Quantcast
Channel: The Better India – Hindi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3563

जूट, मिट्टी और हल्दी से बनाया इको-फ्रेंडली रेस्टोरेंट, जानिए कैसे!

$
0
0

अहमदाबाद में अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व के साथ रहने वाले मिलन प्रजापति ने, न सिर्फ अपनी पाँच पीढ़ियों की परंपरा को बरकरार रखा, बल्कि आधुनिक दुनिया में उसे एक पहचान भी दिलाई।

मिलन, कुम्हार (कुम्भार) समुदाय से वास्ता रखते हैं और मिट्टी के बर्तनों तथा अन्य कलाकृतियों को बनाना, उनका मूल पेशा है।

जैसा कि, इस पेशे ने सदियों तक उनके परिवार को आजीविका का साधन दिया है, मिलन अब इसे सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के तौर पर देखते हैं। उनका 7 महीने पुराना ‘मिट्टी के रंग’ नाम का रेस्टोरेंट इसी का प्रमाण है।

इस शानदार रेस्टोरेंट को क्ले (मिट्टी) से बनाया बनाया गया है, जो उनकी कला और सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाने के साथ ही, इकोलॉजिकल (पारिस्थितिक) और सस्ता भी है।

जहाँ तक बात सस्टेनेबिलिटी की है, इस रेस्टोरेंट को बनाने में हल्दी, क्ले, जूट, लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है।

Gujarat Restaurant

वह कहते हैं, “क्ले अब हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है और मैं इसे जितना भी इस्तेमाल करूँ, मुझे उतना ही अच्छा लगता है। यह इमारतों को एक अलग छवि प्रदान करती है।”

वह आगे कहते हैं, “इस रेस्टोरेंट को बनाने के लिए, 2020 में हमने बेहद कम बजट के साथ tHE gRID Architects नाम के एक आर्किटेक्चर फर्म से संपर्क किया, जो रीसायकल्ड या स्थानीय संसाधनों से ग्रीन बिल्डिंग बनाने की दिशा में काम करती है। उन्होंने हमारी भावनाओं को समझा, हमारे मूल्यों का सम्मान किया और हमारे लिए एक खूबसूरत, लेकिन सस्ता रेस्टोरेंट बनाया।”

मिट्टी के पात्रों और रेस्टोरेंट को जोड़ने के विचार ने, निश्चित रूप से ‘द ग्रिड आर्किटेक्ट्स’ (tHE gRID Architects) के संस्थापक, भाद्री और स्नेहल सुथार की रुचि को बढ़ावा दिया। यह जोड़ी स्थानीय और रीसायक्लड संसाधनों से इंटीरियर डिजाइन (आंतरिक सज्जा) करने के लिए जानी जाती है। 

यहाँ भी उन्होंने उसी सिद्धांत के तहत, दीवारों पर ‘गोल्डन प्लास्टर’ नाम का एक अनोखा प्रयोग किया।

Gujarat Restaurant

इस कड़ी में स्नेहल कहती हैं, “चूंकि उनका बजट काफी कम था। इसलिए हमने रेस्टोरेंट को बनाने के लिए उनकी जीवंत और ऐतिहासिक विरासतों के बारे में अच्छे से पता किया। हमने अपने क्लाइंट (ग्राहक), जिनका परिवार अभी भी इस क्षेत्र में काम कर रहा है, से कहा कि वे सभी अपने कौशल का इस्तेमाल करें और बदले में, हम रेस्टोरेंट में उनके पारंपरिक संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे।” 

वह आगे कहती हैं, “इसमें क्ले को एक मौलिक सामग्री के रूप इस्तेमाल करते हुए, हमने हल्दी और पलाश (केसुडा) अर्क का इस्तेमाल किया। इस संरचना की सबसे खास बात यह है कि हमने इसमें पेंट या किसी ऐसी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे कार्बन फुट प्रिंट को बढ़ावा मिलता हो।”

इस आर्किटेक्ट जोड़ी ने इसकी निर्माण लागत में 50 फीसदी तक की कमी की।

इसे लेकर भाद्री कहते हैं, “हम यह दिखाना चाहते थे कि पर्यावरण के अनुकूल इमारतें, खूबसूरत और मजबूत होने के साथ सस्ती भी हो सकती हैं। हमने सामग्री और श्रम लागत पर बचत करते हुए, 3,250 वर्ग फुट के रेस्टोरेंट को 25 लाख रुपए में बनाया।”

Gujarat Restaurant

रेस्टोरेंट का प्रवेश द्वार क्लाइंट की परंपराओं को दर्शाता है और यह रेस्टोरेंट की थीम भी है। यहाँ कुम्हार का पहिया/चक्का और अलग-अलग प्रकार के मिट्टी के बर्तन रखें हुए हैं, जो सुधार कर बनाये गए जूट के छायादार लैंप से जगमग करते रहते हैं। वहीं, वेटिंग एरिया (प्रतीक्षा स्थल) और अन्य हिस्सें भी कम रोचक नहीं है। रेस्टोरेंट के वेटिंग एरिया में आपको मिलन के घर की हाथ-चक्की दिखेगी, जो मिट्टी से जुड़े काम को दर्शाती है।  

गोल्डन प्लास्टर और अन्य रीसायकल्ड सामग्री

दीवारों पर गोल्डन प्लास्टर को अंतिम रूप देने से पहले, इस आर्किटेक्ट जोड़ी ने कई परीक्षण किये और असफल भी हुए। लेकिन, अंतिम परिणाम ने न सिर्फ दीवारों को मजबूत बनाया बल्कि उससे एक प्राकृतिक सुगंध भी आती है। 

इसके रंग और बनावट, थीम तथा मूल डिजाइन के अनुरूप हैं। किसी बाहरी व्यक्ति के लिए, यह विश्वास करना मुश्किल है कि भाद्री और स्नेहल ने पहली बार, गोल्डन प्लास्टर का इस्तेमाल किया है।

भाद्री कहते हैं, “हमने क्ले को इसके कई रूपों में इस्तेमाल किया है। इसे पलाश के फूल और हल्दी के अर्क तथा अन्य जैविक पदार्थों के साथ मिलाया गया था। सुनहरे रंग का यह प्लास्टर, खास कर भारतीय संदर्भ में, शुभ क्षणों और उत्सव के अवसरों को दर्शाता है।”

वह आगे बताते हैं, “इसकी प्लास्टर की हुई सतह पर हाथों से कई सुंदर कलाकारियाँ की गई है। वहीं, सूखा घास दीवारों को एक मजबूती देता है और उनमें दरार पड़ने से रोकता है। साथ ही, पलाश सुनहरे रंग को फीका होने से बचाता है।”

Gujarat Restaurant

मिलन और उनके परिवार का कौशल यहाँ काम आया, क्योंकि उन्होंने रेस्टोरेंट के इंटीरियर को खुद से प्लास्टर किया, जिससे उनकी मजदूरी बची।

रीसायकल्ड लकड़ी, सुधार कर बनाया हुआ जूट, कच्ची मिट्टी के बर्तन, टेराकोटा मेज इस रेस्टोरेंट को और सुदृढ़ करते हैं।

इस रेस्टोरेंट में छत और फर्नीचर बनाने के लिए बेकार लकड़ियों को रिसायकल किया गया। छत में करीब 30 फीसदी लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह, लैंप डिजाइन करने के लिए, शादी के मंडप से जूट की रस्सियों को खरीदा गया। इसका इस्तेमाल ड्रेनेज पाइप (निकासी पाइप) और एसी स्क्रीन (वातानुकूलित स्क्रीन) में इन्सुलेशन (उष्मा रोधन) के लिए भी किया गया। वहीं, फर्श को स्थानीय सिरेमिक टाइलों से बनाया गया है।

इस इमारत की बनावट काफी सरल है। यहाँ खिड़कियों से काफी धूप आती है, जिससे यहाँ हमेशा एक ताजगी बनी रहती है। 

इसमें आरामदायक कुर्सियों में बैठने की जगह (कोजी सीटिंग आइलैंड) के साथ, दीवारों से लगे आरामदायक सोफे (कमफर्टेबल वॉल सीटिंग), एक आरामदायक डाइनिंग स्पॉट (भोजन का स्थान) का आनंद देते हैं, जो एक खुली व्यवस्था (ओपन अरेंजमेंट) होने के बाद भी काफी निजी सा एहसास दिलाते है।

आज सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का एक मुख्य पहलू हमारे भारतीय मूल से जुड़ा हुआ है। उससे प्रेरणा लेना और उसे अमल में लाते हुए नई संरचनाओं को बनाना समय की मांग है, जैसा कि ‘मिट्टी के रंग’ ने कर दिखाया।

gRID Architects से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

मूल लेख – गोपी करेलिया

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें – मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Gujarat Restaurant, Gujarat Restaurant, Gujarat Restaurant, Gujarat Restaurant, Gujarat Restaurant

The post जूट, मिट्टी और हल्दी से बनाया इको-फ्रेंडली रेस्टोरेंट, जानिए कैसे! appeared first on The Better India - Hindi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3563


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>