कभी सब्जियां बेची, कभी क़र्ज़ लिया पर मेहनत करते रहे और भारत के लिए ले आए गोल्ड मेडल!
तरुण शर्मा 6 महीने के थे जब उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया था डॉक्टरों की सलाह पर सेहत में सुधार के लिए तीन साल की उम्र से वह कराटे सीखने लगे और इस तरह शुरु हुआ उनका पैरा कराटे चैंपियन बनने का सफर।
इस सफर में गरीबी बड़ी चुनौती थी पिता सब्जी बेचकर बड़ी मुश्किल से घर चलाते थे स्कूल के दिनों से ही तरुण छोटे-मोटे काम करने लगे थे ताकि डाइट और तैयारी का खर्च निकल सके। 13 साल की उम्र में उन्होंने District Level का पहला टूर्नामेंट जीता खेल का खर्च जुटाने के लिए तरुण को कर्ज लेना पड़ा घर तक गिरवी रखना पड़ा पिता को खोने के बाद उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गईं तब तरुण ने सब्जियां बेचते हुए भी देश के लिए खेलना जारी रखा।
आज गोल्ड मेडल Para Asian Championship और Para World Championship समेत तरुण ने भारत के लिए 18 Medal जीते हैं (8 Gold) (3 Silver) (7 Bronze) अब तरुण Disabled बच्चों को मुफ्त में कराटे की ट्रेनिंग देते हैं उनका सपना है कि उनकी कराटे अकादमी की एक पक्की छत हो उन्हें 9613110009 पर संपर्क कर सकते हैं।
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