पुणे-निवासी धीरेन तिवारी (36-वर्षीय) के लिए शनिवार का दिन बाकी सभी दिनों जैसा ही था। लेकिन आधी रात के बाद, जब धीरेन घर लौट रहे थे, तो पुणे महानगर परिवहन महामंडल लिमिटेड (पीएमपीएमएल) की बस से उनकी कार की टक्कर हो गयी थी। दरअसल, वह बस एक नो-एंट्री सड़क पर आ गयी थी। पुणे मिरर की रिपोर्ट में आप इस घटना के बारे में पढ़ सकते हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि दुर्घटना के बाद धीरेन बिना किसी खरोंच के कार से बाहर निकले। उन्होंने चेक-अप के लिए अस्पताल के बजाय घर वापस जाने पर जोर दिया। उन्हें बहुत नींद आ रही थी और आधी रात के बाद नींद आना सामान्य भी था।
लेकिन जब वे कैब से घर पहुंचें तो उनके घरवालों ने देखा कि वे कैब में बेसुध पड़े हैं। तुरंत ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उनके परिवार के सदस्यों की मनोस्थिति का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। उनके शरीर पर कोई चोट नहीं आयी थी और इसलिए उन्होंने अस्पताल में चेकअप के लिए न जाने का फैसला किया। पर उनके इस एक फैसले ने शायद उनकी जान ले ली।
द बेटर इंडिया ने नई दिल्ली स्थित भगवान महावीर अस्पताल में एक ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अभिषेक जैन से बात की। डॉ अभिषेक ने बताया, “एक्सीडेंट के बाद अगर सही प्राथमिक इलाज दिया जाये तो बहुत से लोगों को मरने से बचाया जा सकता है। बहुत बार शरीर पर चोट नहीं लगती है दुर्घटना में, लेकिन फिर भी चेकअप को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।”
हर्निएटेड डिस्क जैसे पीठ और गर्दन की चोट तुरंत पता नहीं चलती है। किसी भी संभावित हानि को रोकने के लिए स्कैन करवाना अत्यंत आवश्यक है। तत्काल चिकित्सा की सहायता आपको लंबे समय तक मदद करती है।
कुछ लक्षणों पर हमें ध्यान देना चाहिए –
सिरदर्द
किसी भी एक्सीडेंट के पीड़ित को हल्का या फिर बहुत तेज सिरदर्द हो सकता है। तो आप ध्यान दें कि उन्हें चक्कर तो नहीं आ रहे हैं या फिर उलटी तो नहीं हुई। कभी-कभी पीड़ित को बोलने में भी समस्या हो सकती है या फिर उसे दौरा पड़ सकता है।
गर्दन और कंधे में दर्द
रीढ़ की हड्ड़ी में चोट लगना बहुत स्वाभाविक होता है। क्योंकि इसकी संरचना ऐसी है। यदि दुर्घटना में आपकी गर्दन और कंधे पर सीधा प्रभाव पड़ा है, तो इसे अनदेखा न करें। तुरंत चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाएँ।
अचानक से सुन्न पड़ जाना भी हमारी रीढ़ की हड्डी के लिए अच्छा नहीं होता।

पेट में दर्द
किसी भी सूजन, पेट में दर्द, या बेचैनी की तुरंत जांच की जानी चाहिए। कुछ मामलों में, यह आंतरिक चोटों या आंतरिक रक्तस्राव का लक्षण हो सकता है। पेट में कुछ हल्के अंगों में चोट लगने से भी पेट में दर्द हो सकता है। जिसके लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे कभी भी नज़रअंदाज न करें।
इमोशनल स्ट्रेस (भावनात्मक परेशानी)
दुर्घटना के बाद व्यक्ति पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बैचेनी या फिर अवसाद से भी पीड़ित हो सकता है। यदि आप कभी डर की वजह से गाड़ी आदि में नहीं बैठ पाते या फिर अन्य किसी चीज़ को करने में आपको डर लगता है, तो तुरंत आपको किसी की मदद लेनी चाहिए।
डॉ. अभिषेक ने बताया कि पीड़ित की चोट आदि की देख-रेख करने के बाद आपको कुछ सामान्य प्रश्न पूछने चाहिए। ऐसे कुछ सवाल जिनका जबाव वह तुरंत दे सकते हैं। जैसे कि माता-पिता का नाम, घर का पता, पति या पत्नी का नाम आदि। इससे पता चलता है कि व्यक्ति के सिर पर तो कोई चोट तो नहीं लगी है।
हम उम्मीद करते हैं कि लोग इन सभी बातों पर ध्यान देंगें और किसी भी दुर्घटना के बाद मेडिकल चेकअप को नजरअंदाज नहीं करेंगें।
( संपादन – मानबी कटोच )
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