बिहार के गया में सेवाबीघा गाँव के पद्मपनी स्कूल में हर सुबह स्कूल यूनिफार्म में अच्छे से तैयार बच्चों को आप स्कूल में अंदर आने से पहले ढेर सारा कचरा डस्टबिन में डालते हए देखेंगे।
पहली नज़र में आपको शायद लगे कि यह यहाँ का कोई अजीब रिवाज़ है। पर हक़ीकत में, इस कचरे के बदले स्कूल के 250 छात्रों को मुफ़्त में शिक्षा, किताबें, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म और यहाँ तक कि खाना भी दिया जाता है। इस अनोखी पहल को शुरू किया है स्कूल के फाउंडर मनोरंजन प्रसाद समदरसी ने।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए मनोरंजन ने बताया,
“यहाँ इन इलाकों में पर्यावरण के प्रति सजगता बहुत ही कम है। ये बच्चे बहुत ही गरीब घरों से आते हैं और ज़्यादातर अपने परिवार की वो पहली पीढ़ी हैं जो कि पढ़ाई कर रही है। इसलिए हमने इस पहल को शुरू किया ताकि बच्चों को कम उम्र से ही साफ़-सफाई और पर्यावरण-अनुकूल जैसे कॉन्सेप्ट समझा सकें।”

एक समय था जब आस-पास के गाँवों को स्कूल से जोड़ने वाली कच्ची सड़क पर आपको सिर्फ़ कचरा दिखाई पड़ता था। इसकी वजह से हानिकारक कीड़े और जीव-जन्तु इस इलाके में पनपने लगे थे और वे अक्सर पास के खेतों में जाकर फसल आदि को ख़राब कर देते थे। बारिश के मौसम में यह इन्फेक्शन फैलाने वाले मक्खी-मच्छरों का घर हो जाता था।
ग्राम पंचायत और गाँव के लोगों ने इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए मनोरंजन ने तय किया कि वे अपने छात्रों को बदलाव के सारथी बनाएंगे। इसी के तहत पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को सड़क को साफ़ रखने की ज़िम्मेदारी दी गई।
“शुरू में, कचरे उठाने के विचार से ही बच्चों में काफ़ी प्रतिरोध था। फिर मैंने शांति से उन्हें समझाया कि अपने आस-पास के इलाके को साफ़ रखना कितना ज़रूरी है। फिर धीरे-धीरे वे इस गतिविधि में भाग लेने के लिए उत्साहित हो गए,” उन्होंने बताया।
तब से ही, हर दिन सभी छात्र रास्ते में पड़ी प्लास्टिक की बोतल, रैपर और ज़्यादातर सूखे कूड़े को इकट्ठा करके स्कूल के बाहर रखे डस्टबिन में डाल देते हैं। बाद में इस कचरे को अलग-अलग करके रीसाइक्लिंग यूनिट को दे दिया जाता है। साथ ही, स्कूल के छात्र भी अपने स्तर पर छोटा-मोटा रीसायकल प्रोजेक्ट करते हैं जैसे कि प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगाना आदि।

उनके प्रयासों की वजह से अब रास्ता ज़्यादा चौड़ा और एकदम साफ़ दिखने लगा है। यह देखकर बच्चों का आत्म-विश्वास भी बढ़ा है। कचरा इकट्ठा करने के अलावा इस स्कूल के छात्रों ने उसी रास्ते के दोनों तरफ 2, 000 पौधे भी लगाएं हैं। वे रोज़ स्कूल आते समय इन पौधों को पानी देते हैं। उनका उद्देश्य 2021 तक स्थानीय गांवों में पांच हज़ार पौधे लगाना है।
इन गतिविधियों के अलावा, मनोरंजन ने क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से कई सामाजिक पहल की हैं। उन्होंने आसपास के सूखाग्रस्त गांवों में 275 हैंडपंप लगवाएं हैं। साथ ही, उनके चारों तरफ की चारदीवारी को बड़ा किया है ताकि महिलाएं स्नान कर सकें। वे उन मृतकों का अंतिम संस्कार करने में भी मदद करते हैं जिनके परिवार वाले लकड़ियों की कीमत नहीं चुका सकते हैं।
बिना किसी दिखावे के, मनोरंजन एक सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं। इन बच्चों की उनकी सेना उनके सभी सामाजिक-पर्यावरणीय प्रयासों की प्रेरक शक्ति है। वह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां ये बच्चे बड़े होकर आदर्श नागरिक बनेंगे और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण बनेंगे।
संपादन: भगवती लाल तेली
मूल लेख: सायंतनी नाथ
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
The post प्लास्टिक के बदले 250 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, किताबें और खाना दे रहा है यह स्कूल! appeared first on The Better India - Hindi.