आपने लोगों को रिटायरमेंट के बाद अक्सर एक आराम पसंद जिंदगी जीते हुए देखा होगा। लेकिन ऐसे लोग बहुत कम देखे होंगे, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद भी काम करना जारी रखा हो और अपने काम से लोगों को भी फायदा पहुँचा रहे हों। फिर चाहे वे उम्र के किसी भी पड़ाव पर क्यों न हों। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। यह कहानी टेरेस गार्डनर के. राजमोहन की है, जो एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं। केरल के तिरुवनंतपुरम निवासी राजमोहन ने रिटायरमेंट के बाद, खुद को कृषि के लिए समर्पित करने का फैसला किया।
राजमोहन कहते हैं, “मुझे खेती में कोई पूर्व अनुभव नहीं था। लेकिन धैर्य और अभ्यास के साथ, फलों की खेती करना मेरे लिए आसान हो गया। केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में अपने घर की छत पर ग्रो बैग में अंगूर उगा कर, मैंने इस धारणा को बदल दिया है कि अंगूर केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगते हैं।”
साल 2015 में राजमोहन ने 20 ग्रो बैग से अपनी टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत की थी। आज, वह अपने 1,250 वर्ग फुट की छत पर 200 ग्रो बैग में फल और सब्जियां उगा रहे हैं। शुरुआती दिनों में, उन्होंने टमाटर, ककड़ी, कद्दू जैसी सब्जियों की खेती की, जिनसे उन्हें अच्छी उपज भी मिली।
आज, राजमोहन के बगीचे में चिचिंडा, धनिया, मिर्च, गोभी, फूलगोभी, करेला, अदरक, हल्दी, कस्तूरी हल्दी, बुश पैपर, मूंगफली, बैंगन, पालक, सेम, कुंदरू, बेर एप्पल, अंगूर, कृष्णा फल, कागजी नींबू, पपीता, केला, अंगूर, शहतूत, स्ट्रॉबेरी, रतालू और मक्का शामिल हैं। ।
रिटायर्ड बैंक मैनेजर राजमोहन ने अपने रूफटॉप गार्डन के लिए, 2 लाख रुपये का निवेश किया। वह बताते हैं, “रूफटॉप गार्डन बनाना महंगा जरूर है लेकिन, इसमें सिर्फ एक बार ही निवेश करना पड़ता है। इसके साथ ही, आप जो भी उत्पादन करते हैं, वह हमेशा जैविक और ताजा रहता है।”
टेरेस गार्डनर के रूप में शुरुआत करना
तैयारियों के बारे में बात करते हुए, वह कहते हैं कि उन्होंने प्लास्टिक की चादरें खरीदीं और उन्हें छत पर बिछा दिया। इसके ऊपर, ग्रो बैग को रखने के लिए मेटल स्टैंड और ईंटों की व्यवस्था की गई थी।
ग्रो बैग के अलावा, छत को पानी के जमाव से बचाने के लिए उनके ऊपर गमले और बोरे भी रखे गए थे। फसलों को सीधी धूप से दूर रखने के लिए, राजमोहन ने अपनी पूरी छत को एक शेड नेट से ढक दिया। 55 वर्षीय गार्डनर राजमोहन ने बताया कि वह पास के कृषि बाजार के एक विश्वसनीय स्रोत से बीज या पौधे इकट्ठा करते हैं।
राजमोहन कहते हैं, “कई पड़ोसियों और दोस्तों ने मुझसे पूछा कि क्या टेरेस फार्म में सभी प्रकार की फल-सब्जियां उगाई जा सकती हैं? उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए, मैंने अपनी छत पर विभिन्न पौधों की खेती शुरू की।”
एक सवाल जो एकाएक उनके सामने आया, वह यह था कि अपनी छत पर अंगूर कैसे उगाएं? इसलिए, राजमोहन ने अपनी छत पर अंगूर की खेती शुरू की और अपनी पहली फसल से 5 किलो तक की अच्छी उपज प्राप्त की।
कैसे की छत पर अंगूर की खेती
उन्होंने बताया, “कुछ शोध करने के बाद मैंने कृषि बाजार से एक महीने पुराने अंगूर के दो छोटे पौधे इकठ्ठा किए और साथ ही, पौधों के लिए ग्रो बैग तैयार किए।”
पौधों के लिए, मिट्टी की तैयारी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए उन्होंने मिट्टी को 10 दिनों के लिए धूप में रख दिया। फिर, उन्होंने मिट्टी में चूने के पानी का छिड़काव किया और इसे दो सप्ताह के लिए कपड़े से ढक कर रख दिया।
इसके बाद, उन्होंने गाय के गोबर का पाउडर, नारियल की भूसी और वर्मीकम्पोस्ट को बराबर भागों में मिट्टी में मिलाया। फिर बाद में, ग्रो बैग के तीन-चौथाई हिस्से को इस मिश्रण से भर दिया।
इस कड़ी में राजमोहन आगे बताते हैं, “इसके बाद मैंने नर्सरी से लाए हुए अंगूर के दो छोटे पौधों को ग्रो बैग में लगा दिया। जिन्हें छत के उस हिस्से में रखा गया, जहाँ पौधों को अच्छी धूप तथा गरमाहट मिल सके। जब अंगूर की बेलें बढ़ीं तो मैंने अपने कुछ दोस्तों के कहे अनुसार, केवल दो स्वस्थ बेलों को रखा और बाकी बेलों को हटा दिया। उन्होंने मुझे बताया था की ऐसा करने से पौधों का विकास तेजी से होता है।”
राजमोहन ने बेलों की पत्ती वाली शाखाओं की काट-छाँट की और उन बेलों को बाँस का सहारा दिया। नौ महीने के भीतर, पौधे कटाई के लिए तैयार हो चुके थे। अब वह पौधों की उन छोटी शाखाओं को काट देते हैं, जिसमें फल नहीं लगते हैं। वह बताते हैं कि अंगूर के पौधे, साल में तीन बार फल देते हैं।
मौसम के आधार पर अंगूर की बेलों को दिन में एक से तीन बार पानी देने की जरूरत होती है। कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए, राजमोहन जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं जैसे- बर्ड्स आई चिली और लहसुन या चावल का पानी और राख। कीड़ों को खत्म करने के लिए वह नीम के तेल का स्प्रे करते हैं।
वह कहते हैं, “मैं पौधों के लिए पशु की हड्डी का पाउडर, नीमखली, जैविक खाद और मूंगफली की खली का उपयोग, खाद के रूप में करता हूँ। हर दो हफ्ते में, इस खाद को ग्रो बैग में मिलाया जाता है।”
वह आमतौर पर अपने पड़ोसियों तथा दोस्तों को भी अपनी फल-सब्जियां बांटते हैं। वह अपने पौधों के बीज भी उन लोगों को बांटते हैं, जो खेती करना चाहते हैं। कई पड़ोसियों ने उनसे टेरेस गार्डनिंग के बारे में क्लासेज लेने के लिए अनुरोध भी किया है और वह हमेशा इसके लिए तैयार रहते हैं।
मूल लेख: संजना संतोष
संपादन- जी एन झा
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