीं थे, उन्हें भी लॉकडाउन के दौरान इस सीरियल को देखने और जानने का मौका मिला। हालांकि अन्य निर्देशकों ने भी महाभारत की कहानी को सीरियल के रूप में बनाया है। लेकिन जो आकर्षण पहली बार बनी महाभारत का देश और दुनिया में रहा है, वैसा बाकी किसी का नहीं रहा। उस जमाने में इतने बड़े स्तर की सीरीज बनाना बिलकुल भी आसान काम नहीं रहा होगा। लेकिन बी. आर चोपड़ा और अन्य सभी लोगों की दिन-रात की मेहनत ने इसे सफल बनाया।

आज हम आपको महाभारत सीरीज में एक ख़ास किरदार निभाने वाले अभिनेता के जीवन का अनसुना किस्सा सुना रहे हैं। हम बात कर रहे हैं पांडव पुत्र भीम की। भीम के किरदार को परदे पर जीवंत किया प्रवीण कुमार सोबती ने।

 

Mahabharat Series
The iconic scene that won many hearts. Source

गुस्से और क्रोध के दृश्य हों या फिर हास्य, सभी को प्रवीण ने बखूबी निभाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अभिनय की दुनिया में कदम रखने से पहले प्रवीण खेल की दुनिया से जुड़े हुए थे।

जी हाँ, महभारत के आपके भीम हैमर और डिस्कस थ्रोअर थे और उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने एशियाई और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी देश के लिए पदक जीते और दो बार ओलिंपिक में भी देश का  प्रतिनिधित्व किया।

 

Olympics Games
Source: Kiran Kumar S/Twitter

भारत का बढ़ाया गौरव

प्रवीण 1960 और 70 के दशक के दौरान भारतीय एथलेटिक्स में एक जाना-माना चेहरा थे। अपनी लंबाई और अच्छी कद-काठी के कारण, वह एक प्रोफेशनल हैमर और डिस्कस थ्रोअर बन गए। उन्होंने 1966 और 1970 में हांगकांग में एशियाई खेलों में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता था।

प्रवीण ने 1966 में किंग्स्टन में कॉमनवेल्थ गेम्स में और साथ ही 1974 में तेहरान में एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। इसके अलावा उन्होंने 1968 और 1972 में दो बार ओलंपिक में भी भाग लिया।

 

Mahabharat Tales
Source: Film History Pics/Twitter

अंतरराष्ट्रीय खेलों में पहुँचना उनके लिए आसान नहीं था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, प्रवीण अपने करियर के पीक पर थे जब उनकी पीठ में दर्द की शिकायत होने लगी। हालांकि, ओलंपिक में भाग लेने के लिए उन्होंने 1968 में ट्रायल ज़रूर दिया। ट्रायल्स के दौरान उन्होंने रिकॉर्ड मार्क 70 मीटर हिट किया जो उनके अलावा और सिर्फ दो लोगों ने किया है- एक हंगेरियन और एक रूसी एथलीट।

हालांकि, वह ओलंपिक में एक बड़े अंतर से जीतने में चूक गए, मैक्सिको में 20 वें स्थान पर और म्यूनिख में 26 वें स्थान पर रहे।

और फिर बन गए अभिनेता

 

Mahabharat Tales
Source: Kiran Kumar S/Twitter

खेल में एक सफल कार्यकाल के बाद, प्रवीण ने 1980 के दशक में अभिनय की ओर रुख किया। “मुझे खेलों में बहुत प्रशंसा मिली। मैं जहाँ भी गया, मुझे असीम प्यार मिला। खेल छोड़ने के बाद भी मैं अपने प्रशंसकों के बीच लोकप्रिय रहना चाहता था। मैं सुर्खियों में रहना चाहता था। इसलिए मैंने सिनेमा का विकल्प चुना,” उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया

रविकांत नागाइच निर्देशित फिल्म ‘फ़र्ज़’ से उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत की। हालाँकि, इस फिल्म में उनका कोई संवाद नहीं था इसलिए उनपर किसी का ध्यान नहीं गया। इसके बाद उन्हें फिल्म रक्षा में ब्रेक मिला। उन्होंने जेम्स बॉन्ड-स्टाइल वाली फिल्म में एक बड़े गोरिल्ला का किरदार निभाया था, जिसमें दिग्गज अभिनेता जीतेंद्र थे।

उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म, शहंशाह में भी काम किया। “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं, नाम है शहंशाह,” इस डायलाग को बोलने के बाद पहला पंच अमिताभ जिस गुंडे को मारते हैं वह प्रवीण ही थे। इनके अलावा प्रवीण ने और भी कई फिल्मों में इस तरह की भूमिका निभाई जिनमें हमसे हैं ज़माना, युद्ध, करिश्मा कुदरत का, लोहा, मोहब्बत के दुश्मन वगैरह शामिल हैं।

 

 

इन सभी फिल्मों में प्रवीण ने गुंडों के किरदार निभाए जिससे लोग डरते थे। उन्हें हमेशा विलन की साइड पर ही देखा गया। लेकिन उनकी इस छवि को बदला महाभारत में भीम के किरदार ने। उनके कुछ दोस्तों ने बी. आर चोपड़ा को भीम के किरदार के लिए उनका नाम दिया। हालाँकि, निर्माता को उनकी डॉयलाग डिलीवरी पसंद नहीं आई। इस पर प्रवीण ने चोपड़ा से एक हफ्ते का समय माँगा।

“मैं महाभारत ग्रन्थ घर ले लाया और रोज़ जोर-जोर से इसकी लाइन बोलने लगा। कई मुश्किल शब्द थे जिन्हें में अलग से लिखता था। और हफ्ते भर बाद जब मैं फिर से सेट पर गया तो सबको मेरे डॉयलाग पसंद आए,” उन्होंने बताया।

और इसके बाद की कहानी से तो हम सब परिचित हैं ही। इस सीरियल को लोकप्रिय बनाने में हर किरदार का हाथ है लेकिन गदाधारी भीम के किरदार को प्रवीण ने जिस अंदाज से पर्दे पर पेश किया वह आज भी हम सबके जेहन में बना हुआ है।

 

मूल लेख: गोपी करेलिया

संपादन – जी. एन झा 

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