विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिसेबिलिटी और मौत का एक मुख्य कारण दिल का दौरा पड़ना भी है। एक स्टडी के मुताबिक देश में दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या 1990 में 2.57 करोड़ थी जो 2016 में बढ़कर 5.45 करोड़ हो गई। इन बीमारियों के चलते साल 1990 में मरने वाले लोग 13 लाख थे जो 2016 में बढ़कर 28 लाख हो गए।
साथ ही, हमारे देश में हार्ट अटैक के मरीज़ों के लिए ट्रीटमेंट का सामान्य वक़्त 360 मिनट है और यह मेडिकल विशेषज्ञों द्वारा मान्य 60 मिनट के ‘गोल्डन ऑवर‘ से कहीं ज़्यादा है। डॉ. पद्मनाभ कामत कहते हैं कि भारत में 360 मिनट के समय की धारणा गलत है। हार्ट अटैक झेल चुके व्यक्ति के लिए ट्रीटमेंट का वक़्त 10 से 13 घंटों के बीच में हो सकता है।
डॉ. कामत को आज भी पांच साल पहले घटी एक घटना याद है। चिकमगलूर में एक युवा ऑटो ड्राईवर को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई, क्योंकि डॉक्टर समय पर उसका इलाज नहीं कर पाया था।

डॉ. कामत बताते हैं कि वह ऑटो ड्राईवर सिर्फ़ 32 साल का था और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। अपने परिवार के लिए कमाने वाला वह अकेला था। उसकी मौत की सिर्फ़ एक ही वजह थी कि उसके इलाज में देरी हो गई।
उस ऑटो-ड्राईवर की मौत की घटना ने डॉ. कामत को इस कदर झकझोर दिया कि उन्होंने ‘कार्डियोलॉजी एट डोरस्टेप’ के नाम से व्हाट्सअप ग्रुप्स शुरू कर दिए। इन ग्रुप्स में लगभग 800 डॉक्टर जुड़े हुए हैं जो ग्रामीण इलाकों के ऐसे लोगों की सहायता करते हैं जहाँ स्पेशलिस्ट नहीं पहुँच पाते हैं।
ये डॉक्टर दिल की बीमारियों से संबंधित अपनी सलाह और सुझाव मुफ़्त में देते हैं और साथ ही, ग्रामीण डॉक्टर्स द्वारा ग्रुप में सुझाव के लिए पोस्ट किए गए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) पढ़ने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा, ये कार्डियोलॉजिस्ट छोटे अस्पतालों और प्राइमरी हेल्थ सेंटर में काम कर रहे डॉक्टर्स को रेफरल अस्पताल और नजदीकी कार्डियोलॉजिस्ट से जोड़ने में भी मदद करते हैं।
पिछले डेढ़ सालों में, 4 व्हाट्सअप ग्रुप्स के माध्यम से वे अब तक 8000 कंसल्टेशन कर चुके हैं। इन सभी ग्रुप्स में 3-3 कार्डियोलॉजिस्ट हैं। डॉ. कामत बताते हैं, “अब तक 500 हार्ट अटैक और 850 दिल की बीमारियों के केस सही तरह से ग्रुप में सुलझाए जा चुके हैं।”

डॉ. कामत स्पेशलिस्ट से अपने नंबर भी ग्रुप्स में शेयर करने के लिए कहते हैं क्योंकि किसी के लिए भी 24 घंटे ऑनलाइन रहना मुमकिन नहीं।
“ग्रुप में पोस्ट होने वाले किसी भी ECG पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जाती है और फिर इसे आर्काइव कर लिया जाता है। अगर ECG सामान्य नहीं है तो डॉक्टर को व्हाट्सअप के साथ-साथ फ़ोन भी किया जाता है और मरीज़ों के स्वास्थ्य के बारे में सुनिश्चित किया जाता है,” उन्होंने कहा।
इस ग्रुप ने पैसे इकट्ठा करके छोटे अस्पतालों और कुछ ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 200 ECG मशीनें भी लगवाई हैं।
फंडिंग के बारे में बात करने पर डॉ. कामत कहते हैं, “मशीनों के लिए मरीजों, दोस्तों, रिश्तेदारों और कुछ नेक लोगों से फंडिंग मिलती है। बैंकिंग सेक्टर ने भी कुछ मशीनें दी हैं।”
उनकी पहल के चलते ही CAD ने भी लगभग 1000 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को इमरजेंसी हार्ट अटैक किट्स दी हैं। इन किट्स में हार्ट अटैक के केस में दी जाने वाली दवाइयां हैं। इन दवाइयों को मरीज के तुरंत उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जब तक कि मरीज को किसी बड़े अस्पताल न रेफर कर दिया जाए।
डॉ. कामत ने एक वाकये का जिक्र किया, जब ग्रुप के सदस्यों की वजह से वे किसी की जान बचा पाए।
“एक ग्रामीण आयुष डॉक्टर के भाई को सीने में बहुत ज़्यादा दर्द की शिकायत हो रही थी। यह रात के लगभग 8:30 बजे की बात है, वह व्यक्ति अपने दूरगामी इलाके ईश्वरमंगल में बने फार्महाउस पर थे। डॉक्टर ने CAD द्वारा दी गई मशीन से उनका ECG किया और उनकी रिपोर्ट को ग्रुप में शेयर किया। डॉक्टर्स ने तुरंत उन्हें हार्ट अटैक बताया और उन्हें अपने भाई के पास मंगलुरु जाने के लिए कहा। जैसे ही वह मरीज मंगलुरु पहुंचे, डॉक्टर्स की टीम पहले से ही उनकी एंजियोप्लास्टी करने के लिए तैयार थी।”
फ़िलहाल, डॉ. कामत और उनकी टीम कर्नाटक के 14 जिलों में अपनी सर्विस दे रहे हैं। लेकिन उनकी योजना दूसरे राज्यों में भी पहुँचने की है। उन्होंने केरल के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी 12 ECG मशीनें डोनेट की हैं।
इसके अलावा, डॉ. कामत दिल से संबंधित इमरजेंसी स्थितियों के लिए एक मुफ्त व्हाट्सअप हेल्पलाइन (9743287599) भी चलाते हैं। साथ ही वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि यह हेल्पलाइन सिर्फ़ एक ऑनलाइन परामर्श के लिए है, न कि किसी तरह के क्लिनिकल ज्ञान और निर्णय देने के लिए।
“मेरा उद्देश्य इसे अपने जैसे कार्डियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर और देश के बड़े बिज़नेस हाउस से डोनेशन की मदद से पूरे भारत में ले जाने का है। यह बिल्कुल एक गेम चेंजर होगा,” डॉ. कामत ने अंत में कहा।
संपादन: भगवती लाल तेली
मूल लेख: अंग्रिका गोगोई
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