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रोज़ 100 बेजुबानों का पेट भरती हैं निहारिका, किया 500 को रेस्क्यू

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 सड़क पर रहने वाले बेजुबानों को हम इंसानों से क्या चाहिए? बस थोड़ा सा प्यार, दो वक़्त का खाना और सोने के लिए एक सुरक्षित जगह। लेकिन बड़ा दुःख होता है यह देखकर कि कई जानवर सड़क पर घायल और दयनीय हालत में रहने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसे बेजुबानों की ही आवाज़ बनी हैं गाजियाबाद की 25 साल की निहारिका राणा। जिन्होंने पिछले तीन साल से जानवरों को रेस्क्यू करने और इन बेजुबानों की मदद के लिए खुद के दम पर एक अभियान की शुरुआत की है। 

आज वह ‘निहारिका राणा फाउंडेशन’ नाम से एक संस्था चला रही हैं और इसके तहत वह रोज खुद 100 से अधिक बेजुबानों को खाना खिलाती हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इन तीन सालों में 500 घायल जानवरों को रेस्क्यू भी किया है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह सारे काम वह अपनी फुल टाइम जॉब के साथ करती हैं और इन कामों में अपनी आधे से ज्यादा सैलरी भी लगा देती हैं।  

एक कॉलेज प्रोजेक्ट से शुरू हुआ काम 

दरअसल, निहारिका हमेशा से अपने आस-पास के कुत्तों को खाना खिलाती रहती थीं और इन बेजुबानों के लिए उनके दिल में हमदर्दी भी थी। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जानवरों के प्रति इसी प्यार के कारण, उन्होंने अपने कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए जानवरों को रेस्क्यू करने का काम चुना।  

जिसमें वह घूम-घूमकर घायल और बीमार कुत्तों की मदद करती थीं। कुछ समय बाद वह प्रोजेक्ट तो पूरा हो गया लेकिन बेजुबानों की सेवा करने का काम उन्होंने कभी बंद नहीं किया। 

वहीं कोरोनाकाल में यह काम और बढ़ गया। निहारिका ने बताया कि पहले जहां वह सिर्फ 20-25 कुत्तों को खाना खिलाती थीं, वहीं लॉकडाउन के समय यह संख्या बढ़कर 120 के करीब हो गई। सड़क पर खाने-पीने की दुकानें और लोगों के न रहने से इन बेजुबानों को एक समय का खाना भी नहीं मिल पा रहा था। 

निहारिका ने उस समय अपने घर से 10 किमी तक दूर जाकर खाना खिलाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे इन बेजुबानों का लगाव निहारिका से इतना बढ़ गया कि वह इनकी वैक्सीन से लेकर इलाज तक का ध्यान रखने लगीं। 

अब तो लोग उन्हें फ़ोन करके घायल जानवरों की जानकारी देते हैं, जिसे निहारिका रेस्क्यू करके शेल्टर होम तक पहुँचाती हैं। वह हर दिन सुबह 5 बजे उठकर खुद खाना बनाती हैं और फिर निकल पड़ती है अपने नन्हें-नन्हें दोस्तों को खाना खिलाने। 

निहारिका ने काम को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक संस्था भी शुरू की है जिसकी वजह से उन्हें थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी मिल पा रही है। 

अगर आप उनकी इस नेक पहल से जुड़कर बेजुबानों की मदद करना चाहते हैं तो उन्हें सोशल मीडिया पर संपर्क कर सकते हैं।  

यह भी पढ़ेंः- 100 बेजुबानों की देखभाल के लिए इस परिवार ने बेच दिया अपना घर

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