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बाइक को बना देते हैं ऑक्सीजन सिलिंडर वाला एम्बुलेंस, निःशुल्क करते हैं मदद

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“एक दिन मैंने सोशल मीडिया पर देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी के शव को साइकिल पर लेकर शमशान जा रहा था, क्योंकि उन्हें कोई एम्बुलेंस या अन्य मदद नहीं मिल पायी थी। इस खबर ने मुझे बहुत विचलित कर दिया और मैंने सोचा कि मैं अपनी तरफ से क्या कर सकता हूँ और फिर बाइक से चलने वाली एम्बुलेंस (Bike Ambulance) बनाने का ख्याल आया!” – अज़ीज़ खान

मध्य-प्रदेश में धार जिले के रहने वाले, 46 वर्षीय अज़ीज़ खान मैकेनिकल इंजीनियर हैं और एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में बतौर शिक्षक भी काम कर चुके हैं। फिलहाल, उनकी अपनी फैक्ट्री है, जहाँ वह किसानों के लिए कृषि से जुड़े यंत्र बनाते हैं।
अज़ीज़ खान ने बताया, “मैं अपने ज्ञान और जानकारी को लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल करना चाहता था। इसलिए शिक्षक की नौकरी छोड़कर फैक्ट्री शुरू की, ताकि किसानों के लिए उपकरण बना सकूं। मैं अलग-अलग तरह के कृषि यंत्रों पर काम करता हूँ, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान मैंने अपने हुनर को आम लोगों और कोविड-19 से जूझते मरीजों के लिए उपयोग में लेने की सोची।” 

पुरानी चीजों को इस्तेमाल कर बनाई Bike Ambulance:

अज़ीज़ खान बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने एम्बुलेंस के बारे में कुछ जानकारी जुटाई। जैसे उन्होंने देखा कि एक एम्बुलेंस में बेसिक चीज क्या है और इसके बाद, उन्होंने पता लगाया कि एक बाइक से चलने वाली एम्बुलेंस (Bike Ambulance) कैसे बना सकते हैं।
वह कहते हैं,” पहले मैंने एम्बुलेंस का एक डिज़ाइन तैयार किया। इसके बाद मोटर व्हीकल एक्ट को समझा। एम्बुलेंस बनाने के साथ-साथ इसे लोगों की मदद के लिए पहुँचाना भी जरुरी था। इसलिए मैं नहीं चाहता था कि कल को किसी भी वजह से यह Bike Ambulance लोगों की मदद ही न कर पाए। इसलिए मैंने सभी कानूनों को ध्यान में रखकर काम किया।” 

उन्होंने इस Bike Ambulance को बनाने के लिए पुरानी साइकिल के पहिए, अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले पुराने बेड, स्प्रिंगअप्स और शॉकअप्स जैसे दूसरे पुराने कल-पुर्जे भी इस्तेमाल किए। उन्होंने इन सब चीजों को इस्तेमाल करके एक ऐसा स्ट्रक्चर तैयार किया, जिसे किसी भी बाइक में लगाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। उनकी बनाई इस एम्बुलेंस में एक समय में एक मरीज आसानी से लेटकर अस्पताल तक पहुँच सकता है। इसमें कुछ बेसिक दवाई, IV ड्रिप और ऑक्सीजन सिलिंडर की भी सुविधा है। 

Engineer Made Bike Ambulance
बाइक से चलने वाली एम्बुलेंस

बाइक एम्बुलेंस में लगा ऑक्सीजन सिलिंडर तीन घंटे तक काम करता है। उन्होंने बताया कि एक Bike Ambulance तैयार करने में लगभग 40 हजार रुपए की लागत आई है। हालांकि, अगर ज्यादा संख्या में इन एम्बुलेंस को बनाया जाए, तो यह लागत कम की जा सकती है। अज़ीज़ ने अब तक पाँच एम्बुलेंस बनाई हैं, जिन्हें किसी भी बाइक के पीछे लगाकर इस्तेमाल किया जा सकता है और कोई भी मुफ्त में उपयोग कर सकता है। 

उन्होंने कहा, “मैंने अपनी फैक्ट्री के बाहर ही एक बड़ा-सा बोर्ड लगाकर सभी एम्बुलेंस को खड़ा किया हुआ है। जिसको भी जरूरत हो, वह अपनी बाइक लेकर एम्बुलेंस ले जा सकता है। उन्हें बस डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन दिखाना होगा। एम्बुलेंस इस्तेमाल करने का कोई किराया नहीं है। हालांकि, अगर कोई इस्तेमाल के बाद ऑक्सीजन सिलिंडर को फिर से भरवा सकता है, तो अच्छा है। लेकिन अगर कोई परिवार ऑक्सीजन भी नहीं भरवा सकता, तो भी कोई समस्या नहीं है। क्योंकि बहुत से लोग हैं, जिनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे एम्बुलेंस का किराया या ऑक्सीजन के पैसे दे पाएं।” 

जिला प्रशासन ने की तारीफ: 

कोविड-19 के मरीजों के अलावा, ये एम्बुलेंस अन्य लोगों के भी काम आ रही हैं। 32 वर्षीय सतीश पाल बताते हैं, “कुछ दिन पहले, मेरी मम्मी घर में फिसलकर गिर गयी और उनके पैर में काफी ज्यादा चोट आयी। मैंने काफी कोशिश की लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिल पा रहा था। मेरे पास भी सिर्फ बाइक ही है और मम्मी की हालत ऐसी नहीं थी कि उन्हें बाइक पर ले जाया जाए। इसलिए मैंने अज़ीज़ जी से संपर्क किया।”

सतीश ने दो बार Bike Ambulance को उपयोग में लिया है और उन्होंने कहा, “पहली बार जब मैंने उनसे एम्बुलेंस लिया, तो थोड़ी हिचक थी कि यह कैसे इस्तेमाल होगी, लेकिन यह बहुत ही फायदेमंद साबित हुई। अज़ीज़ जी ने बहुत ही अच्छा काम किया है, क्योंकि मुश्किल समय में उनकी यह Bike Ambulance बहुत कारगर है।”

Engineer Made Bike Ambulance
20 से ज्यादा लोगों की हुई है मदद

अज़ीज़ के इस आविष्कार को न सिर्फ आम नागरिकों से, बल्कि जिला स्तर के अधिकारियों से भी सराहना मिल रही हैं। वह बताते हैं, “मैंने जब पहली एम्बुलेंस बनाई तो पास के एक गाँव से किसी मरीज को अस्पताल पहुँचाने के लिए कोई इसे लेकर गया था। उस समय रास्ते में किसी ने इसका वीडियो बना लिया और धीरे-धीरे इसके बारे में सोशल मीडिया पर लोग लिखने लगे। बहुत से लोगों ने मुझसे फोन करके मदद मांगी। आम नागरिकों के अलावा, हमारे जिला कलेक्टर IAS अलोक कुमार जी ने भी फ़ोन करके इसे बारे में जानकारी ली।” 

उन्होंने न सिर्फ उनके काम की तारीफ की, बल्कि अज़ीज़ को जिले के लिए Bike Ambulance बनाने का ऑर्डर भी दिया। उन्होंने कहा, “ग्रामीण इलाकों के लिए खासतौर पर इस तरह की सुविधाओं की जरूरत है। धार जिले में बहुत से ऐसे गाँव हैं, जिनके लिए यह Bike Ambulance ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। चार पहिए वाली एम्बुलेंस से आप साथ में दो-तीन मरीज ला सकते हैं, लेकिन आने-जाने में बाइक एम्बुलेंस से ज्यादा आसानी रहती है।” 

अज़ीज़ ने प्रशासन द्वारा दिए गए ऑर्डर पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण उन्हें कुछ चीजें मिलने में परेशानी हो रही है, लेकिन जल्द ही वह जिला प्रशासन को सभी एम्बुलेंस बनाकर सौंप देंगे। साथ ही, उनकी कोशिश एम्बुलेंस को थोड़ा और एडवांस स्तर पर बनाने की है।

वह कहते हैं, “जिला प्रशासन ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुँचाने में जुटा है। जब हमारे अधिकारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, तो हमारा भी कर्तव्य है कि हम लोगों के लिए कुछ करें। मैंने जो किया वह कोई बड़ा काम नहीं है, क्योंकि कोई भी यह कर सकता है। इसलिए मैं लोगों से सिर्फ यही कहना चाहता हूँ कि जितना हो सके, इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद करने की कोशिश करें।” 

अगर आप इस Bike Ambulance के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो अज़ीज़ खान से, agromalwa@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा 

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