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इंसान ही नहीं, पक्षियों का आशियाना भी है नोएडा में स्थित यह घर

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आज-कल बहुत से लोग एक ऐसा घर बनाना चाहते हैं जो प्रकृति के करीब हो। आम तौर पर इसके लिए उन्हें शहर से दूर किसी पहाड़ी जगह या जंगल के करीब रहना पड़ता है, जहाँ सुख-सुविधाएं ज़रा कम हो सकती हैं। लेकिन 7000 स्क्वायर फ़ीट में बना सस्टेनेबल घर ‘अश्वत्थ’ शहर के बीचोंबीच बना है और यहाँ रहने वाले नेचर का भी पूरा आनंद ले सकते हैं।

अश्वत्थ: हज़ारों पक्षियों का आसरा

कई सारे सेक्टर्स वाली प्लांड सिटी नोएडा की आम कॉलोनी में, साधारण घरों के बिच स्थित इस घर में पेड़ की छाँव और चहचाती चिड़ियों की आवाज़ आना आम बात है। दरअसल, दिल्ली की आर्किटेक्चरल कंपनी Archiopteryx ने ‘अश्वत्थ’ को सदियों पुराने पीपल के एक बड़े से पेड़ के पास बनाया है। और इसी वृक्ष से इस घर को अपना यह नाम भी मिला है।

‘fig tree’ located to the eastern corner of the site
पुराने पीपल के पेड़ के पास बसा है अश्वत्थ

यहाँ इंसानों और बाकी जीवों में कोई फ़र्क नहीं किया जाता। जिस तरह यहाँ लोग रहते हैं, उसी तरह यह घर कई सारे पक्षियों का भी आशियाना है। यहाँ दिन-रात हज़ारों पक्षी आते हैं और इसलिए घर की छत पर इनके लिए अलग-अलग कोनों में छोटे-छोटे ढके हुए आसरे बी बनाये गए हैं। 

पारंपरिक तकनीक और आधुनिक डिज़ाइन का नमूना है यह घर 

अश्वत्थ को सदियों पुरानी पारंपरिक तकनीक के आधार पर बनाया गया है। जैसे पहले के घरों में बेहतर वेंटिलेशन और नेचुरल लाइट के लिए रोशनदान हुआ करते थे; उसी तरह इस घर में भी रोशनदान और कट-आउट बनाए गए हैं, जिनसे पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी अंदर आती है।

इसके अलावा, यहाँ वॉटर कंज़र्वेशन का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। घर का कर्व्ड यानी घुमावदार रूफ बारिश के पानी को स्टोर करने में मदद करता है और यहाँ लगाए गए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से यह पानी पौधों को सींचने के काम आता है। अश्वत्थ की छत से लेकर ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद वॉटर स्टोरेज टैंक तक,एक अनोखा पाइपलाइन सिस्टम बनाया गया है।

यह पाइप सीढ़ियों के साथ-साथ नीचे आता है और रेलिंग की तरह दिखता है। यानि अश्वत्थ पूरी तरह  ‘कलेक्ट-इरीगेट-स्टोर-री-यूज’ के सिद्धांत पर चलता है।  

पूरी तरह ईको-फ्रेंडली अश्वत्थ

इस घर की बालकनी और फ़र्श बनाने के लिए रीसाइकल्ड प्लास्टिक और लकड़ी का इस्तमाल किया गया है। दीवारों को खूबसूरत पत्थरों से बनाया गया है। कंक्रीट और स्टील के बजाए घर के स्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए छोटे-छोटे पत्थर, ईंट और मिट्टी के मलबे का प्रयोग हुआ है; जिससे किसी भी मौसम में घर के अंदर का तापमान संतुलित रहता है। यानी बाहर के तापमान की तुलना में यहाँ न ज़्यादा गर्मी होती है और न बहुत सर्दी। शहर के बीच होकर भी नेचर के बेहद करीब है यह घर!!

यह भी पढ़ें: इन चार इको फ्रेंडली घरों से आपको मिलेगा अपने सपनों के आशियाने का आईडिया

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