इस दंपति ने 26, 500 बेकार प्लास्टिक की बोतलों से बनाया पहाड़ों में होमस्टे!
हिमालय की तलहटी में बसा उत्तराखंड, घुमाकड़ों किसी जन्नत से काम नहीं है। यहाँ के पहाड़, वाइल्डलाइफ पार्क्स, धार्मिक स्थल, ट्रैकिंग रुट्स आदि न सिर्फ़ भारतीयों को बल्कि विदेशियों को भी अपनी और आकर्षित करते...
View Articleएक प्यासा गाँव, दो पढ़े-लिखे युवक और आपका साथ; कुछ इस तरह बदली यह तस्वीर!
“जीवन जल पर निर्भर है और जल-संरक्षण आप पर” अक्सर इस तरह की लाइन आपको लोगों के सोशल मीडिया स्टेटस पर या फिर व्हाट्सएप फॉरवर्ड में देखने-पढ़ने को मिलती हैं। हम में से ज़्यादातर लोगों के लिए इस तरह की बातें...
View Article“ताकि स्थिति कुछ तो बदले,” 18 वर्षीय रोहन ने 1, 400 ग्रामीणों को बांटे फर्स्ट...
तीन साल पहले, एक कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए रोहन चड्ढा गुरुग्राम के पास एक गाँव में गए थे। गाँव में एक गली से गुजरते हुए उन्होंने एक बच्ची को देखा जिसको काफ़ी चोट लगी थी और खून निकल रहा था। जब...
View Articleघर में ही करें किसानी, इस माँ की बनाई ‘ग्रो ईट योरसेल्फ’किट के साथ!
अवनी जैन खुद को एक ‘एक्सीडेंटल फर्मेप्रेन्योर’ मानती हैं यानी कि किस्मत से बनी कृषि उद्यमी। वह कहती हैं कि सालों पहले जब वे अपने दादा जी के खेतों में जाती थीं तब उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वे...
View Article‘मदर टेरेसा मेरी प्रेरणा हैं,’ 200 गरीबों को हर रोज़ खाना खिला रहा है यह फल...
केरल में त्रिशुर जिले के वादूकरा में सालों से बंद पड़े एक बस शेल्टर पर हर दिन दोपहर में दो बजे तक गरीब, बेघर और बेसहारा लोगों को खाना खिलाया जाता है। इस नेक काम की शुरुआत एक फल विक्रेता जैसन पॉल ने की...
View Articleबंगलुरु के इस शख्स के लिए है ‘कचरा माने घर,’सेकंड हैंड और वेस्ट मटेरियल का...
कर्नाटक में बंगलुरु के रहने वाले जी. वी. दसरथी का एक दशक पुराना घर आज के समय में सस्टेनेबिलिटी के सभी पैमानों पर खरा उतरता है। इस घर को उन्होंने नाम दिया है ‘कचरा माने’ क्योंकि इस घर को पुरानी, और...
View Articleनिराला : ध्रुपद : गुंदेचा बंधु : अंतिम प्रणाम
निराला जी शास्त्रीय रागों पर आधारित कविताएँ लिखा करते थे, उनकी एक कविता पर नज़र डालिए: ताक कमसिनवारि, ताक कम सिनवारि, ताक कम सिन वारि, सिनवारि सिनवारि। ता ककमसि नवारि, ताक कमसि नवारि, ताक कमसिन वारि,...
View Article20 लाख+ महिलाओं का किया हेल्थ चेक अप, ब्रेस्ट कैंसर को फर्स्ट स्टेज में ही...
“बक्सर और बागपत जैसी जगहों पर जब हमने ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस कैंप किये और वहां के गांवों में महिलाओं से बात करने की कोशिश की। तो कई बार हमें सीधा-सीधा घर से निकल जाने के लिए कह दिया जाता था। इतना ही...
View Articleसरकारी नौकरी छोड़कर उड़ीसा के किसानों की ज़िंदगी बदल रही है यह IIT ग्रेजुएट!
अक्सर जब भी कोई अच्छे-खासे पैकेज की नौकरी या फिर सरकारी नौकरी छोड़कर कुछ अलग करता है तो हम सबका यही सवाल होता है कि क्या ज़रूरत है? बैक टू विलेज की को-फाउंडर, पूजा भारती से भी मैंने यही सवाल किया कि आख़िर...
View Article“अपने बेटे के लिए कुछ करना है,” 350 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे रहीं हैं शहीद...
“मेरी बस एक ही तमन्ना थी कि मैं अपने बेटे के लिए कुछ करूँ। इसलिए मैंने इन बच्चों की ज़िंदगी संवारने का ज़िम्मा लिया। इन बच्चों को सही रास्ता, सही दिशा देकर कुछ बनाना है ताकि एक दिन ये भी मेरे बेटे की...
View Articleदेश का पहला जिला, जो है ओपन-ड्रेनेज सिस्टम से मुक्त, महिला आईएएस ने बदली तस्वीर!
तेलंगाना का पेद्दापल्ली जिला राष्ट्रीय स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे 2019 के अनुसार देश का सबसे ज़्यादा साफ़-सुथरा जिला है। और इस उपलब्धि का पूरा श्रेय जाता है यहाँ की डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ए. देवसेना को,...
View Article5000 किमी का सफ़र तय किया बाइक से, रास्ते में नज़र आ रहे कूड़े-कचरे को भी लगातीं...
‘बाइक लड़कियों के लिए नहीं होती!’ यह वाक्य आपने कई बार और बहुत से लोगों के मुंह से सुना होगा। बाइक्स और लड़कियों का कोई मेल नहीं, ऐसा आज भी हमारे भारतीय समाज की मान्यता है। लेकिन इस मान्यता को तोड़ कर...
View Articleअब तक 3 लाख से भी ज़्यादा पौधे लगा चूका है भोपाल का यह ट्री-मैन; पेड़ बनने तक...
पौधे लगाना किसी के लिए सोशल इवेंट हो सकता है, किसी के लिए शौक, लेकिन भोपाल के सुनील दुबे के लिए यह जुनून है। एक ऐसा जुनून जिसके चलते वह अब तक 3 लाख से ज्यादा पौधे रोप चुके हैं। खास बात यह है कि सुनील...
View Articleवह महिला वैज्ञानिक, जिन्होंने महिलाओं को दिलाई फिजिक्स रिसर्च में जगह!
दूसरे विश्व युद्ध के बाद, कोलकाता के एक मशहूर मोहल्ले में सेना के बचे हुए हथियार और उपकरण कबाड़े के भाव बेचे जा रहे थे और एक लड़की, इनमें से चुन-चुनकर कुछ पार्ट्स ले रही थी। क्योंकि उसे फिजिक्स विषय में...
View Article“मेरी माँ उनकी हँसी और मुस्कुराहट में ज़िंदा हैं, जिन्हें उनकी वजह से जीने का...
“मेरी माँ बहुत ही दयालु थीं। इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई बड़ा काम किया, बल्कि हर दिन के छोटे-छोटे अच्छे कामों की वजह से। वो कभी अपनी परेशानियों के बारे में बात नहीं करती थीं। लेकिन दूसरों की परेशानियां...
View Articleराजस्थान का ‘सौंफ किंग’ : इन छोटे-छोटे प्रयोगों से बढ़ाई उपज, आज सालाना...
राजस्थान के आबू अंचल में पिछले कुछ सालों में सौंफ की उपज में गुणवत्ता और मात्रा के लिहाज से बेहद शानदार वृद्धि दर्ज़ की गई है। इस उपलब्धि में प्रगतिशील किसान इशाक अली का योगदान बेहद ख़ास है। सौंफ की खेती...
View Article1 रुपये में इडली, 2.50 रुपये में दोसा खिला रही हैं ये दो दादियाँ!
पिछले 30 सालों से, 80 वर्षीया कमलातल पाती की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं है। हर रोज़ सूरज उगने से घंटो पहले, जब घर में सब सो रहे होते हैं, तब वह उठ जाती हैं और रसोई में जाकर दिन की तैयारी शुरू कर देती...
View Articleइस महिला ने तीन सालों में बनवा दिए 87 तालाब, लाखों खानाबदोशों को दिलाया पहचान...
“ज़िंदगी में सिर्फ़ अपनी गति बढ़ाने के अलावा, और भी बहुत कुछ है!” अहमदाबाद में स्थित ‘विचरता समुदाय समर्थन मंच’ (वीएसएसएम) संगठन के दफ्तर में लगी गाँधीजी की एक तस्वीर पर लिखी हुई यह बात, आज के समय की...
View Articleदिल्ली: 15 साल पुरानी नौकरी छोड़ शुरू की मशरूम की खेती; आज हर महीने कमाती हैं...
साल 2018 में दिल्ली की रहने वाली मोनिका चौधरी ने जब अपना मशरूम फार्म शुरू किया था, तो शुरू के दो-तीन महीने में उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा। प्रॉफिट तो दूर की बात है, वह अपनी लागत भी मैनेज नहीं कर पा...
View Articleट्रेन हादसे में गंवाया एक पैर, आज हैं भारत की पहली महिला ब्लेड रनर!
“घर चलाने के लिए मेरे माता-पिता, लोगों के कपड़े प्रेस करते थे, और बड़ी मुश्किल से महीने के दो हज़ार रुपये तक ही कमा पाते थे। हम 3 भाई-बहन थे और ज़िंदगी बहुत मुश्किल थी। हमें अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के...
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