शिकंजी और भारत का रिश्ता तो बहुत पुराना है; ख़ास कर उत्तर भारत से! मैं हरियाणा से हूँ और आज इतनी नामी-गिरामी कोल्ड-ड्रिंक्स के जमाने में भी मेरे यहां गर्मी में आने वाले रिश्तेदारों को सबसे पहले शिंकजी ही पिलाई जाती है।
एक गिलास पानी में भुना हुआ जीरा, आमचूर और काला नमक जैसे स्वाद-युक्त मसालों के साथ एक नींबू निचोड़ दो, बस बन गयी शिंकजी। चाहे तो आप थोड़ी-सी चीनी भी मिला सकते हैं, आपकी इच्छानुसार।

शिकंजी के अपने दर्जनों स्थानीय नाम और संस्करण है। आप उत्तर भारत के किसी भी शहर में चले जाइये, गर्मी के मौसम में आपको बहुत से शिकंजी के ठेले मिलेंगें सड़कों पर। मिट्टी के बड़े से घड़े को भीगे हुए कपड़े से ढक कर, बूंदी और पुदीने की पत्तियों की सजावट के साथ बहुत से लोग आपको शिकंजी बेचते दिख जायेंगे।
इसके अलावा कुछ लोग आज भी पुराने तरीके अपनाकर एकदम ठंडी शिकंजी आपको परोसते हैं। जी हाँ, लम्बा बेलनाकार बर्तन, जिसके अंदर स्टील के जार में मसालेदार पानी, जिसके चारों तरफ एकदम छोटे-छोटे टुकड़े की हुई बर्फ रखी जाती है। जार का ढक्क्न हैंडल से हिलाकर शिकंजी को एकदम ठंडा किया जाता है। बाद में निम्बू निचोड़कर और ताजा पुदीने की पत्तियों के साथ शिकंजी ग्राहक को दी जाती है।
Photo: the young big mouth
वैसे तो शिकंजी हर घर में बनती है हमारे यहां, पर दिल्ली की शिकंजी की बात ही अलग है। मुझे अभी भी याद है जब दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपने ग्रेजुएशन के दिनों में हर गर्मी में हमारे कॉलेज के बहार एक न एक शिकंजी वाला तो खड़ा रहता ही था। हर दिन दोपहर में कॉलेज से हॉस्टल जाते वक़्त शिकंजी पीना तो जैसे रिवाज था हमारा।
हालाँकि, मुझे सबसे ज्यादा बंटा वाली शिकंजी पसंद है। अरे, वही कांच की छोटी सी बोतल, जिसमें बोतल की गर्दन में कंचे की गोली अटकाई होती है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में ‘गोली सोडा’ भी कहते हैं।
अब यह तो नहीं पता कि दिल्ली से इस बंटा का रिश्ता कितना पुराना है, पर जनाब इसकी अपनी विकी एंट्री है गूगल पर।

आज भले ही कितनी भी हाई-फाई ड्रिंक रेस में हों पर बंटा के देसीपन की बात ही अलग है। मुझे अभी भी याद है जब हम चिलचिलाती धुप में सरोजिनी नगर और जनपथ की सड़कें नापते थे, ना जाने कितने गिलास बंटा शिकंजी के पिए होंगें उस वक़्त दोस्तों के साथ।
एक दिलचस्प बात यह है कि इंदौर की शिकंजी के रंग-ढंग पुरे उत्तर भारत से अलग हैं। न तो इसमें निम्बू है और न ही पानी। बल्कि, इंदौर वालों की शिकंजी दूध और मेवों से बनती है, छाछ के हल्के से खट्टेपन के साथ, पर एकदम मीठी।
कभी इंदौर जाना हो और उनकी शिकंजी पीनी हो तो रात में ‘सराफ़ा बाज़ार’ जाइएगा, कहते हैं वहां की शिकंजी का कोई मुक़ाबला नहीं।

तो अगली बार जब गला सूखे तो कोका-कोला को साइड कर जरा भारतीय शिकंजी पी लीजियेगा, आखिर इस शिकंजी के साथ बहुत सी यादें और सदियों की संस्कृति जुड़ी है।
( संपादन – मानबी कटोच )
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