सौ साल की मन कौर ने वैनक्युवर सीनियर गेम्स प्रतियोगिता में भाग लेकर, बढ़ाया...
हम सभी में ऊर्जा का एक ऐसा असीम भण्डार छुपा रहता है, जिससे हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। पर हम सारी उम्र अपने आप से ही अंजान रहते हैं और अपनी कमजोरियाँ गिनाते रहते हैं । कभी बढ़ती उम्र का रोना तो कभी...
View Articleअपनी सूझ-बूझ से शिमला की एक गृहणी ने बचाई असम रायफल्स के एक घायल जवान की जान !
अपनी सूझबूझ और तत्परता से शिमला की एक महिला वीणा शर्मा ने असम रायफल्स के एक जवान को उस समय मौत के मुँह में जाने से बचाया जिस समय बाकी जवान एकदम असहाय महसूस कर रहे थे। 20 अगस्त को असम रायफल्स आर्मी के...
View Articleआपको सुकून की चाय और मूक बधिरों को रोज़गार देता रायपुर का ‘नुक्कड़ चाय कैफ़े’!
रायपुर के नुक्कड़ चाय कैफ़े में आपका स्वागत है । यहाँ समय बिताने का मतलब सिर्फ चाय का लुत्फ़ उठाना ही नहीं है बल्कि उस से भी कुछ ज्यादा है । यहाँ पर गुजरने वाला समय आपको सांकेतिक भाषा सिखाएगा, किताबो के...
View Articleजानकीदेवी बजाज -आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली त्याग की...
जानकी देवी बजाज संस्था (फाउंडेशन ) IMC की महिला विंग – जानकीदेवी बजाज पुरस्कार उन सभी महिला उद्यमियों द्वारा किये गए कामों को प्रोत्साहित और सम्मानित करता है जो उनके द्वारा ग्रामीण भारत में किये जा रहे...
View Articleहिन्दी दिवस पर जानिये इस दिन से जुड़े कुछ तथ्य, तत्व और मुख्य आयोजन!
मैं हिन्दुस्तान की तूती हूँ। अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो, तो हिन्दवी में पूछो। मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा” – आमिर खुसरो आमिर खुसरो के इस व्यक्तव्य से पता चलता है कि हिन्दी भाषा...
View Articleगरीबी से लेकर अपंगता भी नहीं रोक पाई मरियप्पन को स्वर्ण पदक जीतने से!
हम असफलता के बहाने खोजते हैं, कभी अपनी रूकावट का दोष परिस्थितियों को, तो कभी हादसों के सिर मढ़ते रहते हैं। परिस्थितियों और हादसों से लड़कर मंजिलें पाने वालों को देखकर हमें एहसास होता है कि इनके मुकाबले...
View Articleबंगलुरु में शुरू हुआ एशिया का पहला फूड ट्रक, जिसमें सभी सदस्य हैं महिलाएँ।
आज कल भारत के कई शहरों में फूड ट्रक्स का प्रचलन जोरों पर है, क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, बगैर किसी मशक्कत के। ऐसे ही एक फूड ट्रक की शुरुआत पिछले सप्ताह बंगलुरु में की गयी, जिसका नाम...
View Articleइस क्रिकेट खिलाड़ी ने 3 बच्चो की जान बचाते हुए दे दी अपनी जान !
बबलू मार्टिन क्रिकेट और फुटबॉल खेलते थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी खेल को बढ़ावा देने और लोगो की मदद करने में समर्पित कर दी थी। 20 अगस्त को मध्य प्रदेश के मैय्यर गाँव में एक इमारत के मलबे के निचे फसे...
View Articleपुस्तक समीक्षा : केदारनाथ सिंह की कविता संग्रह ‘अकाल में सारस’!
“पर मौसम चाहे जितना ख़राब हो उम्मीद नहीं छोड़तीं कवितायेँ वे किसी अदृश्य खिड़की से चुपचाप देखती रहती हैं हर आते जाते को और बुदबुदाती हैं धन्यवाद! धन्यवाद!” भारतीय काव्य संसार में केदारनाथ सिंह ‘धन्यवाद’...
View Articleशिक्षा से महरूम ज़िंदगियों में ज्ञान का दीप जलाते बंगलुरु के शेरवुड सोसाइटी के...
बंगलुरु के टाटा शेरवुड रेज़िडेंशिअल सोसाइटी में घरेलू काम करने वालों के बच्चे हर रविवार दोपहर में ट्यूशन करने आते है, जो सोसाइटी में रहने वाले लोगों द्वारा संचालित की जाती है। इस सोसाइटी में रहने वाले...
View Articleभुला दिए गए नायक, जिन्होंने विभाजन के दौरान बचाई कई ज़िंदगियाँ!
15 अगस्त 1947 को हमें आज़ादी मिली। लेकिन आजादी के साथ अंग्रेजों की चाल और आपसी राजनीति ने भारत के दो हिस्से कर दिए। जब हम आजादी का जश्न मना रहे थे उस दौरान करीब दस लाख लोग अपनी ज़िंदगियाँ कुर्बान कर रहे...
View Articleअपनों की बेरुख़ी के शिकार बुजर्गों का सहारा बनी, 100 साल की अरुणा मुख़र्जी!
बुढ़ापे में जिन बुज़ुर्गों को अपनों ने ही बाहर का रास्ता दिखा दिया, उन लोगों की ज़िन्दगी की तन्हाइयों को बाँटने और उन्हें आसरा देने के लिए असम की एक 100 वर्षीय वृद्धा अरुणा मुख़र्जी उनकी हमदर्द और मसीहा...
View ArticleBITS पिलानी के इस छात्र ने अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा वृद्धाश्रम को दान कर, की...
नौकरी की पहली तनख्वाह सबसे प्यारी होती है। पहली तनख्वाह का एक हम अक्सर भगवान् को अर्पित करते है। पर आज की पीढ़ी इन परंपराओं को बनाये रखने के साथ साथ इनमे कुछ ऐसे बदलाव भी कर रही है जिससे समाज का भला हो।...
View Articleरामधारी सिंह दिनकर की कविता –‘समर शेष है’ !
भारत के प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को सिमरिया, मुंगेर, बिहार में हुआ था।’दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के...
View Articleमुंबई आकर भीख मांगने और गजरे बेचने को मजबूर किसानो के बच्चो को देश का पहला...
‘किसान‘ – हवा और पानी के बाद, हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग! क्यूंकि किसान हमारे लिए वो खाना उगाते है जिसके बगैर हम जिंदा नहीं रह सकते, जिसके लिए हम दिन रात मेहनत करते है। पर क्या हमने कभी सोचा है...
View Articleक्रांतिकारी रह चुके 100 साल के पप्पाचन और उनकी 80 साल की पत्नी आज भी करते है...
ये कहानी है एक ऐसे क्रांतीकारी की, जिन्होंने सारी ज़िन्दगी क्रांति का रास्ता ही चुना और 100 साल की उम्र में आज भी क्रांती की मशाल जलाएं हुए है। फर्क सिर्फ इतना है कि जवानी के दिनों में उन्होंने देश को...
View Articleभगत सिंह –मौत ही जिनकी माशुका थी !
“ मेरी कलम भी वाकिफ है मेरे जज्बातों से, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ, तो इन्कलाब लिखा जाता है“ – भगत सिंह आज़ादी के दीवाने और भारत माँ के सपूत क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 में लायलपुर...
View Articleआपके पसंदीदा कलाकार पढ़ रहे है आपकी पसंदीदा हिंदी कवितायें ‘हिंदी कविता’नामक...
मानव सभ्यता की सांस्कृतिक और बहुभाषी अभिव्यक्ति की सबसे कीमती विधा ‘कविता’ बहुत कम शब्दों में काफी कुछ कह जाती है। दिन के अंत में कविता हमें सुकून देती है, लेकिन ऐसे समय में जब किताबें पढ़ने के सिलसिले...
View Articleमिलिए माँ दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए प्रख्यात कुमारटूली की पहली महिला...
!!या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!! अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। दुर्गा पूजा की शुरुआत आज...
View Articleपुस्तक समीक्षा –स्त्री की स्वतंत्रता की नई आवाज है अनुराधा बेनीवाल की ‘आज़ादी...
हरियाणा की एक लड़की यूरोप गयी थी। वह पढने नहीं गयी, नौकरी करने भी नहीं गयी, न ही वह पर्यटक बन के गयी थी। वह आज़ादी की साँस महसूस करने गयी थी। एक साँस जिसका समय, स्थान, कारण, सब कुछ उसने तय किया था। उस...
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