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इन दिव्यांग जनों ने पहाड़ सी चुनौतियों को किया बौना,औरों को भी बना रहे आत्मनिर्भर

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झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी में 10 दिव्यांगजनों का एक समूह आज लोगों के लिए मिसाल बन चुका है। दिव्यांगों के इस समूह के सदस्य ओरमांझी में एक पीडीएस दुकान चलाते हैं, वहीं दूसरे दिव्यांगों को उनके हक के लिए जागरुक कर मदद भी करते हैं। दिव्यांग जनों के इस समूह से जुड़े दस व्यक्तियों में तीन नेत्रहीन हैं।

रांची के ओरमांझी प्रखंड के बारीडीह गांव के रहने वाले इन लोगों ने दस साल पहले अपने हक एवं सरकारी सुविधाओं के लिए लड़ाई शुरू की थी। उसी दिशा में सबसे पहला कदम था बिरसा विकलांग स्वयं सहायता समूह का गठन ताकि अपनी छोटी -छोटी बचत से ये भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी आर्थिक रुप से सशक्त एवं तैयार हो सके।

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बिरसा विकलांग स्वयं सहायता समूह के सदस्य

समूह में जुड़ने से पहले इन्हें सरकारी सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिलता था, लेकिन समूह में जुड़कर सभी सदस्यों ने पेंशन, आवास एवं दिव्यांग प्रमाण पत्र जैसे जरुरी सरकारी हक एवं सुविधाओं से खुद को जोड़ने की पहल की। बिरसा विकलांग स्वयं सहायता समूह के सारे दिव्यांग सदस्य आज पीडीएस की दुकान चलाते हैं, वहीं समूह से ऋण लेकर अपनी क्षमता के मुताबिक अन्य व्यवसाय भी कर रहे हैं। खेती-बाड़ी, पशुपालन, मछलीपालन भी इनकी आजीविका के साधनों में शामिल है।

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मछली पालन से भी जुड़े है बिरसा विकलांग समूह के सदस्य

बिरसा विकलांग स्वयं  सहायता समूह के सचिव नारायण महतो के मुताबिक समूह बनाने के पीछे की सोच थी अपना एवं गांव के आस-पास के दिव्यांग भाईयों-बहनों को शारीरिक एवं आर्थिक मदद पहुंचाना ताकि सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से किसी को वंचित न रहना पड़े। उन्होंने बताया, “समाज के लिए कुछ करने से पहले हमलोगों ने समूह के सभी सदस्यों को विकलांग पेंशन, मनरेगा में काम से जोड़ा और इन सबका फायदा तभी मिला जब हम सबने मिलकर सभी सदस्यों का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया। 2010 में समूह गठन के बाद हमलोग बचत भी करते थे। 2016 में आजीविका मिशन की टीम गांव में महिला समूह बना रही थी। जब उन्हें हमारे बारे में पता चला तो उन्होंने हमें समूह का प्रशिक्षण दिया जिसके बाद हमलोग 10 रुपया हर सदस्य प्रति हफ्ता जमा करने लगे। वहीं हर रविवार सुबह 10 बजे हम सभी बैठक भी करते हैं।”

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स्वयं सहायता समूह की बैठक में सारे दिव्यांग सदस्य

बिरसा विकलांग स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष नेत्र दिव्यांग रामेश्वर महतो बताते हैं, “2018 में हमें पीडीएस की दुकान बारीडीह गांव के लिए आवंटित हुई। इसके लिए भी कई समूह दावेदार थे लेकिन हमलोगों ने ग्राम सभा में अपनी बात डट कर रखी, तब जाकर ग्राम सभा राजी हुई और हमें पीडीएस दुकान का कार्य मिला। तब से लेकर आज तक हमलोग इसको चला रहे हैं और किसी भी जरुरतमंद का हक न मारा जाए, इसका खास ध्यान रखते हैं।”

पीडीएस की दुकान पर लंबी कतार में खड़े लोगों को राशन उपलब्ध कराते सचिव नारायण बताते हैं, “हमारे अंदर ताजगी, स्फूर्ति और जोश तब भर गया जब स्थानीय दिव्यांगों को समाज में बराबरी का दर्जा देने के लिए भी हम लोग कार्य करने लगे। हम सभी ने मिलकर स्थानीय दिव्यांग मुन्नी कुमारी एवं रणजीत कुमार को पारा टीचर के रुप में नौकरी हासिल करने में मदद की। उनकी काबिलियत के बावजूद ग्राम सभा उनका नाम आगे बढ़ाने को राजी नहीं था, हमलोगों ने मिलकर लिखित परीक्षा का आइडिया दिया जिसके बाद हमारे इन दोनों लोगों को पैरा टीचर की नौकरी के लिए ग्राम सभा ने मनोनीत किया।”

ग्रामीणों को पीडीएस राशन वितरण  करते दिव्यांग समूह के सदस्य
ग्रामीणों को पीडीएस राशन वितरण करते दिव्यांग समूह के सदस्य

बचपन में खेलने के दौरान अपनी आंख खो देने वाले रामेश्वर बताते हैं, “मैंने समूह से ऋण लेकर बोरिंग कराया और सब्जी की खेती से सालाना 2 लाख रुपये आराम से कमा लेता हूं। यह सब समूह से ही संभव हो पाया। हम दूसरे दिव्यांगों की दुनिया भी खूबसूरत बनाना चाहते हैं। हम अपने गांव के आस-पास के दिव्यांगों को उनके हक एवं अधिकार दिलाने के लिए लगातार  काम कर रहे हैं। अब तक दर्जनों लोगों को मनरेगा एवं पेंशन से जोड़ चुके हैं और अब हमलोग सभी दिव्यांग जरुरतमंदों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिलाने के लिए प्रयासरत है। हम यह मानते है कि दिव्यांग भी किसी से कम नहीं है जरुरत है तो बस उनके जज्बें को थोड़ी ताकत और मौका देने का, फिर देखिये उनके हौसलें से हर मुश्किल आसान हो जाएगी।”

सचिव नारायण महतो पांव से दिव्यांग है अपनी स्कूटी की ओर इशारा करते हुए बताते हैं,“आज मैं अपनी स्कूटी से प्रखण्ड कार्यालय जाकर जरुरतमंदों को सरकारी सुविधाएं लेने में मदद करता हूं। मैंने खुद भी अपनी पत्नी के साथ मिलकर मनरेगा से कुआं बनाया और अब टपक सिंचाई के माध्यम खेती करता हूं, ड्रिप लगाने के लिए मैंने अपने समूह से और पत्नी ने सखी मंडल से ऋण लिया, हमलोग आज आराम से लाखों रुपये खेती से कमा लेते हैं। टपक सिंचाई से खेती में बहुत फायदा है।”

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दिव्यांग समूह के सचिव नारायण महतो खेती करते हुए

समूह के कोषाध्यक्ष बलवंत बताते हैं कि हमलोग एक दूसरे के सुख दुख के साथी हैं। उन्होंने बताया कि समूह में अभी 70 हजार से ज्यादा की राशि है जो जरुरत पड़ने पर कोई भी सदस्य ऋण के रुप में ले सकता है और फिर किस्तों में चुका सकता है।

बारीडीह गांव के मुखिया राजेंद्र साहु बताते हैं कि ग्राम सभा को इन दिव्यांगों ने नई ऊर्जा दी है। उन्होंने कहा, “इन सभी ने हमें बिल्कुल निराश नहीं होने दिया है। शुरूआत में ग्राम सभा को संशय था कि दिव्यांग ये सभी काम कर पाएंगे कि नहीं लेकिन बिरसा विकलांग समूह बहुत अच्छे से पीडीएस दुकान का संचालन कर रहा है एवं लोगों की मदद भी कर रहा है।”

रामेश्वर महतो नेत्रहीन है, वहीं नारायण महतो पैर से दिव्यांग हैं इनके जैसे दस दिव्यांगों ने किसी कमी की चिंता किए बिना अपने हुनर, हौसले एवं जुनून के बूते अपनी दुनिया के कैनवास को रंगीन बनाया और हर उस काम को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया जिसपर लोगों को यकीन नहीं था।

द बेटर इंडिया जुनून एवं हौसलों के धनी बिरसा विकलांग समूह के सभी सदस्यों को भविष्य में और आगे बढ़ने एवं दिव्यांगों के जीवन में सुधार लाने के लिए शुभकामनाएं देता है।

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