इस दौड़ती-भागती जिंदगी में हर व्यक्ति अपने काम में व्यस्त है। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने कर्तव्यों को पूरा करने और समाज में एक बेहतर बदलाव लाने के लिए भी काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के युवा IPS सूरज सिंह परिहार भी पुलिस (Chhattisgarh Police) जैसे व्यस्त महकमे के अधिकारी होने के बावजूद, कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं।
IPS परिहार ने युवा पीढ़ी के बेहतर कल के लिए एक नई पहल की है। उन्होंने एक शहीद हेड कांस्टेबल की याद में एक मुफ्त बुक-बैंक की स्थापना की है। इस बुक-बैंक के माध्यम से हजारों युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा के लिए, मदद करने का लक्ष्य है। परिहार UPSC परीक्षा के लिए छात्रों को पिछले चार साल से, विभिन्न माध्यमों से गाइड भी कर रहे हैं।
क्या है बुक-बैंक पहल ?
IPS सूरज सिंह परिहार ने अप्रैल 2020 में बुक-बैंक की कल्पना की थी। सितंबर 2020 (कोरोना काल) में इस पहल से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए, उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की। बुक-बैंक पहल के तहत IPS परिहार, सभी से प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित किताबें डोनेट करने की अपील करते हैं। इस बुक-बैंक का मकसद छात्रों (विशेष रूप से गरीब, जरूरतमंद और आदिवासी युवा छात्र) को प्रतियोगी परीक्षाओं में सहयोग करना है।
वर्तमान में यह बुक-बैंक छत्तीसगढ़ के सबसे युवा जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) में बनाया जा रहा है। जहां के पहले एसपी (पुलिस अधीक्षक) भी सूरज ही हैं। इस बुक-बैंक के माध्यम से निश्चित ही उन सभी युवाओं को लाभ होगा, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इस बुक-बैंक में फिलहाल करीब 3000 से ज्यादा किताबें हैं। यह सभी किताबें देश-विदेश से अधिकारियों, डाक्टरों, वकीलों, व्यवसाइयों तथा परोपकारी लोगों ने दान की हैं। इस बुक-बैंक का नाम ‘पुलिस की पाठशाला’ रखा गया है।
द बेटर इंडिया के सभी पाठकों से आईपीएस सूरज सिंह परिहार की अपील
“मैं एक मुफ्त बुक-बैंक बना रहा हूं। वैसी किताबें, जिन्हें आप कबाड़ी को देने वाले हैं या जिन्हें आपके बच्चे फाड़ रहे हैं, उनसे गरीब-जरूरतमंद बच्चों की किस्मत संवारने में मदद मिल सकती है। बुक-बैंक में आप अपनी पुरानी किताबें या ऑनलाइन-ऑफलाइन भी नई किताबें खरीदकर दान कर सकते हैं”
बुक-बैंक में उपलब्ध किताबों का विवरण
बुक-बैंक में यूपीएससी, सीजीपीएससी, बैंक पीओ, एसएससी, सब-इंस्पेक्टर भर्ती, रेलवे भर्ती आदि जॉब आधारित किताबों के साथ-साथ विभिन्न कोर्स के एंट्रेंस एग्जाम की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। NCERT का पूरा पाठ्यक्रम भी पुस्तकालय में उपलब्ध है। साथ ही, विभिन्न उपयोगी किताबें जैसे – रैपिडेक्स इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स (Rapidex English Speaking Course), डिक्शनरी, वोकैब्युलरी बिल्डर, ग्रामर, इनसाइक्लोपीडिया नॉवल्स (encyclopedia novels), कहानी जैसी किताबें भी हैं, जिनका लाभ युवा नि:शुल्क उठा सकते हैं।
वेबिनार के माध्यम से युवाओं का कर रहे मार्गदर्शन
IPS परिहार लोक सेवा आयोग की तैयारी कर रहे युवाओं को नियमित रूप से मार्गदर्शन देने के लिए, अधिकारियों की अपनी एक टीम के साथ वेबिनार एवं QnA सत्र (question and answer session) का आयोजन करते रहते हैं। जिसमें युवा अपने संशय/दुविधा एवं पढ़ाई में आ रही समस्याओं के बारे में पूछते हैं, तथा उन्हें उनके प्रश्नों के उत्तर दिये जाते हैं।
बुक-बैंक की प्रेरणा
द बेटर इंडिया को IPS परिहार ने बताया कि वह जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना कर आईपीएस बने हैं। वह कहते हैं, “जब मैं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था, तो मुझे कोई बताने वाला नहीं था कि क्या पढ़ना है, कैसे पढ़ना है। जिससे, मेरे कीमती 3-4 साल यूँही व्यर्थ चले गए। जिस समय मैं तैयारी कर रहा था, उस समय की चुनौतियों को याद करता हूँ, तो लगता है आज किसी को उन कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। कोशिश रहती है कि अपने अनुभवों के आधार पर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए गाइड कर सकूं।
वह आगे कहते हैं, “जब मैंने 2019-20 में धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में सेवा दी और राह से भटके हुए युवाओं को देखा, तो काफी अफसोस हुआ। उन युवाओं को सही राह पर चलने में मदद करने की मेरी भावना दृढ़ हो गई।”
इसीलिए, इस पुस्तकालय को उन्होंने पुलिस बल के एक शहीद हेड कांस्टेबल और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के ही निवासी दिवंगत शिव नारायण बघेल की याद में स्थापित किया है। साथ ही, इसका उद्घाटन भी उनकी बेटी के हाथों से कराया है।
बीपीओ से आईपीएस तक की कठिन डगर
जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में पांचवीं तक पढ़ाई करने के बाद, परिजनों के साथ जाजमऊ (कानपुर) में जा बसे सूरज सिंह परिहार ने अंतहीन चुनौतियों को मात देकर सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की। उनके पिता प्राइवेट सेक्टर से रिटायर हुए थे।
घर में आर्थिक चुनौतियां भी थी। लेकिन, बड़े लक्ष्य के सामने यह सब बेहद छोटे कारण थे। प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए, वह 2005 से 2007 तक बीपीओ में जॉब करने लगे। इसके बाद, उन्होंने 2008 से 2012 तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीओ की नौकरी की।
वह नौकरी के साथ ही, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नियमित रूप से पढ़ाई करते थे। फिर, वह 2012 में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल कर, सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर (केंद्रीय उत्पाद शुल्क निरीक्षक) बन गए। इसके साथ ही, वह हर हफ्ते के अंत में मिलने वाले अवकाश का सदुपयोग करते हुए, चयन के कठिन दौर में साल 2015 में, हिंदी माध्यम से आईपीएस (IPS) बन गए।
वर्तमान में गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही के 60 युवा यूपीएससी, सीजीपीएससी, रेलवे एवं कांस्टेबल की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी नियमित रूप से कर रहे हैं। इस पाठशाला को खुले हुए 10 दिन ही हुए हैं, तथा छात्र इससे लगातार जुड़ रहे हैं। लॉकडाउन तथा कोरोना संकट की वजह से, छात्र वेबिनार के माध्यम से आईपीएस परिहार से मार्गदर्शन ले रहे है, तथा आगे भी यह वेबिनार जारी रहेगा। ‘पुलिस की पाठशाला’ गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की एक मात्र ऐसी लाइब्रेरी है, जहाँ युवाओं को हजारों किताबों का लाभ और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने का अवसर मिल रहा है।
उनका मानना है कि शिक्षा और सही दिशा में हमेशा प्रयास तथा मेहनत करते रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने चुनौतियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके, संयम रखा और प्रतिकूल परिस्थितयों में भी कभी निराश नहीं हुए। कठिन से कठिन समय में भी, वह पूरे समर्पण के साथ मेहनत करते रहे और उन्हें अपनी मंज़िल मिल ही गई।
IPS सूरज सिंह परिहार ने सोशल मीडिया को एक सकारत्मक हथियार बनाते हुए, लोगों से विभिन्न विषयों की किताबों को दान करने की अपील की। इसका परिणाम यह हुआ कि आज लोग खुले दिल से, इस बेहतरीन मुहीम में उनकी मदद कर रहे हैं।
संघर्ष की स्याही से सफलता की कहानी लिखने वाले, इस युवा आईपीएस ने युवाओं की मदद करने का बीड़ा उठाया है, जिसके लिए वह निरंतर काम कर रहे हैं। उनकी इस शानदार पहल के लिए, द बेटर इंडिया का दिल से सलाम।
अपनी किताबों को आप इस पते पर भेज सकते हैं:
एस. पी. कार्यालय, गुरुकुल कैम्पस, पेंडरा रोड, गौरेला जिला: गौरेला-पेंडरा-मरवाही, छत्तीसगढ़ – 495117
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लेखक – हर्ष दुबे एवं जिनेन्द्र पारख
संपादन – प्रीति महावर
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