मई के अंतिम हफ्ते में राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित भारत के कई हिस्सों में प्रचंड गर्मी थी। जिससे दिन का तापमान सामान्य से काफी ऊपर पहुँच गया था। दिल्ली में अधिकतम तापमान 47 डिग्री दर्ज किया गया जबकि राजस्थान के चुरू में तापमान 50 डिग्री तक पहुँच गया।
राज्य में सिर्फ चुरू ही अधिक प्रभावित क्षेत्र नहीं था। अधिकांश शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया, जिससे पानी का संकट बढ़ गया। जैसे कि बाड़मेर में चिलचिलाती गर्मी के कारण दिन में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया, जिससे ग्रामीणों को पीने के पानी की भारी कमी हो गई।
ग्रामीणों को महसूस हुआ कि वे सिर्फ अकेले ही इस पीड़ा को नहीं झेल रहे हैं बल्कि पक्षियों और पशुओं को भी पानी की कोई सुविधा नहीं थी।
ऐसे में, स्थानीय लोगों ने रीसाइकिल किए हुए टिन के डिब्बों से बर्डबाथ और फीडर बनाया। उन्होंने टिन के डिब्बे को गर्म चाकू की मदद से चारों तरफ से काटकर खोल दिया। इससे पक्षियों को डिब्बे के चारों तरफ खुले द्वार पर चारा चुगने और बीच के छिछले कुएँ जैसी जगह में भरे पानी में अच्छी तरह से तैरने का स्थान बन गया। चूँकि दिन का तापमान बहुत अधिक होता है इसलिए पक्षियों को गर्मी से बचाने के लिए बर्डबाथ को पेड़ पर लटका दिया गया।
जब भारतीय वन सेवा के अधिकारी प्रवीण कासवान को इस स्वदेशी बर्ड फीडर (पक्षियों के खाने-पीने का बर्तन) का एक चित्र मिला तो उन्होंने तुरंत इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया। अपने ट्वीट में उन्होंने लोगों से अपील की कि वे छोटे पक्षियों के लिए दाना पानी रखकर अपनी कुछ जिम्मेदारी निभाएं।
Indigenous solution. Remember summer is coming. Do your part for small birds. Keep some water. pic.twitter.com/i9LbQ9mD7h
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 23, 2020
द बेटर इंडिया को दिए इंटरव्यू में प्रवीण कहते हैं, “यह अपने आसपास के क्षेत्र में पक्षियों की रक्षा के लिए एक नेक उद्देश्य से शुरू किया गया था। स्थानीय लोगों ने इसे ऐसी सामग्री से बनाया जो आमतौर पर हर किसी के घर में उपलब्ध होती है। यह स्वदेशी उपाय उस क्षेत्र में भयंकर गर्मी से पक्षियों को बचाने में मदद करेगा।”
एक ट्वीट ने देशभर में लोगों को बर्डबाथ बनाने के लिए कैसे प्रेरित किया
कासवान को यह अंदाजा नहीं था कि उनका वायरल ट्वीट इतने अन्य लोगों को बर्डबाथ बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। प्रवीण कहते हैं, “कई राज्यों के लोगों में अपने बनाए बर्डबाथ की तस्वीरें शेयर की। यह सब दिल को छू गया।“
रायपुर, छत्तीसगढ़ के एक मैकेनिकल इंजीनियर स्वराज विश्वकुमार उन लोगों में से थे जिन्होंने इस ट्वीट से प्रेरित होकर अपना खुद का बर्डबाथ बनाने का फैसला किया।
स्वराज कहते हैं, “मैंने अपने घर में खाली तेल का टिन और कुछ तार लिया। फिर टिन के डिब्बे को हैंड ग्राइंडर से काटा। आधे घंटे के भीतर बर्डबाथ तैयार हो गया। मैंने इसे अपनी छत पर रखा है। लेकिन वहाँ एक भी पक्षी नही आया। तब मैंने इसे अपने घर के पास एक पेड़ पर लटका दिया। अब हर दिन 5 से 6 पक्षी इस पर दाना चुगते हैं।
लेकिन बाड़मेर से आई तस्वीर ने सिर्फ स्वराज को ही प्रेरित नहीं किया।
प्रवीण का कहना है कि राजस्थान पत्रिका में उनका ट्वीट प्रकाशित होने के बाद बीकानेर में दुकानदारों और उनके यहाँ काम करने वाले लोगों का एक समूह 500 बर्डबाथ बनाने के लिए आगे आया। उन्होंने मंदिरों के बाहर बर्डबाथ रखा और हर इच्छुक व्यक्ति को मुफ्त में वितरित किया।
Very well to see. Manoj from Botad, Gujarat has made 100 Of Same From Him Self for birds. Wishes for his awesome work. Sent by @SinceMarch2010. pic.twitter.com/yeZ7P0miFf
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 30, 2020
पुणे के रहने वाले विशाल वाडकर भी उन लोगों में शामिल हैं जो ट्वीट से प्रेरित हुए।
वाडकर बताते हैं, “हर सुबह मैं पक्षियों की चहचआहट सुनता हूँ, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें पीने के लिए पानी कहाँ से मिलता होगा, खासकर शहर में। कासवान सर की उस पोस्ट ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया और मैंने तुरंत बर्डबाथ बनाने का फैसला किया। मैंने एक पुराने टिन के डिब्बे को चाकू से काटर बर्डबाथ बनाया। मैंने ध्यान रखा कि बर्डबाथ के किनारे पर कोई तेज धार न हो और यह चार घंटों के भीतर बनकर तैयार हो गया। इसके अलावा मैंने बर्डबाथ के ठहरे पानी में मच्छरों के प्रजनन से बचाने के लिए छोटी मछलियाँ डाली। ”
सोशल मीडिया ने न केवल इंसानों बल्कि जानवरों के जीवन पर भी प्रभाव डाला है। यहाँ देखिए कुछ अन्य बर्ड बाथ जिन्हें लोगों ने ट्वीट को देखने के बाद बनाया है:
From twitter to Patrika. pic.twitter.com/gfmU0c45TF
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 24, 2020
This one is also from Barmer, sent by @narpatsinghraj8. Shade as well as water provision for birds. The first picture is not mine, I received & shared as an indigenous solution with message. pic.twitter.com/tYBgXGbd2r
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 24, 2020
You see people are improving designs. pic.twitter.com/LgfyoXHC4Q
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 25, 2020
Some more coming up. Sent by journalist @ronakdgajjar
“It also happened in Border District Kutch (Gujarat) today, Person from village Navanagar did according to your tweet”. pic.twitter.com/ceLbU6Vy71
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) May 24, 2020
बाड़मेर से शुरू हुई इस पहल को आज देश के कई हिस्सों में लोगों द्वारा बढाया जा रहा है।
मूल लेख- ROSHINI MUTHUKUMAR
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