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मनचलों के लिए आफत है लखनऊ में लड़कियों की ये रेड ब्रिगेड टीम!

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गर वह सौम्य और कोमल हैं तो वक्त आने पर दुर्गा और काली का रूप भी ले सकती हैं, जी हाँ, नारी शक्ति में इतनी ताकत है कि वह बड़े-बड़े दुश्मनों का सर्वनाश कर दे। महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध की खबरें तो आप हर दिन ही पढ़ते होंगे। लेकिन जब सितम सहने के बाद एक ताकत उठ खड़ी हों, खुद को न्याय दिलाने और अपने जैसी हजारों, लाखों लड़कियों को अपराध से चौकन्ना करने, तो खुशी होती है। लखनऊ की ऊषा विश्वकर्मा के हौसले ने लाखों लड़कियों की जिंदगियां संवार दी है। महिलाओं पर होने वाले अपराध के खिलाफ ऊषा ने ऐसी मुहिम छेड़ी कि बड़े-बड़े गुंडे और बदमाश भी उनके डर से कांपने लगे। ऊषा ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक टीम गठित की रेड ब्रिगेड लखनऊ नाम से और तमाम महिलाओं को खुद की रक्षा स्वयं करने के लिए प्रेरित किया।

usha vishwakarma
आत्मसुरक्षा की तकनीक सिखाती ऊषा।

किसी भी मुहिम के पीछे एक सोच या कहानी होती है। रेड ब्रिगेड की शुरुआत भी कुछ इसी तरह हुई।

संस्था की फांउडर ऊषा विश्वकर्मा बताती हैं, “आज भी जब मैं वह दिन याद करती हूँ तो मेरा विश्वास, दोस्ती, रिश्ते और इंसानियत से भरोसा उठने लगता है। एक ऐसा इंसान जिसे आप अपना दोस्त समझते हो, आपका परिवार उसे जानता हो, वह आपका भरोसा तोड़ दे तो और बुरा लगता है। मैं उस समय बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थीं और मेरे घर के पास रहने वाले एक व्यक्ति ने मेरे साथ इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कहा। मैं राजी हो गई क्योंकि मेरे घर की माली हालत उस समय बहुत अच्छी नहीं थीं। एक दिन उसी दोस्त ने मुझे अकेला पाकर मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। मैंने उसे जोर से धक्का दिया और वहां से किसी तरह भाग निकली। इस वाकये ने मुझे एक गहरा सदमा दिया, मैं महीनों इस तकलीफ से गुजरी।”

उनका पूरा परिवार इस हालत से परेशान था। महीनों की काउंसलिंग के बाद उनकी हालत सुधरी और इसके बाद ही उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही कुछ करना होगा। फरिश्ता मदद के लिए आता है – ये सब  कहानी में होता है। उन्होंने जब ये बात अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों को बताई तो वे भी उनके साथ खड़ी हो गईं और इस तरह वर्ष 2011 में ‘रेड ब्रिगेड लखनऊ’ की नींव पड़ी।

red brigade lucknow

इसमें तमाम वो लड़कियां आगे आईं जो छेड़खानी या रेप का शिकार हो चुकी थीं। रेड ब्रिगेड टीम ने पहले तो लड़कियों को सेल्‍फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना शुरू किया और कुछ समय बाद उन्होंने पीड़ित लड़कियों के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी भी शुरू कर दी।

लाल और काली ड्रेस के बारे में ऊषा बताती हैं, ‘’लाल खतरे का प्रतीक है और काला ताकत का इसलिए हमने अपनी ड्रेस का ये रंग चुना और अब यही हमारी पहचान है।‘’

ऊषा अब तक पूरे देश में एक लाख दस हजार लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उनकी टीम में इस समय कुल 100 लड़कियां हैं, ये बढ़ती-कम होती रहती हैं। इनकी टीम ने पांच देशों के एक्सपर्ट से ट्रेनिंग ली है, इसमें मार्शल आर्ट, ताइक्वांडो और कर्मागा शामिल है। ट्रेनिंग देते समय लड़कियां उनसे कई तरह के सवाल भी पूछती हैं जैसे कि अगर कोई लड़का अचानक अगर पीछे से उन्हें पकड़ लेता है तो क्या करना चाहिए आदि। उन्होंने कई सारी रेप विक्टिम से भी बात की और इसके आधार पर उन्होंने निशस्त्रकला नाम से नई टेक्निक डेवलप की। इस तकनीक से कोई भी लड़की खुद इतनी सक्षम हो जाती है कि अगर तीन आदमी भी उससे भिड़ेंगे तो बच नहीं पाएंगे।

usha vishwkarma
ऊषा लड़कियों को बताती हैं कि स्वयं की रक्षा कैसे करें।

ऊषा की संस्था से जुड़ने वाली लड़कियां अपना पूरा टाइम यहां दे देती हैं ऐसे में उन्हें आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाने के लिए हाल ही में सबल केन्द्र ‘द कटहल प्वांइट’ की भी शुरुआत की गई है। इसकी पूरी जिम्मेदारी आलोक अवस्थी ने संभाल रखी है, पूरे लखनऊ में अभी ये दो प्वांइट हैं और धीरे-धीरे इसके विस्तार की योजना है। लखनऊ में कम से कम दस प्वांइट बनाने का टारगेट है और इन सारे प्वांइट्स की हेड लड़कियां ही होंगी।

कटहल प्वांइट में आप कटहल से बनी हर चीज, अचार, मुरब्बा, खीर, बिरयानी, कोफ्ता, हलवा, कबाब के स्वाद का मजा ले सकते हैं। लोग इसे ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं।

ऊषा बताती हैं कि, “यह उत्तर भारत का पहला ऐसा अनोखा प्वांइट है। इसके जरिए हम लड़कियों को आर्थिक रूप से भी मजबूत कर रहे हैं।”

ताकत दिखाने वाली ऊषा की यह टीम बुद्धि की परीक्षा देने केबीसी भी पहुंची है। वहां भी ऊषा ने अपनी प्रतिभा दिखाकर 12 लाख 50 हजार रुपए जीते थे।

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ऊषा विश्वकर्मा केबीसी में प्रियंका चोपड़ा के साथ।

मई 2013 में रेड ब्रिगेड को उसके सकारात्मक प्रयासों के लिए फिलिप्स गोडफ्रे राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद ऊषा विश्वकर्मा को देश की 100 वीमेन अचीवर में शामिल किया गया और साल 2016 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ लंच करने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उषा को लक्ष्मी बाई अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं।

ऊषा के हौसले और जज्बे को सलाम!

 

आप भी रेड ब्रिगेड से फेसबुक के जरिए जुड़ सकते हैं। 

 

संपादन – भगवती लाल तेली


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