छत्तीसगढ़ : गाँव में लड़की के जन्म पर 5, 000 रूपये की एफडी करवाती है यह ग्राम...
छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक में स्थित ग्राम पंचायत सपोस पूरे भारत में एक आदर्श ग्राम पंचायत की मिसाल पेश कर रही है। ग्राम पंचायत सपोस के अंतर्गत दो गाँव, सपोस और गबौद आते हैं। इन दोनों...
View Articleमाँ की आराधना से हुई थी तुकबंदी की शुरुआत, भविष्य में बनी साहित्य की ‘महादेवी’!
हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ-साथ महादेवी वर्मा का नाम शामिल होता है। हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री...
View Articleसुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी [मुस्लिम ताज बीबी का कृष्ण प्रेम]
क्या हिन्दू क्या मुसलमान, कृष्ण सभी को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. मीराबाई की दीवानगी की कितनी कहानियाँ हम सबने सुनी हैं. उसी वक़्त की बात है पर्शिया तक ये कहानियाँ पहुँचीं और वहॉं एक मुसलमानी ताज...
View Articleझारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार...
32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड में धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता गाँव में पान की दुकान चलाते थे और कोयला मज़दूर थे। उनके गाँव में अधिकतर लोग या तो छोटी-मोटी दुकान चलाया करते थे...
View Article“मेरे शरीर ने उस कला को अपना लिया, जिसके लिए मैंने अपना बचपन दे दिया!”
“मैं हमेशा से संगीत के क्षेत्र में कुछ करना चाहता था, लेकिन राजस्थान जैसी सांस्कृतिक जगह से होने के बावजूद, मेरे परिवार में कोई नहीं चाहता था कि मैं कला के क्षेत्र में आगे बढूँ। सुबह में जल्दी ही, मैं...
View Article“परिवार सबसे पहले आता है!”
“हमें हमेशा सिखाया गया कि परिवार सबसे पहले आता है। हमने अपने पिता को बहुत पहले खो दिया और हमारे भाई और भाभी ने हमें पाला। मैं 4 बहनों और दो भाइयों के साथ बड़ी हुई। अब हम सबके अपने परिवार हैं। लेकिन फिर...
View Articleमुंबई: अपने बच्चों के लिए इस माँ का विश्वास हम सबके लिए प्रेरणा है!
“मेरी नयी-नयी शादी हुई थी और लोगों ने मुझसे पूछना शुरू कर दिया कि मैं कब उन्हें ‘खुशखबरी’ दूंगी। मैंने उनसे कहा कि मैं जुड़वां बच्चे चाहती हूँ इसलिए उनकी खुशखबरी में दुगना वक़्त लगेगा। जब मैं माँ बनने...
View Articleगरीबी से लड़कर बनाई अपनी पहचान, 3, 000+ लड़कियों को सिखाई सिलाई और आज भी सफ़र...
कहते हैं कि यदि एक औरत मुश्किलों से लड़ने की ठान ले, तो फिर बड़ी से बड़ी चुनौती उसे नहीं झुका सकती। असल ज़िंदगी की ये नायिकाएं बहुत ही आम औरतें होती हैं, जो अपनी मेहनत और हौसले के दम पर न सिर्फ़ अपनी, बल्कि...
View Articleसुरैया आपा – वे कारीगरों की उंगलियों में पिरोती हैं जादुई तिलिस्म!
निज़ामों के शहर में मेरी दौड़ उस रोज़ न गोलकुंडा के उस किले तक थी, जिसने कभी बेशकीमती कोहिनूर हीरा उगला था और न ही चारमीनार में मेरी कोई दिलचस्पी थी। लाड बाज़ार की रौनकों को पीछे छोड़, मैं...
View Article‘एक एकड़ में 12 हज़ार पेड़’ : मुंबई शहर के बीचो-बीच हो रहा है यह कमाल!
सदाबहार पेड़, जंगल, हरियाली और समुद्र – ये सब एक वक़्त पर मुंबई शहर की पहचान हुआ करते थे। पर लगातार बढ़ता शहरीकरण, धूल, धुआं और ऊँची ऊँची इमारतें, इस हरियाली की चादर को सिमित करते जा रहे हैं। पेड़ों की...
View Articleजब एक पानवाले के ख़त पर, अहमदाबाद खिचे चले आये थे, अंतरिक्ष पर जाने वाले पहले...
2 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में जाने वाले आइएएफ स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा पहले भारतीय हैं। उन्हें भारत-सोवियत अंतरिक्ष मिशन (Indo-Soviet Space mission) के तहत दो अन्य रुसी साथियों के साथ अंतरिक्ष में...
View Articleस्त्री वेदना से अनअवगत समाज की सोच को झकझोरती मन्नू भंडारी की कहानी –‘मुक्ति’!
“लोकप्रियता कभी भी रचना का मानक नहीं बन सकती है, असल मानव तो होता है, रचनाकार का दायित्वबोध”। – मन्नू भंडारी पचास का दशक अभी शुरू ही हुआ था। भारत अपनी भविष्य की आनेवाली क्रान्ति से अनजान, आज़ादी की...
View Articleदिव्यांग आईएएस अफ़सर ने किया भारत का नाम रौशन; पैरा-बैडमिंटन में जीता सिल्वर!
सुहास लालिनाकेरे यथिराज, साल 2007 के उत्तर-प्रदेश कैडर के आईएएस अफ़सर हैं और फ़िलहाल, प्रयागराज (इलाहाबाद) में जिला अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। हालांकि, एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ, सुहास एक...
View Article4,800 की आबादी वाले इस गाँव में हैं 6000 पेड़, इंटरलॉक रास्ते, वॉटर फ़िल्टर...
हमारे देश में पंचायती राज व्यवस्था का अस्तित्व वैसे तो प्राचीन काल में भी मिलता है। लेकिन आधुनिक भारत में इसकी शुरुआत साल 1959 से हुई। पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम, तालुका और जिला आते हैं और...
View Articleरवीन्द्र प्रभात: हिंदी में ब्लॉग लिखने का है शौक, तो इनसे ज़रूर मिले!
“यदि एक ब्लॉगर नई पीढ़ी को समुचित ज्ञान दिये बिना मर जाता है, तो उसका ज्ञान व्यर्थ है।” यह मानना है हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार और हिंदी ब्लॉगिंग को एक नयी पहचान देने वाले ब्लॉगर, रवीन्द्र प्रभात का।...
View Articleमात्र तीसरी पास, पद्म श्री हलधर नाग की कोसली कविताएँ बनी पीएचडी अनुसंधान का...
69 वर्षीय हलधर नाग की कोसली भाषा की कविता पाँच विद्वानों के पीएचडी अनुसंधान का विषय भी है। इसके अलावा, संभलपुर विश्वविद्यालय इनके सभी लेखन कार्य को हलधर ग्रंथाबली -2 नामक एक पुस्तक के रूप में अपने...
View Articleतिहाड़ जेल के कैदियों को ज़िंदगी का ‘सेकंड चांस’दे रही है दिल्ली की यह युवती!
“मैंने अपनी मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान एक स्कॉलर ‘मिशेल फूको’ के बारे में पढ़ा था। उन्होंने समाज में अनुशासन और कोई गलती करने पर अपराधियों के लिए सजा के संदर्भ में काफ़ी कुछ लिखा है। मेरे लिए यह बहुत अलग...
View Articleहसीन हो कहानी
एक दिन जब वह चाय, मुरमुरे ले किताब बंद कर दूर वादी में झाँकते बैठा तब समय हमेशा की तरह तीव्र वेग से गतिमान था कितनी सदियों में कितने उत्कंठाओं ने इस वादी को निहारा होगा. पिछली सदी से गाड़ी आगे बढ़ी...
View Articleपिता नेत्रहीन, व्हीलचेयर पर सिमटी माँ: बेटी ने छेड़ दिया नि:शक्त लोगों को...
व्हील चेयर इस्तेमाल करने वाली काया रिवर राफ्टिंग करने की अपनी ख्वाहिश ज़ाहिर करे, तो उससे क्या कहेंगे आप? आंखों में रोशनी की ज़रा भी लौ न बाकी हो जिसकी, वही आपसे ताजमहल ‘दिखाने’ का अनुरोध करे तो ?...
View Articleडॉ. रेहाना बशीर: जम्मू-कश्मीर के पुंछ से यूपीएससी उत्तीर्ण करने वाली पहली लड़की!
“जब तक हम किताबों के साथ होते हैं, हमें ज़मीनी हक़ीकत का अंदाज़ा नहीं होता। मुझे भी एमबीबीएस के पाँच सालों में कभी भी नहीं लगा था, कि मुझे सिविल सर्विस करने की ज़रूरत है। पर इंटर्नशिप के दौरान जिन हकीकतों...
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