भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। पर बिहार के बक्सर जिले में एक छोटा सा शहर डुमराँव के लोगों के लिए 16 अगस्त को होने वाला उत्सव उतना ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे इस दिन साल 1942 में शहीद हुए चार स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे ।
भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की मांग करते हुए, “करो या मरो” के आह्वान के साथ, महात्मा गांधी ने 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में अपना प्रतिष्ठित भारत छोड़ आंदोलन का भाषण दिया था।
उनके भाषण ने देश में सभी को स्वतंत्रता के प्रति जागृत किया। बक्सर में भी लोग आज़ादी की मांग लेकर विद्रोह करने लगे। उस समय क्रन्तिकारी उन सभी प्रतिष्ठित इमारतों पर तिरंगा फहराना चाहते थे, जिन पर अंग्रेजों का कब्जा था या फिर जो अंग्रेजों के लिए बहुत महत्वपूर्ण थीं।
यह अभियान बक्सर के डुमराँव पहुंचा और 16 अगस्त, 1942 को सफल भी रहा।
श्रीकृष्ण सरल द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘भारतीय क्रांतियां’, के चौथे अध्याय में इस घटना का वर्णन है।
“5000 लोगों की एक भीड़ डुमराँव पुलिस स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी। इसमें बच्चे,बूढ़े, नौजवान व महिलाएं तक शामिल थे। कपिल मुनि नमक एक युवा के हाथ में तिरंगा था…….”
इस चैप्टर में बताया गया है कि कैसे ब्रिटिश पुलिस की चेतावनियों के बाद भी जब भीड़ नहीं रुकी तो उन्होंने गोली-बारी शुरू कर दी। कपिल को गोली लगी और वह वहीं शहीद हो गया। कपिल के बाद उसके अन्य तीन साथियों ने तिरंगा फहराने के काम को अंजाम देने की कोशिश की, उन पर भी अंग्रेजों ने गोलिया बरसायीं। इन चार शहीदों को देख भीड़ बेकाबू हो गयी और उन्होंने पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराया।
हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि डुमराँव शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष शिवजी पाठक की कहानी इससे थोड़ी सी अलग है।
वे कहते हैं कि इस अभियान को कपिल मुनि ने अंजाम दिया और उन्होंने ही पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराया था। जिसके बाद पुलिस ने गोली-बारी शुरू कर दी। जिसमें कपिल के साथ उनके अन्य तीन साथी भी मारे गए और सात लोग घायल हुए। साल 1943 से डुमराँव में हर 16 अगस्त पर इन शहीदों के सम्मान में उत्सव रखा जाता है।
देश को आजादी मिलने के कुछ साल बाद उस पुलिस स्टेशन को स्मारक में बदल दिया गया था, जहां मुनि और उनके सहयोगी- गोपाल केहर, रामदास सोनार और रामदास लोहर शहीद हुए थे।
यही कारण है कि डुमराँव में हर साल 16 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तरह उत्सव मनाया जाता है। इस परंपरा को बिहार सरकार ने भी मान्यता दी है। साल 2015 में इसे आधिकारिक दर्जा दिया गया। इसके अलावा, जनवरी 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस स्मारक में इन चरों शहीदों की मूर्तियों का उद्घाटन किया था।
संपादन – मानबी कटोच
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।
The post बिहार के इस शहर में 16 अगस्त को भी मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, जानिए क्यों! appeared first on The Better India - Hindi.