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उत्तराखंड: रिटायरमेंट के बाद, कीवी की खेती से बनाई नई पहचान, 10 लाख रुपये कमाई भी

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क्या आपने कभी सोचा है कि रिटायरमेंट के बाद आप क्या करेंगे? सिर्फ आराम करेंगे या फिर कुछ नया करने की कोशिश करेंगे? जहां कुछ लोगों के लिए रिटायरमेंट का मतलब आराम होता है, वहीं कुछ लोगों के लिए यह एक नयी पहचान बनाने का मौका होता है। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के सामा गाँव में रहने वाले 72 वर्षीय भवान सिंह ने भी कुछ ऐसा ही किया। साल 2009 में एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर की पोस्ट से रिटायर हुए, भवान सिंह ने रिटायरमेंट के बाद कीवी की खेती (Kiwi farming) शुरू की और एक किसान के तौर पर अपनी नयी पहचान बनायी।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि किसान परिवार से होने के नाते, उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान ही तय कर लिया था कि वह रिटायरमेंट के बाद खेती करेंगे। लेकिन, खेती में भी वह कुछ अलग करना चाहते थे। हमेशा से ही बागवानी के शौकीन रहे भवान सिंह को 2004-05 में, उत्तराखंड के कुछ किसानों के साथ हिमाचल प्रदेश में, कीवी उगाने वाले किसानों से मिलने का मौका मिला। 

उन्होंने कीवी की खेती (kiwi farming) के बारे में सभी जानकारियां जुटाई। हिमाचल प्रदेश से वापस आते हुए, वह कीवी के तीन-चार पौधे अपने साथ ले आये। तीन-चार सालों में ये कीवी के पौधे तैयार हो गए और इन पर फल भी लगने लगे। इस सफलता के बाद, भवान सिंह ने कीवी की खेती (kiwi farming) में आगे बढ़ने का फैसला किया। साल 2008 में, उन्होंने हिमाचल से कीवी के कुछ और पौधे लाकर अपने खेतों में लगा दिए। रिटायरमेंट के बाद, वह अपना पूरा समय कीवी की खेती (Kiwi farming) में देने लगे।

Kiwi Farming
भवान सिंह के यहां कीवी उत्पादन

हिमाचल प्रदेश स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्टरी में बतौर प्रमुख वैज्ञानिक कार्यरत, डॉ. विशाल एस. राणा कई सालों से कीवी पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “कीवी फल स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होती है और हृदय रोगियों को इसे जरूर खाना चाहिए। इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह मददगार है और इसलिए अच्छा है कि हमारे देश में इसका उत्पादन बढ़े। आज भी हमारे यहां कीवी काफी ज्यादा मात्रा में विदेशों से आ रहा है। लेकिन, अगर ज्यादा से ज्यादा किसान कीवी की खेती से जुड़ेंगे, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा रहेगा।”

लगाए हैं 600 कीवी के पौधे: 

भवान सिंह बताते हैं कि उन्होंने लगभग डेढ़ हेक्टेयर में 600 कीवी के पौधे लगाए हैं। इनमें से लगभग 350 पौधे फल देते हैं और अन्य अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जमीन पर, एक बार में नहीं, बल्कि थोड़े-थोड़े कर के कई बार में, कीवी के ये पौधे लगाये हैं।

उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि एक बार में जोखिम उठाने से अच्छा है कि धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए। इसलिए, मैंने शुरुआत में लगभग 100 ही पौधे लगाए और हर साल इनकी संख्या बढ़ाता रहा। अब मुझे कीवी की खेती की अच्छी जानकारी हो गयी है। साथ ही, अब मैं कीवी के पौधे भी तैयार करता हूँ।” 

वह आगे कहते हैं कि समुद्र तल से 1000-2000 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर, कीवी उगाई जा सकती है। इसकी कई किस्में होती हैं, जिनका आकार और स्वाद अलग-अलग हो सकता है। वह बताते हैं कि कीवी को कटिंग और बीज, दोनों तरीकों से उगाया जा सकता है। हालांकि, दोनों ही तरीकों में बहुत ध्यान से काम करना पड़ता है। क्योंकि, इसके पौधे इतनी आसान से नहीं पनपते हैं। अगर कोई किसान अपने यहां कीवी लगाना चाहता है, तो उसे दो बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिये। एक- लाइन में कीवी के पौधों के बीच की दूरी, पांच से छह मीटर होनी चाहिए और दो – लाइन के बीच की दूरी, चार से पांच मीटर होनी चाहिए। 

Kiwi Farming

वह कहते हैं कि कीवी के पौधे लगाने से पहले, यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि खेत की मिट्टी में, किन-किन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है। इनकी कमी के हिसाब से ही मिट्टी को पोषण दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, केंचुआ खाद यानी वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा रहता है। भवान सिंह के मुताबिक, “कीवी में कोई खास कीट नहीं लगते हैं, इसलिए आपको कोई पेस्टिसाइड छिड़कने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।” 

कीवी के पौधों को ऊपर बढ़ने के लिए, किसी सहारे की जरूरत होती है। इसलिए, किसानों को इस बात का भी ख़ास ख्याल रखना होता है। हालांकि, कीवी की खेती में एक बार ही निवेश करना पड़ता है। साथ ही, कीवी के पेड़ों में लगभग पांच-छह सालों में फल लगने लगते हैं। कीवी के एक पेड़ से आपको 40 से 50 किलो फल मिल सकते हैं। अगर पेड़ों की बहुत अच्छी देखभाल की जाए, तो इसका उत्पादन एक क्विंटल तक भी जा सकता है। वह बताते हैं, “इसमें पोलीनेशन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर प्राकृतिक तरीके से मादा फूलों पर नर फूलों के परागकण नहीं पहुँच रहे हैं, तो किसान को खुद यह काम करना होता है। जैसा कि हम हर साल करते हैं, ताकि हमें अच्छी उपज मिले।” 

फलों के आकार के अनुसार मिलता है मूल्य:

भवान सिंह कहते हैं कि बाजार में फलों के आकार के हिसाब से ग्रेडिंग की जाती है। बड़े आकार की कीवी के लिए, उन्हें 150 रुपए प्रति किलो तक का मूल्य मिल जाता है। वहीं मध्यम आकार की कीवी के लिए, उन्हें 80 से 100 रुपए प्रतिकिलो तक का मूल्य मिलता है। छोटे आकार की कीवी को ज्यादातर प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में में इस्तेमाल किया जाता है। प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से, उन्हें 40-50 रुपए प्रति किलो का मूल्य मिलता है। वह कहते हैं कि उनके अपने खेतों से, उन्हें सालाना लगभग 100-115 क्विंटल तक फल मिलते हैं। 

Kiwi Farming
तैयार करते हैं नर्सरी

उन्होंने आगे कहा, “कई बार हमारी कमाई 10 लाख रुपए तक भी हुई है। लेकिन, जब किसी साल ओले गिरने से फसल खराब हो जाती है, तो पांच-छह लाख रुपए की ही कमाई होती है। लेकिन, अगर आप इनकी अच्छी तरह से देखभाल करें, तो ज्यादा भी कमा सकते हैं। फिलहाल, हम अपने आधे पेड़ों से ही कमाई करते हैं। क्योंकि, अन्य पेड़ अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। जब कुछ सालों बाद, उनमें फल लगने शुरू हो जायेंगे, तो हमारी कमाई और अधिक बढ़ जाएगी।” 

हालांकि, पैसे कमाने से भी ज्यादा जरूरी है कि वह खाली नहीं बैठे हैं। भवान सिंह कहते हैं कि खाली बैठना, उनके लिए किसी सजा से कम नहीं है। वह हमेशा से ही मेहनती रहे हैं, इसलिए काम करते रहना उन्हें अच्छा लगता है। वह बताते हैं कि अब उनसे सीखकर गाँव के दूसरे लोग भी, कीवी की खेती (kiwi farming) में दिलचस्पी लेने लगे हैं। कीवी के पौधों की बढ़ती मांग को देखकर, भवान सिंह ने एक नर्सरी भी तैयार करना शुरू कर दिया है। 

वह कहते हैं कि उन्होंने पिछले साल आठ हजार कीवी के पौधे तैयार किए थे, जिससे उन्हें लगभग दस लाख रुपए की कमाई हुई। इसलिए, वह किसानों से अनुरोध करते हैं कि शुरुआत में चाहे दो-चार ही सही, लेकिन अपने खेतों पर कीवी जैसे फलों के पेड़-पौधे अवश्य लगाएं। इससे उनकी आय दुगुनी होने में मदद मिलेगी। यक़ीनन, भवान सिंह हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं।

यह भी पढ़ें: खेत आते हैं, फिल्म देखते हैं, एक बटन दबाकर करते हैं खेती और कमाई लाखों में

संपादन – प्रीति महावर

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