Quantcast
Channel: The Better India – Hindi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3562

ज़ोमाटो डिलीवरी बॉय ने बना दी इलेक्ट्रिक-सोलर साइकिल, इसी से करते थे इको-फ्रेंडली डिलीवरी

$
0
0

यह प्रेरक कहानी झारखंड के सिंहभूम इलाके के एक ऐसे युवक की है, जिसने अभावों के बीच जीवन गुजारा लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति की वजह से एक ऐसे साइकिल का निर्माण किया जो सौर ऊर्जा से चलती है। भले ही शुरूआत में इस अविष्कार को पहचान नहीं मिली लेकिन अब उन्हें साइकिल के लिए आर्डर मिलने लगा है।

19 वर्षीय इंद्रजीत ग्रेजुएशन के छात्र हैं लेकिन इसके साथ ही, उनकी एक और पहचान है और वह है एक आविष्कारक-उद्यमी की। बचपन से ही मशीनों को समझने और बनाने के शौक़ीन रहे इंद्रजीत ने अब तक कई ऐसे आविष्कार किए हैं जो जनसाधारण के लिए मददगार हैं। पहले तो उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चों की पैदल आने-जाने की समस्या को समझते हुए सोलर साइकिल बनाई और फिर गाँव में चिरौंजी के किसानों की मदद के लिए पोर्टेबल चिरोंजी डेकोर्टिकेटर मशीन भी बनाई है।

इंद्रजीत ने द बेटर इंडिया को बताया, “बचपन से ही मुझे मशीन से खेलने का शौक था। घर पर सब रेडियो सुनते थे तो एक दिन रात को मैंने उसे पूरा खोल दिया क्योंकि मुझे लगता था कि ज़रूर इसके अंदर कोई बैठा है और यह सब बातें बता रहा है। उसी जिज्ञासा से ही मेरा यह सफ़र शुरू हुआ। घरवाले मुझसे हर चीज़ बचाने की कोशिश में जुटे रहते थे।”

Indrajeet Singh, Innovator

इंद्रजीत के पिता एक बस ड्राईवर हैं और घर में उनके दो भाई-बहन हैं। आर्थिक स्थिति इतनी भी ठीक नहीं है कि उनके माता-पिता उन्हें किसी बड़े स्कूल में पढ़ाते। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूलों से ही पूरी की और वहीं पर तरह-तरह के साइंस प्रोजेक्ट्स में भाग लेते रहे। स्कूल को यदि किसी जिला स्तरीय या राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेना होता तो इंद्रजीत को ही कुछ बनाने के लिए कहा जाता। कई बार उन्होंने अपने स्कूल में भेदभाव का समाना भी किया। उनके बनाए प्रोजेक्ट को किसी और बच्चों के नाम से आगे भेजा गया।

“एक-दो बार मेरे साथ ऐसा हुआ लेकिन मैंने हार नहीं मानी। क्योंकि मैं जानता था कि मुझमें और भी बहुत कुछ करने का हुनर है। इसलिए मैं घर पर अपनी एक छोटी सी वर्कशॉप बनाने में जुटा रहा। जब भी कोई पैसे मिलते, मैं अपने आइडियाज पर काम करने के लिए उनसे इंस्ट्रूमेंट्स ले आता,” उन्होंने बताया।

एक बार उन्हें पुरस्कार में सोलर लाइट मिली और इससे उन्हें सोलर के काम करने की तकनीक समझ में आई। सोलर लाइट को समझते-समझते, इन्द्रजीत के मन में ख्याल आया कि अगर इतना कुछ सोलर से चल सकता है तो क्या उनकी साइकिल भी सोलर से चल पाएगी? उन्होंने इस पर अपने स्तर पर काम करना शुरू किया। उन्होंने एक सेकंड हैंड मोटर खरीदी, सोलर लाइट के सोलर पैनल को निकाला और भी दूसरी चीजें उन्होंने जुटाई। स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ वह सोलर साइकिल बनाने में भी जुट गए।

His Solar-cum-electric Bicycle

“पहले तो मैं ट्रायल कर रहा था लेकिन फिर मैंने देखा कि पहाड़ी रास्ते की वजह से स्कूल पहुँचने में बहुत बच्चों को दिक्कत होती है। जिनके पास साइकिल है उनके लिए भी ढलान से उतरना तो आसान रहता है लेकिन ढलान पर खुद को और साइकिल को चढ़ाना उतना ही मुश्किल। उनके बारे में सोचकर भी मैंने यह कोशिश की ताकि आसानी से ऐसे रास्तों से आया जा सके,” उन्होंने आगे कहा।

इसी बीच साल 2016 में उन्हें हनी बी नेटवर्क और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित INSPIRE अवॉर्ड्स में भाग लेने का मौका भी मिला। पहले उन्होंने जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार हासिल किया और फिर उन्हें अगले लेवल के लिए रांची बुलाया गया। लेकिन उस वक़्त उनके साथ जाने वाला कोई नहीं था।

“मैं कभी भी अकेले अपने शहर से बाहर नहीं गया था और स्कूल से इस बारे में कोई मदद नहीं मिली। घरवालों ने भी कहा कि कोई ज़रूरत नहीं है जाने की। लेकिन मैं रात को अकेले घर से निकल गया और ट्रेन से रांची पहुंच गया। इसके बाद मुझे दिल्ली बुलाया गया, जहाँ डॉ. हर्षवर्धन ने मुझे सम्मानित किया और मुझे अनिल सर से मिलने का मौका मिला,” उन्होंने आगे कहा।

पुरानी साइकिल और सेकंड हैंड चीज़ें इस्तेमाल कर बनी उनकी सोलर साइकिल में उस समय लगभग तीन हज़ार रूपये की लागत आयी थी। उन्होंने साइकिल को इस तरह मॉडिफाइड किया कि यह सोलर और इलेक्ट्रिक दोनों तरीके से चल सके। सोलर पैनल के साथ यह साइकिल 30 किमी प्रतिघंटा के हिसाब से चलती है और बतौर इलेक्ट्रिक, एक चार्जिंग में यह साइकिल लगभग 60 किमी तक चल सकती है।

He has won an award for his bicycle model

वह कहते हैं कि सोलर की वजह से कभी-कभी साइकिल का वजन बढ़ जाता है और इसलिए अब वह लोगों को फोल्डेबल सोलर पैनल की सुविधा दे रहे हैं ताकि जब लोगों को ज़रूरत हो तब ही उन्हें सोलर का इस्तेमाल करना पड़े!

इंस्पायर अवॉर्ड जीतने के बाद उन्हें जापान के Sakura Exchange Program in Science में भी जाने का मौका मिला। हालाँकि, इतने सम्मान मिलने के बाद भी उन्हें कहीं से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पाई। न ही उनके इनोवेशन को आगे बढ़ाने के लिए और न ही उनकी पढ़ाई के लिए।

हाई स्कूल पास करने के बाद वह जमशेदपुर पहुँचे और वहाँ से उन्होंने अपनी 11वीं और 12वीं की कक्षा पास की। अपनी पढ़ाई और अपने इनोवेशन पर काम करने के लिए उन्होंने अलग-अलग जगह पार्ट टाइम नौकरी भी की। वह बताते हैं कि जमशेदपुर में सोलर साइकिल ने उनकी बहुत मदद की है।

Indrajeet has delivered zomato orders on his bicycle as part-time job

जोमेटो के लिए वह बतौर डिलीवरी बॉय काम करते थे और सभी डिलीवरी अपनी सोलर साइकिल पर करते थे। इस दौरान, उनकी साइकिल देखकर अक्सर लोग उनसे इसके बारे में पूछते थे। उन्होंने अपनी एक वीडियो भी यूट्यूब पर अपलोड की।

“अब तक मैंने 18 लोगों के लिए सोलर साइकिल बनाकर दी है। नई और एडवांस सोलर और इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत 14 हज़ार रुपये से शुरू होती है। इसमें 24 वाल्ट की बैटरी का इस्तेमाल मैं करता हूँ और फिर जो फेअतुरेस ग्राहक को चाहिएं उस पर काम किया जाता है। वीडियो देखकर और भी बहुत से लोगों ने मुझे सम्पर्क किया और अभी लगभग 80 आर्डर मुझे मिले हैं। इन पर मैं आगे काम कर रहा हूँ। इसके साथ ही मेरे दूसरे इनोवेशन के लिए मुझे हनी बी नेटवर्क से थोड़ी मदद मिली है,” उन्होंने कहा।

इंद्रजीत से सबसे पहली साइकिल खरीदने वाले उनके अपने स्कूल के एक शिक्षक थे, जिन्होंने अपने बेटे के लिए यह साइकिल खरीदी। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगह के कई लोगों को साइकिल बनाकर दी। इनमें उनके साथ ज़ोमैटो में काम करने वाला उनका एक साथी भी शामिल है।

लगभग डेढ़ साल पहले राजू प्रमाणिक ने उनसे अपने लिए साइकिल खरीदी थी। राजू बताते हैं कि वह पहले डिलीवरी करने के लिए बाइक का इस्तेमाल करते थे लेकिन इसमें पेट्रोल का खर्च लगभग साढ़े तीन हज़ार तक आता था। जब उनकी मुलाक़ात इंद्रजीत से हुई तो उन्होंने उनसे इलेक्ट्रिक कम सोलर साइकिल खरीदी।

“मैंने उसे पैसे भी इंस्टॉलमेंट में दिए थे। लेकिन अब मेरा महीने का खर्च इस पर मुश्किल से 300 रुपये आता है। अब तक दिर्फ़ एक बार बीच में वायरिंग की थोड़ी दिक्कत हुई थी लेकिन वह भी मैकेनिक ने 100 रुपये में ठीक कर दिया। तबसे मैं हर जगह यही साइकिल इस्तेमाल कर रहा हूँ,” राजू ने आगे कहा।

His another innovation

इंद्रजीत का दूसरा इनोवेशन, चिरौंजी उगाने वाले किसानों के लिए है। वह बताते हैं कि किसानों को चिरौंजी का फल हाथों से निकालना पड़ता है क्योंकि इसके लिए जो भी मशीन है, वह काफी महंगी है। कोई भी ऐसी मशीन है नहीं जो कम लागत वाली और छोटे किसानों के लिए हो। किसानों को इस प्रक्रिया में काफी वक़्त लगता है और न ही उन्हें अच्छे फल मिल पाते हैं। इसलिए उन्होंने यह मशीन बनाई ताकि किसानों की मदद हो सके।

इस मशीन के लिए उन्हें साल 2018 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा इगनाइट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। उनकी इस मशीन के लिए भी उन्हें सम्मानित किया गया है और अब तक लगभग 60 आर्डर उन्हें मिल चुके हैं।

अपने इस दोनों इनोवेशन को प्रोक्ट्स के रूप में बाजार में उतारने के लिए इंद्रजीत ने एक सोशल एंटरप्राइज शुरू करने का फैसला किया है। इसके ज़रिए वह न सिर्फ अपने इनोवेशन दूसरों तक पहुँचाना चाहते हैं बल्कि ग्रामीण इलाकों में जो लोग अपनी समझ से दूसरों की मदद के लिए कुछ बनाना चाहते हैं उन्हें भी रोज़गार देना चाहते हैं।

Explaining his innovation

हाल ही में उन्होंने गुजरात के अपने एक दोस्त के साथ मिलकर मल्टी-पर्पज ड्रोन बनाया है जिससे किसी भी जगह को सैनीटाइज किया जा सकता है और कहीं भी दवा पहुँचाई जा सकती है। वह कहते हैं कि उन्हें बस ऐसे नवाचार करने हैं जो आम से आम लोगों के काम आएं। उनके पास हुनर है, बस थोड़ी आर्थिक मदद जुटानी है, जिस पर वह काम कर रहे हैं।

अगर आप इंद्रजीत के इन नवाचारों को आगे बढ़ाने में किसी भी तरह से उनकी मदद कर सकते हैं तो उन्हें 079910 82184 पर कॉल कर सकते हैं!

यह भी पढ़ें: किसान ने बनाया ट्रॉली वाला सोलर पैनल सिस्टम, ट्रैक्टर से कहीं भी ला-ले जा सकते हैं


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

The post ज़ोमाटो डिलीवरी बॉय ने बना दी इलेक्ट्रिक-सोलर साइकिल, इसी से करते थे इको-फ्रेंडली डिलीवरी appeared first on The Better India - Hindi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3562

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>