गर्मियों की छुट्टी में बच्चों को मिलने वाले होमवर्क में, सबसे ज्यादा दिलचस्प होते हैं ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ प्रोजेक्ट्स। इन प्रोजेक्ट्स को करने में न सिर्फ बच्चों को मजा आता है, बल्कि वे यह भी सीखते हैं कि जिसे ‘वेस्ट’ समझा जा रहा है, जरूरी नहीं कि वह ‘वेस्ट’ ही हो। साथ ही, ऐसा करके आप कचरे को बाहर पर्यावरण में जाने से रोक पाएंगे। इस तरह से, आप अपने घर के लिए उपयोगी चीजे बना सकते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचा सकते हैं।
“पर्यावरण के संरक्षण के लिए, आपको कोई बहुत बड़ा अभियान करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी दैनिक जिंदगी में छोटे-छोटे बदलाव कीजिए। जैसे- कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल, पुरानी-बेकार चीजों को फेंकने की बजाय, उन्हें नए तरीके से उपयोग में लेना और घर को तरह-तरह की चीजों से भरने की बजाय, कम साधनों में जिंदगी जीना सीखना आदि। ये बदलाव एक दिन में नहीं आते हैं लेकिन, अगर आप हर दिन कुछ न कुछ न करेंगे तो धीरे-धीरे आपकी आदत बन जाएगी” यह कहना है बेंगलुरु में रहने वाली सुशीला राय का।
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की सुशीला राय, लगभग 18 सालों से बेंगलुरु में रह रही हैं। सुशीला एक होमबेकर और केक आर्टिस्ट होने के साथ-साथ, ‘अपसायक्लिंग आर्टिस्ट’ भी हैं। जी हाँ! उनके लिए कोई भी पुरानी या बेकार चीज बेकार नहीं है। उनका मानना है कि जब कोई चीज आपको बेकार लगने लगे तो इसका मतलब है कि आपको इसे कोई नया रूप दे देना चाहिए। वह कहती हैं, “हमारे आसपास ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन पर अगर आप एक-दो बार विचार करें तो इन्हें लैंडफिल में जाने से रोका जा सकता है। जैसे- पुराने कपड़े, पैकेजिंग बॉक्स, कांच की खाली बोतलें, प्लास्टिक के डिब्बे या दूसरा कोई पुराना सामान, जिसे आप अपने घर से निकालना चाहते हैं। लेकिन इन पुरानी चीजों को घर से निकालकर, नया सामान खरीदते रहना भी समझदारी नहीं है।”
कहलाती हैं ‘जुगाड़ क्वीन’
सुशीला कहती हैं कि वह किसी भी सामान को बस एक बार इस्तेमाल करके, फेंक देने में विश्वास नहीं करती हैं। बल्कि वह हर एक चीज को बार-बार इस्तेमाल करने की कोशिश करती हैं। इसके लिए उन्हें अलग से प्रयास करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि, पिछले आठ सालों से यह उनकी दैनिक जिंदगी का हिस्सा है। उनकी इसी आदत की वजह से, उनके दोस्त और जान-पहचान के लोग उन्हें ‘जुगाड़ क्वीन’ कहने लगे हैं। क्योंकि, उन्हें हर बेकार चीज को उपयोग में लेना आता है। वह बताती हैं, “मैं कभी पहले से नहीं सोचती हूँ कि क्या बनाऊंगी। जैसे-जैसे मुझे चीजें दिखती हैं, मैं इन्हें अपसायकल करती रहती हूँ। जैसे- अब सीडी-डीवीडी का जमाना लगभग खत्म सा हो गया है। लेकिन, बहुत से घरों में आपको पुरानी सीडी के ढेर मिल जाएंगे। इन्हें फेंकने की बजाय, आप इनसे और कोई चीज बना सकते हैं।”
जैसे कि सुशीला ने अपने घर में रखी सीडीज़ से ‘कोस्टर’ बना लिए। इससे उन्हें सीडी फेंकने की जरूरत नहीं पड़ी और बाजार से कोस्टर भी नहीं खरीदने पड़े। वह कहती हैं कि यह मुश्किल से आधे-एक घंटे का काम था और बहुत ही खूबसूरत कोस्टर उन्होंने तैयार कर लिए। इसी तरह, उनके पास सालों पुराने लोहे के बक्से थे, जिन्हें आजकल कम ही लोग इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर लोग इस तरह की पुरानी चीजों को या तो घर के किसी कोने में भरकर रखते हैं या फिर कबाड़ी वालों को दे देते हैं। लेकिन सुशीला ने कुछ अलग ही करने की ठानी।
उन्होंने इन बक्सों को अच्छे से साफ किया और फिर बहुत ही-खूबसूरती से इन पर पेंट कर दिया। अब इन बक्सों को वह स्टोरेज के साथ-साथ, अपने ड्राइंग रूम में एक स्टैंड की तरह भी काम में ले रही हैं। उनका कहना है कि किसी भी चीज को फेंकने से पहले, दो बार सोचिए और इसी तरह कुछ नया खरीदने से पहले भी दो बार सोचिए कि क्या यह सही है? आप एक चीज को अपसायकल करने से शुरुआत कीजिए और फिर आपको खुद इस काम में मजा आने लगेगा।
सुशीला कहती हैं, “लगभग सात-आठ साल पहले मैंने प्लास्टिक के डिब्बों से शुरुआत की थी। ये डिब्बे आज भी मेरे घर में इस्तेमाल हो रहे हैं। कोशिश यही करनी चाहिए कि आप पुरानी चीजों से अगर कुछ नया बना रहे हैं तो यह भी सालों-साल तक चले। जब मैंने यह करना शुरू किया तब ‘सस्टेनेबल लाइफस्टाइल’ के बारे में कुछ नहीं पता था। मुझे हमेशा से ‘आर्ट’ और ‘क्राफ्ट’ का शौक रहा है और साथ ही, चीजों को बार-बार इस्तेमाल में लेने की आदत भी। बस वहीं से मेरी शुरुआत हुई। वैसे, सस्टेनेबल तरीकों से जिंदगी जीने के कोई तय नियम नहीं हैं। आप अपने हिसाब से अपनी शुरुआत कर सकते हैं, बस आपका उद्देश्य होना चाहिए कि जितना हो सके, आप पर्यावरण को संरक्षित करने की कोशिश करेंगे।”
इन सबके साथ ही, वह कोशिश करती हैं कि जितना हो सके प्लास्टिक का इस्तेमाल, अपने जीवन में कम से कम करें। इसलिए, वह प्लास्टिक में पैक होकर आने वाली चीजें जैसे- बिस्किट, कुकीज आदि वह अपने घर पर ही बना लेती हैं। इसी तरह, पिछले कुछ सालों में उन्होंने हर रोज बदल रहे फैशन पर भी ध्यान देना शुरू किया है। वह कहती हैं, “फैशन इंडस्ट्री हर दिन कुछ नया आपके लिए बनाती है लेकिन, हमें यह भी ध्यान देना होगा कि यह पर्यावरण के प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक है। इसलिए, मैंने तय किया कि मैं कम से कम कपड़े खरीदूंगी। साथ ही, अगर किसी कपड़े को आप बिल्कुल भी इस्तेमाल में नहीं लेते लेकिन, वह किसी और के काम आ सकते हैं तो आप ऐसे कपड़ों को दान भी कर सकते हैं। जितना हो सके बाहर जाते समय कपड़े का थैला/बैग इस्तेमाल में लें। पानी भी किसी स्टील या तांबे की बोतल में अपने साथ लेकर घर से निकलें।”
‘वेस्ट’ टू ‘बेस्ट’
#DIY टिप्स:
सुशीला कहती हैं कि ज्यादातर चीजों को अपसायकल करने के लिए, उन्हें पेंट और ब्रश की जरूरत पड़ती है। जैसे- किसी भी पुराने डिब्बे या बोतलों को नया रूप देने के लिए, सबसे पहले वह इन्हें पेंट कर लेती हैं। इसके बाद, अपनी जरूरत के हिसाब से इन्हें इस्तेमाल में लेती हैं। कांच की बहुत सी बेकार बोतलों को वह अपने घर में सजावट, प्लांटर और कैंडल स्टैंड की तरह इस्तेमाल में ले रही हैं। इसी तरह, टिन के डिब्बों को भी वह पेंट करके या फिर किसी और तरह से सजाकर, इन्हें प्लांटर या किसी टोकरी की तरह इस्तेमाल में लेती हैं।
लोगों के लिए #DIY टिप्स साझा करते हुए वह बताती हैं कि सबसे पहले आप मूल चीजों से शुरू कीजिए। जैसे- एग ट्रे, पैकेजिंग बॉक्स, प्लास्टिक के खाली डिब्बे आदि।
*एग ट्रे को फेंकने की बजाय, आप इसे बीज लगाने के लिए ‘सीडलिंग ट्रे’ की तरह इस्तेमाल में ले सकते हैं। अगर आप बड़ी एग ट्रे लाते हैं तो काफी सारी एग ट्रे इकट्ठा कर लीजिए। फिर इन्हें एक के ऊपर एक रखते जाइए। जब इनकी ऊंचाई किसी स्टूल जितनी हो जाए तो आप इनके ऊपर कोई कुशन या कोई और कपड़ा रख दीजिए। आपका #DIY स्टूल तैयार है। सुशीला इस तरह का स्टूल पिछले तीन सालों से अपने घर में इस्तेमाल कर रही हैं।
*अगर आपको ज़रा भी पेंट करना पसंद है तो आप अपने घर की बहुत-सी पुरानी चीजों को होम-डेकॉर के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे- अगर कोई लकड़ी का टुकड़ा बेकार पड़ा है तो आप इस पर पेंट करके कोई खूबसूरत बात या क्वोट लिख सकते हैं। इसके अलावा, किसी बेकार चीज को अच्छे से पेंट करके दीवार या गेट पर भी लगा सकते हैं। जैसे- सुशीला ने एक पुराने-बेकार तवे पर कलाकारी करके, इसे बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग की शक्ल दे दी।
*सीडी से कोस्टर बनाने के लिए आपको पुरानी सीडी, फेविकोल और किसी रस्सी की जरूरत होगी। आपको बस रस्सी को एक पैटर्न में सीडी के ऊपर चिपकाना है और आपका कोस्टर तैयार है।
*खाली डिब्बों को नया रूप देने के लिए आप बाहर से इनके ऊपर कोई कपड़ा चिपका सकते हैं या फिर इन्हें पेंट कर सकते हैं।
सुशीला कहती हैं, “मेरे घर में जो भी चीज आती है, वह आसानी से बाहर कचरे में नहीं जाती। क्योंकि, मैं खरीदने से पहले और किसी चीज को फेंकने से पहले सोचती जरूर हूँ। पर्यावरण के संरक्षण में योगदान देने का यह मेरा तरीका है। हर कोई अपने हिसाब से पर्यावरण के संरक्षण के लिए कदम बढ़ा सकता है, बस आपका उद्देश्य स्पष्ट और नेक होना चाहिए।”
अगर आप सुशीला से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें sush072504@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।
संपादन: प्रीति महावर
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