“दुनिया को अगर बेहतर तरीके से समझना है, तो साइकिल से चलो,” यह कहना है बरेली के रहने वाले संजीव जिंदल का। वह एक समाज सेवी हैं और उन्हें पूरे देश में आज ‘साइकिल बाबा’ (Cycle Baba) के नाम से जाना जाता है। समाज में बदलाव लाने और अपना शौक़ पूरा करने का इतना बेहतरीन तरीका और ऐसी सोच बहुत कम ही देखने को मिलती है।
दरअसल, Cycle Baba संजीव को प्रकृति को निहारने और करीब से जानने का शौक़ है। वह पिछले 6-7 सालों से रोज़ 20 से 25 किलामीटर साइकलिंग करते हैं। एक दिन भी ऐसा नहीं होता कि वह साइकिल चलाने न जाएं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे कुदरत के देखने का काफी शौक़ है, तो मैंने सोचा कि इससे बेहतर साधन और कुछ नहीं हो सकता।”
साइकलिंग से तनाव करें कम
उन्होंने कहा, “साइकिल की रफ्तार कार, बाइक, स्कूटी से काफी कम होती है। इसलिए अगर आप साइकिल से चलते हैं, तो आपको आस-पास की दिक्कतें, लोगों की परेशानियां दिखने लगती हैं। फिर आपका खुद मन करता है कि इसके लिए कुछ किया जाए। मेरे साथ तो ऐसा ही हुआ और मैंने समाज सेवा शुरू कर दी।”
संजीव, साइकलिंग के दौरान लोगों से बातें करते हैं, ज्यादा से ज्यादा साइकिल का प्रयोग करने के लिए उन्हें जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा, “आप कभी गांव में ट्राई किजिए। आप कार में बाबू साहब बनकर जाएंगे, तो लोग आपसे भागेंगे। लोगों को लगेगा कि पता नहीं कौन है, क्या इसका मकसद है। लेकिन जब आप साइकिल से जाते हैं, तो वे आपको अपने जैसा ही समझते हैं। आपसे खुलकर बातें करते हैं।
तो अगली बार आप जब भी किसी गांव में जाएं या प्रकृति को निहारने का मन करे, तो कार या बाइक से नहीं, बल्कि साइकिल पर जाएं। कभी ऑफिस के काम से थक गए हों या कोई बात परेशान कर रही हो, तो एक बार साइकिल से कुछ दूर चलकर देखिए, निश्चित ही आप अच्छा महसूस करेंगे। साथ ही, कोशिश करें कि कम दूरी के लिए पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें।
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संपादन – मानबी कटोच
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