उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में रिवर बैंक कॉलोनी के सेवा सदन में रहने वाले शिवनारायण लाल गुप्त 102 साल के हो चुके हैं। शिवनारायण एक स्वतंत्रता सेनानी रह चुके हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए दे दिया।
मूल रूप से वे बहराइच से ताल्लुक रखते हैं। 14 साल की उम्र में उन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग लिया और जेल भी गए। यहां तक कि उन्होंने कभी शादी नहीं की।

शिवनारायण बताते हैं कि साल 1930 में वे राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए। उन्हें सत्याग्रह का जिम्मा मिला। हड़ताल से बौखलाए अंग्रेज अफसरों ने उन्हें जेल में डाल दिया। शिव नारायण के पिता एक किसान थे और जब वे उनसे जेल में मिलने आये तो शिव नारायण ने उनसे आजीवन अविवाहित रहकर देश की सेवा करने की बात कही।
साल 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन में भी वे जेल गए। बाद में शिव नारायण कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने होम्योपैथिक और आयुर्वेद पद्धति का इलाज सीखा और लोगों को नि:शुल्क सेवा देने लगे।
आज़ादी के बाद उन्होंने अपनी पूरी सम्पत्ति आर्य समाज को दान दे दी। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए मिलने वाली पेंशन भी उन्होंने दान कर दी। मौका मिलने पर शिव नारायण बहराइच में अपने गांव भी जाते हैं। बहराइच के हुजूरपुर ब्लॉक में स्वतंत्रता सेनानियों के शिलालेख पर उनका नाम भी अंकित है।
अभी वे शारीरिक तौर पर असमर्थ हैं, लेकिन देश के लिए उतना ही लगाव है, जितना आजादी के आंदोलन के वक्त था।
संपादन – मानबी कटोच
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