किसानों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, उन्हें उपज का सही दाम न मिलना। इसके अलावा भी किसानों की बहुत सी परेशानियां हैं, जैसे- मिट्टी में उर्वरकता की कमी, पानी की कमी, बेमौसम बरसात, फसलों पर लगने वाली बीमारियां और कटाई के बाद सही भंडारण न मिल पाने से उपज की बर्बादी आदि। ये कुछ ऐसी परेशानियां हैं, जिनसे इन्हें दिन-रात जूझना पड़ता है। भंडारण की सही सुविधाओं का न होना भी किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या है। खासकर, सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए, यह एक बहुत बड़ी समस्या है। अगर किसानों की सब्जियां, कटाई वाले दिन न बिकें तो ये खराब होने लगती हैं।
जिन इलाकों में तापमान ज्यादा रहता है, वहाँ कई बार किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों की इन्हीं परेशानियों को देखते हुए, ओडिशा के सुंदरगढ़ जिला प्रशासन (Sundargarh District Administration) ने एक अनोखी पहल की है।
जिला प्रशासन ने इलाके के छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए ‘वाष्पीकरण शीतलन’ (Evaporative Cooling) के सिद्धांत पर काम करने वाले ‘सब्जी कूलर’ लगवाए हैं। इन सब्जी कूलरों में किसान एक हफ्ते तक अपनी फल-सब्जियां रख सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि ये सब्जी कूलर बिजली से नहीं बल्कि पानी से चलते हैं।
इस परियोजना से जुड़े जिले के प्रशासनिक अधिकारी, भैरब सिंह पटेल बताते हैं, “फिलहाल, तीन जगहों- बालिशंकरा, कुआरमुंडा और टांगरपाली में 50 सब्जी कूलर लगाए गए हैं। अन्य 50 सब्जी कूलरों को अगले चरण में लगाया जाएगा। वह कहते हैं, “गर्मियों के मौसम में कटाई के बाद, किसानों की सब्जियां अगर पूरी न बिके, तो उन्हें बहुत दिक्क्त होती है। खासकर छोटे किसान, जिनके पास घरों में फ्रिज या बिजली भी नहीं है। ऐसे किसानों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए, हमने इस परियोजना पर काम किया।”
तकनीक से किया समाधान:
इस खास ‘सब्जी कूलर’ के लिए जिला प्रशासन ने मुंबई स्थित ‘रूकार्ट टेक्नोलॉजी’ कंपनी के साथ काम किया है। यह कंपनी किसानों की छोटी-बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के माध्यम से किफायती समाधान उपलब्ध करा रही है। ठीक वैसे ही, जैसे उन्होंने यह खास ‘सब्जी कूलर’ बनाया है। इस सब्जी कूलर को बनाने के लिए, सबसे पहले ईंट और सीमेंट से एक टैंक बनाया जाता है और इसके अंदर जस्ती लोहे (Galvanised Iron) के टैंक को लगाया जाता है। ऊपर से इस पर ढक्कन लगाया जाता है। इसमें नाइट्रोजन की बॉल होती हैं, जो बाहर के मुकाबले अंदर के तापमान को कम रखती है। जिससे किसानों की फल-सब्जियां सुरक्षित रहतीं हैं।
बालिशंकरा की ‘कल्याणी स्वयं सहायता समूह’ और ‘देश प्रेमी उत्पादक समूह’ से जुड़ी एक महिला किसान, जयंती एक्का बताती हैं, “जब हमें कलेक्टर सर ने इस परियोजना के बारे में बात करने को बुलाया तो हमें बहुत खुशी हुई। उन्होंने पहले से ही कंपनी से बात की हुई थी। कंपनी वालों ने आकर हमें इस ‘सब्जी कूलर’ के बारे में समझाया। उन्होंने ही सारा सामान भी भिजवाया और फिर, हमने साथ मिलकर सब्जी कूलर बनाए। इन कूलरों को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं है, लेकिन हर दिन आपको इनमें पानी जरूर डालना पड़ता है।”
एक्का कहतीं हैं, “वैसे तो इस सब्जी कूलर में औसतन सात दिन तक सब्जियां खराब नहीं होती हैं। लेकिन हम अपने अनुभव से कहें, तो इनमें सब्जियां ज्यादा समय तक चल सकती हैं। परियोजना 100 सब्जी कूलर लगाने की है, लेकिन अभी 50 ही लग पाए हैं। इन सब्जी कूलरों से लगभग 100 किसानों को फायदा हो रहा है, क्योंकि एक सब्जी कूलर को दो किसान मिलकर इस्तेमाल करते हैं।”
इन सब्जी कूलरों के निर्माण का खर्च जिला प्रशासन द्वारा उठाया गया है।
किसानों को मिल रहा लाभ:
इलाके के एक 49 वर्षीय किसान, दिगंबर राणा अपनी साढ़े तीन एकड़ जमीन पर फल और सब्जियों की खेती करते हैं। वह अपने खेतों में आम, केला, नींबू के साथ-साथ बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां भी उगा रहे हैं। वह बताते हैं कि पहले, जब बाजार में उनकी सभी फल-सब्जियां नहीं बिकती थीं, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ता था। या तो उनकी उपज खराब हो जाती थी या फिर उन्हें बहुत ही कम दाम में इन्हें बेचना पड़ता था। लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती है कि अगर एक दिन में फल-सब्जियां नहीं बिकेंगी तो क्या होगा?
वह बताते हैं, “सबसे अच्छी बात है कि इस सब्जी कूलर को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं है। किसान इसे अपने खेत में किसी भी छांवदार जगह पर बनवा सकते हैं। बस आपको, इसमें हर रोज पानी का ध्यान रखना पड़ेगा। कुछ हरी पत्तेदार सब्जियां तीन दिन तक तो कई सब्जियां एक हफ्ते तक इसमें ताजा बनी रहती हैं। इसलिए अब हमें सब्जियों की कटाई के तुरंत बाद बाजार भागने की चिंता नहीं रहती है। हम आराम से तीन-चार दिन में अपने फल-सब्जियों की बिक्री करते हैं और अच्छी आमदनी ले रहे हैं।”
वहीं, 50 वर्षीय किसान चूयूराम बताते हैं कि पहले भंडारण की व्यवस्था न होने कारण बची हुई सब्जियां उन्हें आधे दाम पर बेचनी पड़ती थी। जैसे- 40 रूपये किलो भिंडी अगर उन्होंने दिन में बेची है और शाम तक पूरी नहीं बिकी है तो उन्हें भिन्डियों को 20 रूपये किलो में बेचना पड़ता था। क्योंकि उनके पास, अपने घर पर बची हुई सब्जियों को स्टोर करने का कोई साधन नहीं था। लेकिन, अब वह अपनी सभी सब्जियों का पूरा और सही दाम ले पा रहे हैं। चूयूराम कहते हैं कि अगर आप एक-दो एकड़ वाले छोटे किसान हैं तो दो-तीन लोग मिलकर भी, एक सब्जी कूलर का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं।
जयंती कहतीं हैं कि “प्रशासन के सभी लोग किसानों की मदद के लिए कार्यरत हैं। उन्हें किसी भी तरह की परेशानी होती है तो वे लोग अधिकारियों को बताते हैं जो उनकी समस्या हल करने की कोशिश करते हैं।”
देश के दूसरे इलाकों में भी यदि इस तरह के भंडारण की व्यवस्था होती है तो किसानों को काफी फायदा मिलेगा। ऐसा माना जाता है कि सब्जी कूलर के माध्यम से, ऐसे छोटे और मंझौले किसानों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा, जिनके पास कम ज़मीन है और जो बड़े ‘कोल्ड स्टोरेज’ में सब्जी रखने के खर्च को वहन नहीं कर सकते।
अगर आप इस परियोजना के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो olmsundargarh1@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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