Quantcast
Channel: The Better India – Hindi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3563

1 नवम्बर: भारत के छह राज्यों का एक ऐतिहासिक दिन!

$
0
0

भारत के इतिहास में 1 नवंबर का बहुत महत्व है। यह वह तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फ़ैसला लिया गया था। 1 नवंबर का दिन भारत के छह राज्यों के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ।

मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल, वो छह राज्य हैं जो एक ही दिन अपना स्थापना दिवस मनाते हैं। द बेटर इंडिया के साथ जानिए कि कब और क्यों इन राज्यों का पुनर्गठन किया गया!

Mapsofindia.com

मध्य-प्रदेश

देश के मध्य में स्थित मध्य-प्रदेश को भारत का दिल भी कहा जाता है। इस राज्य की स्थापना भी 1 नवंबर 1956 को ही हुई थी। लेकिन भारत सरकार के लिए मध्य प्रदेश की स्थापना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रही।

दरअसल, चार प्रान्त- मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर ही एक राज्य बनाना था, लेकिन असल में इन बड़े प्रान्तों में रहने वाली जनता अलग-अलग विचार, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, लोक संस्कृति और आचार-विचार की थी।

मध्य-प्रदेश का मानचित्र

सबसे पहले भोपाल के राजतन्त्र को साल 1949 में खत्म किया गया। उस समय नवाब हमीदुल्लाह खान यहाँ कि राज-व्यवस्था सम्भाल रहे थे। लेकिन जब लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया तो उन्होंने भारत सरकार की राज्य पुनर्गठन की निति के तहत भोपाल को अन्य प्रान्तों के साथ विलय करके एक राज्य के गठन को मंजूरी दे दी।

और बहुत-सी बहस और विचार-विमर्श के बाद आखिरकार मध्य-प्रदेश बना। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।

बाद में, साल 2000 में 1 नवंबर के ही दिन छत्तीसगढ़ को मध्य-प्रदेश से अलग कर, एक नए राज्य के रूप में गठित किया गया।

छत्तीसगढ़

स्वतंत्रता के पहले तक छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल प्रान्त के नाम से जाना जाता था। हालांकि, साल 1956 में इस प्रान्त का विलय वर्तमान मध्य-प्रदेश में कर दिया गया था। लेकिन, बाकी राज्यों की तरह मध्य-प्रदेश का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ था।

छत्तीसगढ़ का मानचित्र

छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग स्वतंत्रता से पहले ही उठ रही थी। क्योंकि यहाँ पर सभी लोग छत्तीसगढ़ी और गोंड भाषा बोलते थे। इसके अलावा, इसे छत्तीसगढ़ इसलिए भी कहा गया क्योंकि इसमें 36 गढ़ समाहित थे। पर उस समय सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज करते हुए, इसे मध्य-प्रदेश में मिला दिया।

पर 20वीं शताब्दी के अंत में, इसे अलग राज्य बनाने की मांग तेज होने लगी और लोगों के विरोध को देखते हुए साल 1998 में विधान सभा में छत्तीसगढ़ के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया।

यह भारत का 26वां राज्य है और इसमें कुल 27 जिले हैं।

पंजाब और हरियाणा

स्वतंत्रता के बाद जब राज्यों के पुनर्गठन पर फैसला लिया जा रहा था तब पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा (वर्तमान में) और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, सभी एक ही बड़े राज्य पंजाब प्रान्त का हिस्सा थे। लेकिन, सिखों ने शिरोमणि अकाली दल (एक राजनितिक दल) के नेतृत्व में अलग से एक सिख राज्य की मांग रखी।

पंजाब का मानचित्र

1950 के दशक में अकाली दल ने मास्टर तारा सिंह के नेतृत्व में पंजाबी सूबा (क्षेत्र/प्रान्त) आन्दोलन भी चलाया। उन्होंने भाषा के आधार पर राज्य के विभाजन की मांग रखी। क्योंकि उस समय सिखों के साथ-साथ बहुत से हिन्दू भी इसी एक राज्य में रहते थे। और उस समय सभी हिन्दुओं ने ‘हिंदी’ को राष्ट्र भाषा बनाने का समर्थन किया, जो कि पंजाबी बोलने वाले सिखों को नामंजूर था।

इस मामले को राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राज्य पुनर्गठन आयोग ने पंजाबी को हिन्दी से अलग (व्याकरण की दृष्टि से) न मानते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। लेकिन उन्होंने अपनी मांगों को जारी रखा और वे प्रदर्शन करते रहे।

हरियाणा का मानचित्र

आखिरकार, सितंबर 1966 में पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने इनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और पंजाब को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार तीन भागों में बांट दिया गया। शाह कमीशन के सुझाव पर पंजाब का दक्षिण भाग (जहां हरियाणवी बोली जाती थी) बन गया हरियाणा और जहां पहाड़ी बोली जाती थी, उस भाग को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया। शेष क्षेत्रों को (चंडीगढ़ को छोड़कर) एक नए पंजाबी बहुल राज्य का गठन किया गया।

हरियाणा और पंजाब, दोनों ने ही चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जताया। इसलिए, चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया जो कि दोनों राज्यों की राजधानी के रूप में जाना जाता है।

कर्नाटक

1 नवंबर 1956 को सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में विलय कर दिया गया था। हालांकि, कर्नाटक शब्द का इतिहास काफी पुराना है लेकिन वर्तमान कर्नाटक राज्य पहले 20 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रान्तों में बंटा था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और निज़ामो की हैदराबाद रियासत भी शामिल थीं।

19वीं शताब्दी में धारवाड़ में कर्नाटक विद्यावार्धका संघ के गठन के साथ ही कर्नाटक के एकीकरण के लिए आंदोलन  शुरू हो गया था। साल 1912 में एक कन्नड़ सभा बनाई गयी, जिसका उद्देश्य इस दिशा में काम करना था, साल 1936 में इसे कन्नड़ एकीकरण संघ नाम दिया गया था।

कर्नाटक का मानचित्र

1915 में बैंगलोर में कन्नड़ साहित्य परिषद के संगठन के साथ इस एकीकरण आंदोलन को बढ़ावा मिला।

लेकिन स्वतंत्रता के बाद, जब 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिलाये गये। इससे लोगों में हिंसा की आग भड़क उठी और उनका आन्दोलन विद्रोह पर उतर आया।

आखिरकार, सरकार ने भाषाई आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ़ मैसूर की स्थापना की। इसमें पूर्व बॉम्बे राज्य के चार जिलों, हैदराबाद राज्य के तीन जिलों, पुराने मद्रास राज्य की एक तालुक और एक जिले, कूर्ग राज्य और मैसूर की रियासत को शामिल किया गया था।

साल 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ़ मैसुर से बदल कर कर्नाटक रखा गया। उस समय राज्य के मुख्यमंत्री देवराज उर्स थे। दरअसल, कर्नाटक शब्द का उल्लेख यहाँ के पुराने साहित्यिक ग्रंथों में हुआ है।

केरल

1 नवम्बर को केरल में केरल पिरवी के नाम से मनाया जाता है और केरल पिरवी प्रतीक है इस राज्य की स्थापना का। दरअसल, साल 1956 में इसी दिन केरल को भाषा के आधार पर एक राज्य घोषित किया गया था। इससे पहले यह मालाबार, कोचीन और ट्रैवनकोर नाम से तीन अलग-अलग प्रान्त हुआ करते थे।

दरअसल, केरल को एकजुट देखने की या फिर कहें कि ऐक्य केरल, जिसमें सभी लोग मलयालम बोलने वाले हों, यह इच्छा बहुत से लोगों के मन में थी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे अपने फायदे के लिए तीन अलग-अलग हिस्सों में बाँट रखा था।

केरल का मानचित्र

इसलिए, जब स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन कर उन्हें पहचान देने का फैसला किया तो केरल को भी उसकी पहचान मिली। वैसे तो, केरल को एक करने की मांग साल 1928 में एर्नाकुलम में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में कर दी गयी थी। लेकिन साल 1940 में इस मुद्दे को तूल मिला।

स्वतंत्रता के बाद, 1 जुलाई, 1949 को ट्रैवनकोर और कोचीन के मूल राज्यों को सरदार वल्लभभाई पटेल की देख-रेख में भारत सरकार ने एक साथ विलय कर दिया था। यह एकजुट केरल के गठन की दिशा में शायद पहला कदम था। और फिर इन अलग-अलग प्रान्तों के राजा अपनी निजी पहचान छोड़कर अपने लोगों की ख़ुशी के लिए इस विलय के लिए राजी हो गये थे।

साल 1956 में 1 नवंबर को केरल का गठन एक स्वतंत्र राज्य के रूप में हुआ।

इन छह राज्यों के अलावा साल 1956 में 1 नवंबर के दिन ही देश की राजधानी दिल्ली को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहचान दी गयी थी।

संपादन – मानबी कटोच


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

The post 1 नवम्बर: भारत के छह राज्यों का एक ऐतिहासिक दिन! appeared first on The Better India - Hindi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3563


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>