मध्य-प्रदेश में बुरहानपुर शहर स्थित लालबाग की सतपुड़ा पहाड़ी पिछले कुछ सालों से नागरिकों और प्रशासन की अनदेखी के चलते बिल्कुल बंजर हो चुकी थी। यहाँ न तो हरियाली थी और न ही पानी था, लेकिन आज ये पहाड़ी एकदम हरी-भरी हो चुकी है।
लगभग 4 हज़ार पेड़-पौधे यहाँ लहरा रहे हैं। कई छोटे-छोटे तालाब बनाकर वर्षा जल संचयन की भी व्यवस्था की गयी है। लगभग 150 फीट की इस ऊँची पहाड़ी पर पहुँचना बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी कुछ युवाओं की ज़िद ने इस पहाड़ी को हरियाली से भर दिया है।
बुरहानपुर निवासी और इस युवा समूह के सदस्य कीर्ति कुमार जैन से द बेटर इंडिया ने बात की। उन्होंने बताया कि बुरहानपुर शहर का इतिहास मुगलों के ज़माने से भी पुराना है। लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्होंने महसूस किया कि उनका शहर अपना महत्व और लोकप्रियता दोनों खो रहा है।

“यह पहाड़ी भी एक जमाने में खूब हरी-भरी हुआ करती थी लेकिन फिर लोगों ने बिना किसी रोक-टोक के पेड़ काटे, जिससे ये बंजर होती गयी। रही-सही कसर पानी की किल्लत ने पूरी कर दी। प्रशासन ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। इसी तरह के अन्य कारणों से यहाँ हरियाली मानो खत्म ही हो गयी थी,” उन्होंने बताया।
फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले कीर्तिकुमार आगे कहते हैं कि उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने इस बारे में चर्चा करना शुरू किया। उन्होंने 20 से 25 लोगों का समूह बनाया और जुट गए इस पहाड़ी को ज़िंदगी देने में। उन्हें अपने बुजुर्गों से भी काफी प्रोत्साहन मिला क्योंकि उन्होंने इस पहाड़ी पर पेड़ देखे थे और अब यहाँ कुछ नहीं था।
“हम सबने तय किया कि हम शुरू में सिर्फ 200 पेड़ लगाएंगे और पहाड़ी पर बारिश का पानी संरक्षित हो सके, ऐसा कोई इंतजाम करेंगे। लेकिन जब हमने अपनी पहल शुरू की तो और भी लोग हमसे जुड़ते गए और कब पौधों की संख्या 200 से 2,500 हो गयी पता भी नहीं चला,” उन्होंने कहा।

उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी पहाड़ी के ऊपर पानी लेकर जाना। इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले एक जेसीबी की मदद से पहाड़ी पर चढ़ने-उतरने के लिए एक रास्ता बनाया गया। इसके बाद उन्होंने इस 25-30 एकड़ के क्षेत्र में 10-12 जगह पानी सहेजने के लिए सुनिश्चित की।
पहले से सुनिश्चित की गयी इन जगहों पर छोटे-छोटे तालाब बनाए गये और इन्हें एक दूसरे से जोड़ा गया। इन तलाबों को इस तरह बनाया गया कि बारिश का पानी रिसकर बहने की बजाय संचित हो।
कीर्ति और उनके साथियों ने जब पौधारोपण शुरू किया तब तक बारिश नहीं आई थी। ऐसे में, उन्हें नीचे से पानी ऊपर पहाड़ी तक लेकर जाना था। वह बताते हैं कि उन्होंने एक मोटर पंप का इस्तेमाल करके बाल्टियों से पानी ऊपर पहुँचाया और इसे इकट्ठा करने के लिए तिरपाल का इस्तेमाल करके एक कृत्रिम तालाब बना लिया।
इन युवाओं की पहल रंग लायी और देखते ही देखते पहाड़ी पर फिर से हरियाली लौट आई। ये हरियाली इसी तरह बरकरार रहे इसके लिए ये सभी युवा हर सुबह यहाँ आकर पेड़ों की देखभाल और पानी आदि देने का काम भी करते हैं।

पहाड़ी को ये स्वरूप देने में कीर्ति कुमार के साथ अश्विनी महाजन, गोविंद यादव, दिनेश मौर्य, मेघराज महाजन, विष्णु सोनेकर, अशाेक दुबे, अखिलेश तिवारी, मयूर जोशी, अनिकेत सन्यास, पांडू गंगाराम जैसे नाम भी शामिल हैं।
ये सभी नेक लोग बहुत ही साधारण परिवारों से आते हैं। कोई शिक्षक है तो कोई किसान या फिर कोई कीर्ति की तरह अपनी दुकान आदि चलाता है। इन युवाओं ने इस काम के लिए खुद अपनी जेब से फंडिंग जुटाई और थोड़ी-बहुत मदद उन्हें वन-विभाग से भी मिली क्योंकि यह क्षेत्र वन-विभाग के अंतर्गत आता है।
उनकी पहल से अब शहर के और बहुत से लोग जुड़ने लगे हैं। जन्मदिन, शादी की सालगिरह या फिर अन्य किसी भी उत्सव के मौके पर लोग अपने परिवार के साथ पहुंचकर पौधारोपण करते हैं। पहाड़ी के हरा-भरा होने से यहाँ पर बच्चे अपने माता-पिता के साथ घूमने-फिरने के लिए भी आ सकते हैं।
इस युवा समूह ने पौधारोपण के साथ अपने इलाके में स्वच्छता की भी पहल की है। कीर्ति कहते हैं कि उनका उद्देश्य अपने शहर को स्वच्छ, स्वस्थ और हरा-भरा रखने का है। इसके लिए वे लोग पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं।
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